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22-Oct-2025 02:09 PM
By First Bihar
Bihar Assembly Election : बिहार विधानसभा चुनाव जैसे-जैसे करीब आ रहे हैं, विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया अलायंस’ (INDIA Alliance) में मतभेद और खींचतान खुलकर सामने आने लगी है। एक ओर जहां एनडीए (NDA) एकजुट होकर चुनावी मैदान में उतरने की तैयारी में है, वहीं दूसरी ओर इंडिया गठबंधन के अंदरूनी विवाद ने विपक्ष की एकजुटता पर सवाल खड़े कर दिए हैं। गठबंधन के प्रमुख घटक दल राष्ट्रीय जनता दल (RJD) और कांग्रेस (INC) के बीच सीट बंटवारे को लेकर खींचतान अब सार्वजनिक हो चुकी है।
मामला तब और गंभीर हो गया जब बिहार की 10 से अधिक सीटों पर गठबंधन के घटक दलों ने एक-दूसरे के सामने उम्मीदवार उतार दिए। इससे यह साफ हो गया कि अब लड़ाई सिर्फ एनडीए बनाम इंडिया गठबंधन की नहीं, बल्कि ‘इंडिया बनाम इंडिया’ की भी बनती जा रही है। स्थिति को संभालने और मतभेद को खत्म करने के लिए कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत खुद मैदान में उतर गए हैं। बुधवार (22 अक्टूबर) को गहलोत ने पटना में लालू प्रसाद यादव और तेजस्वी यादव से मुलाकात की। इस बैठक में बिहार में चल रही 'फ्रेंडली फाइट' की स्थिति पर विस्तार से चर्चा हुई।
मुलाकात के बाद मीडिया से बात करते हुए गहलोत ने कहा —“इतने बड़े गठबंधन में 5-10 सीटों पर विवाद होना कोई बड़ी बात नहीं है। किसी भी राज्य में अगर ऐसा गठबंधन होगा तो कुछ मतभेद तो होंगे ही। मीडिया ने इसे बढ़ा-चढ़ाकर दिखाया है, जबकि स्थिति इतनी गंभीर नहीं है।” गहलोत ने दावा किया कि इंडिया अलायंस में सबकुछ “ठीक-ठाक” है और अगले 1-2 दिनों में सारे कन्फ्यूजन दूर हो जाएंगे। उन्होंने कहा कि गुरुवार (23 अक्टूबर) को एक संयुक्त प्रेस वार्ता के जरिए सभी बातें स्पष्ट कर दी जाएंगी।
जानकारी के अनुसार, बिहार में कुल 243 विधानसभा सीटों पर चुनाव हो रहे हैं। इनमें से करीब 80 सीटों पर इंडिया गठबंधन के दलों के बीच लंबे समय से चर्चा चल रही थी। राजद, जो गठबंधन का सबसे बड़ा घटक दल है, वह अधिकांश सीटों पर अपनी दावेदारी ठोक रहा है। वहीं, कांग्रेस और वामदल (CPI, CPI(M), CPI(ML)) भी अपने पारंपरिक क्षेत्रों में टिकट चाहते हैं।
सूत्रों के मुताबिक, कांग्रेस 70 सीटों पर चुनाव लड़ने की मांग कर रही थी, जबकि राजद उसे केवल 50 सीटें देने के पक्ष में था। यही मतभेद धीरे-धीरे सार्वजनिक विवाद का रूप लेने लगा। कई सीटों पर वामदल और कांग्रेस दोनों ने उम्मीदवारों की घोषणा भी कर दी, जबकि RJD ने भी वहीं प्रत्याशी उतार दिए।
गठबंधन नेताओं का दावा है कि यह “फ्रेंडली फाइट” है — यानी सहयोगी दलों के बीच आपसी सम्मान बनाए रखते हुए चुनाव लड़ना। लेकिन राजनीतिक विश्लेषक इसे गठबंधन की कमजोरी और असमंजस का संकेत मान रहे हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि जब एक ही गठबंधन के उम्मीदवार एक-दूसरे के खिलाफ मैदान में होंगे, तो इससे मतदाताओं में भ्रम की स्थिति पैदा होगी और एनडीए को सीधा फायदा मिलेगा।
तेजस्वी यादव, जो बिहार में इंडिया गठबंधन का चेहरा माने जा रहे हैं, पर अब यह जिम्मेदारी आ गई है कि वे अपने सहयोगियों को एक मंच पर रखें। लालू यादव ने भी इस दिशा में पहल करते हुए गहलोत से विस्तृत चर्चा की। बताया जा रहा है कि लालू ने कांग्रेस और वाम दलों को कुछ अतिरिक्त सीटें देने का सुझाव दिया है ताकि आपसी टकराव खत्म हो सके। वहीं, एनडीए खेमे में इस आंतरिक विवाद को लेकर खुशी का माहौल है। भाजपा (BJP) और जदयू (JDU) नेता इस स्थिति को “इंडिया की अंदरूनी कमजोरी” करार दे रहे हैं।
अब सबकी निगाहें कल यानी 23 अक्टूबर को होने वाली प्रेस वार्ता पर हैं, जिसमें अशोक गहलोत, लालू यादव और तेजस्वी यादव मिलकर स्थिति स्पष्ट करेंगे। यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या यह मुलाकात वास्तव में गठबंधन की फूट को भर पाएगी या फिर बिहार की राजनीति में “इंडिया बनाम इंडिया” का नारा और तेज हो जाएगा। अगर गहलोत की मध्यस्थता कामयाब होती है, तो विपक्ष के लिए यह राहत की बात होगी। लेकिन अगर मतभेद कायम रहे, तो आने वाले चुनाव में इसका सीधा असर सीटों के परिणाम पर पड़ना तय है।