Nitin Nabin: बीजेपी का कार्यकारी राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने के बाद नितिन नवीन को मिलेंगी कितनी सुविधाएं, सैलरी मिलेगी या नहीं? जानिए.. Nitin Nabin: बीजेपी का कार्यकारी राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने के बाद नितिन नवीन को मिलेंगी कितनी सुविधाएं, सैलरी मिलेगी या नहीं? जानिए.. Bihar Education News: शिक्षा विभाग के अफसरों को लिखने भी आता ! BEO ने एक पन्ने की चिट्ठी में 12 से अधिक गलती की Patna Crime News: पटना में दो पक्षों के बीच फायरिंग से हड़कंप, लाइसेंसी हथियार के साथ आरोपी गिरफ्तार Patna Crime News: पटना में दो पक्षों के बीच फायरिंग से हड़कंप, लाइसेंसी हथियार के साथ आरोपी गिरफ्तार Bihar News: बिहार के सैंड आर्टिस्ट मधुरेंद्र कुमार ने रचा इतिहास, सोनपुर मेला में किया ऐसा काम कि एशियन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में दर्ज हो गया नाम Bihar News: बिहार के सैंड आर्टिस्ट मधुरेंद्र कुमार ने रचा इतिहास, सोनपुर मेला में किया ऐसा काम कि एशियन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में दर्ज हो गया नाम KAIMUR CRIME: जंग बहादुर पासवान हत्याकांड का खुलासा, चार साल बाद फरार दूसरा आरोपी गिरफ्तार दिल्ली की ‘वोट चोर, गद्दी छोड़’ रैली पर गिरिराज सिंह का पलटवार, राहुल–प्रियंका गांधी पर साधा निशाना नितिन नवीन बने बीजेपी के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष, पीएम मोदी-नीतीश कुमार सहित कई दिग्गजों ने दी बधाई
15-Oct-2025 11:51 AM
By First Bihar
Bihar Assembly Election 2025 : बिहार विधानसभा चुनाव से ठीक पहले चुनाव आयोग ने सभी राजनीतिक पार्टियों और उम्मीदवारों के लिए चुनावी विज्ञापन संबंधी कड़े निर्देश जारी किए हैं। आयोग के अनुसार, अब हर पंजीकृत राष्ट्रीय और राज्य स्तरीय राजनीतिक दल तथा हर चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों को सोशल मीडिया और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया पर अपने सभी राजनीतिक विज्ञापनों के पूर्व-प्रमाणन के लिए मीडिया सर्टिफिकेशन एंड मॉनिटरिंग कमिटी (एमसीएमसी) को आवेदन देना अनिवार्य होगा। यह कदम चुनावी प्रचार में पारदर्शिता सुनिश्चित करने और अवैध या भ्रामक प्रचार को रोकने के लिए उठाया गया है।
चुनाव आयोग ने 6 अक्टूबर 2025 को बिहार विधानसभा चुनाव और छह अन्य राज्यों तथा जम्मू एवं कश्मीर केन्द्र शासित प्रदेश के आठ विधानसभा क्षेत्रों के उपचुनावों की घोषणा कर दी थी। इसके बाद ही इन जगहों पर आचार संहिता लागू हो चुकी है। आयोग ने सभी उम्मीदवारों और राजनीतिक दलों को नए नियमों की जानकारी देने का काम शुरू कर दिया है।
निर्देशों के अनुसार, राजनीतिक विज्ञापनों के पूर्व-प्रमाणन के लिए जिला और राज्य स्तर पर एमसीएमसी का गठन किया गया है। आयोग ने साफ किया है कि एमसीएमसी की अप्रूवल के बिना सोशल मीडिया या किसी भी इंटरनेट-आधारित प्लेटफॉर्म पर कोई भी राजनीतिक विज्ञापन प्रकाशित नहीं किया जा सकता। एमसीएमसी के प्रतिनिधि मीडिया में पेड न्यूज और संदिग्ध प्रचार सामग्री पर भी कड़ी निगरानी रखेंगे और नियमों का उल्लंघन पाए जाने पर कार्रवाई की जाएगी।
चुनाव आयोग सोशल मीडिया पर उम्मीदवारों और राजनीतिक दलों की गतिविधियों पर भी बारीकी से नजर रखेगा। उम्मीदवारों को नामांकन के समय अपने प्रामाणिक सोशल मीडिया अकाउंट्स की जानकारी साझा करनी होगी। इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि सभी डिजिटल प्रचार पारदर्शी और प्रमाणित हो। इसके साथ ही राजनीतिक दलों को चुनाव प्रचार पर किए गए खर्च की पूरी जानकारी आयोग को देना अनिवार्य होगा। यह कदम चुनावी वित्तीय पारदर्शिता और अनुशासन बनाए रखने के लिए अहम माना जा रहा है।
विशेषज्ञों के अनुसार, सोशल मीडिया की व्यापक पहुंच और डिजिटल प्लेटफॉर्म पर प्रचार की बढ़ती प्रवृत्ति को देखते हुए, यह नया नियम चुनावी प्रक्रिया में अनुशासन और जवाबदेही सुनिश्चित करने में मदद करेगा। इससे भ्रामक, अपमानजनक या असत्य प्रचार को रोकने में भी सहायता मिलेगी।
चुनाव आयोग ने कहा है कि एमसीएमसी द्वारा सभी विज्ञापनों का मूल्यांकन सुनिश्चित करेगा कि कोई भी प्रचार सामग्री संवैधानिक नियमों, आचार संहिता और डिजिटल मीडिया दिशानिर्देशों का उल्लंघन न करे। इसके तहत विज्ञापन की भाषा, तथ्य और प्रचार के तरीकों की जांच की जाएगी। साथ ही सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स को भी आयोग ने निर्देश दिए हैं कि वे केवल अनुमोदित और प्रमाणित सामग्री को ही प्रकाशित करें और किसी भी गैर-अनुमोदित विज्ञापन को हटाने में सहयोग करें।
इस नए दिशा-निर्देश से यह भी साफ हो गया है कि डिजिटल और सोशल मीडिया प्रचार पर पहले से कहीं अधिक नियंत्रण रहेगा। उम्मीदवारों और राजनीतिक दलों को यह सुनिश्चित करना होगा कि उनका प्रचार विधिक और पारदर्शी तरीके से ही हो। आयोग ने यह भी चेतावनी दी है कि उल्लंघन करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी, जिसमें उम्मीदवारों के खिलाफ मामला दर्ज करना और उनके प्रचार को रोकना शामिल हो सकता है।
चुनाव आयोग के इस कदम को चुनावी निष्पक्षता और पारदर्शिता बनाए रखने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है। डिजिटल प्लेटफॉर्म्स पर अनुचित प्रचार पर नियंत्रण और प्रचार सामग्री का प्रमाणन सुनिश्चित करने से मतदाता तक सही जानकारी पहुँचाने में मदद मिलेगी। आयोग ने यह भी कहा कि चुनाव प्रक्रिया के दौरान राजनीतिक दलों और उम्मीदवारों को किसी भी प्रकार की भ्रामक, अपमानजनक या प्रचार से जुड़ी गड़बड़ी से दूर रहना चाहिए।
बहरहाल,बिहार विधानसभा चुनाव से पहले चुनाव आयोग द्वारा जारी ये निर्देश राजनीतिक दलों और उम्मीदवारों के लिए स्पष्ट संदेश हैं कि अब डिजिटल और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया पर चुनावी विज्ञापन को लेकर पारदर्शिता, प्रमाणन और निगरानी अनिवार्य होगी। इसका उद्देश्य निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करना, मतदाताओं तक सही और सत्य जानकारी पहुंचाना और डिजिटल प्लेटफॉर्म्स पर अनुशासन बनाए रखना है।