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14-Nov-2025 07:35 AM
By First Bihar
Bihar Election Results 2025: बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजे आज आने वाले हैं। राज्य की सभी 243 सीटों पर दो चरणों में 6 और 11 नवंबर को मतदान हुआ था। आज सुबह 8 बजे से राज्य के सभी 38 जिलों में बने 46 मतगणना केंद्रों पर मतों की गिनती शुरू होगी। इससे पहले पूरे देश में राजनीतिक उत्सुकता और कौतूहल का माहौल बना हुआ है कि बिहार में अगली सरकार किसकी बनेगी। इस बार का चुनाव पिछले वर्षों की तुलना में विशेष रूप से रोमांचक और महत्वपूर्ण माना जा रहा है, क्योंकि रिकॉर्ड मतदान ने राज्य की राजनीतिक दिशा पर नया असर डाला है।
इस बीच चर्चा उन छह विधानसभा सीटों को लेकर भी है, जो राज्य में सरकार के गठन के संकेतक मानी जाती हैं। इन सीटों पर जो पार्टी जीतती है, प्रायः उसी पार्टी की सरकार राज्य में बनती है। इन छह सीटों में सबसे अहम है मधुबनी जिले की केवटी विधानसभा सीट, जिसका 100% ट्रैक रिकॉर्ड सरकार बनाने वाली पार्टी के साथ रहा है। 1977 से 2020 तक इस सीट का इतिहास स्पष्ट है कि यहां जीतने वाली पार्टी राज्य में सरकार बनाने में सफल रही। 1977 में जनता पार्टी की जीत के बाद राज्य में जनता पार्टी की ही सरकार बनी थी और तब से केवटी के मतदाता कभी गलत नहीं साबित हुए।
1980 और 1985 में कांग्रेस ने इस सीट पर जीत दर्ज की और राज्य में सरकार बनाई। इसके बाद जनता दल और फिर राजद ने 2000 तक तीन बार जीत हासिल की और सरकार बनाई। 2005 और 2010 में भाजपा ने जीत दर्ज की और नीतीश कुमार की NDA सरकार में शामिल हुई। 2015 में राजद ने भाजपा से यह सीट छीन ली, तब राज्य में राजद-जदयू-कांग्रेस गठबंधन की सरकार बनी। 2020 में यह सीट फिर से भाजपा के खाते में गई और NDA की सरकार बनी। वर्तमान में भाजपा के मुरारी मोहन झा विधायक हैं और उन्हें पार्टी ने फिर से उम्मीदवार बनाया है। उनका मुकाबला राजद के फ़राज़ फ़ातमी से है, जो पूर्व केंद्रीय मंत्री अली अशरफ फ़ातमी के पुत्र हैं।
इसी तरह सहरसा विधानसभा सीट भी निर्णायक मानी जाती है। 1977 से पहले यह सीट कांग्रेस के कब्जे में रही और राज्य में सरकार उसी पार्टी की बनी। 1977 में जनता पार्टी के शंकर प्रसाद टेकरीवाल जीते और राज्य में जनता पार्टी की सरकार बनी। 1980 और 1985 में कांग्रेस के रमेश झा और सतीश चंद्र झा जीते और राज्य में कांग्रेस की सरकार रही। 1990 से 2000 तक टेकरीवाल जनता दल और राजद से जीते, और राज्य में उसी पार्टी की सरकार बनी। 2005 और 2010 में भाजपा की जीत हुई। 2015 में फिर राजद ने कब्जा किया और 2020 में भाजपा की जीत हुई। वर्तमान विधायक भाजपा के आलोक रंजन झा हैं और महागठबंधन की तरफ से उनके प्रतिद्वंद्वी आईआईपी के इंद्रजीत गुप्ता हैं।
मुजफ्फरपुर जिले की सकरा विधानसभा सीट भी इसी तरह की निर्णायक सीट मानी जाती है। 1977 के बाद यहां केवल एक बार 1985 में उलटफेर हुआ, जब लोकदल के शिवनंदन पासवान ने जीत हासिल की जबकि राज्य में कांग्रेस की सरकार बनी। इसके अलावा इस सीट पर ज्यादातर समय वही पैटर्न रहा कि जिस पार्टी की जीत होती है, राज्य में वही सरकार बनती है। वर्तमान में यह सीट जदयू के पास है।
मुंगेर विधानसभा सीट पर 1985 में एक बार उलटफेर देखा गया। वर्तमान में यह सीट भाजपा के प्रणय कुमार यादव के पास है। पूर्वी चंपारण की पिपरा विधानसभा सीट भी निर्णायक मानी जाती है। यहां 2015 में एक बार उलटफेर हुआ, जब भाजपा के श्यामबाबू प्रसाद यादव ने जीत हासिल की लेकिन नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली महागठबंधन की सरकार बनी। यादव इस बार माकपा के राजमंगल प्रसाद के खिलाफ चुनाव लड़ रहे हैं।
शेखपुरा जिले की बरबीघा विधानसभा सीट भी महत्वपूर्ण मानी जा रही है। 1977 से 2000 तक जनता पार्टी और कांग्रेस ने यहां जीत हासिल की। 2015 में कांग्रेस के सुदर्शन कुमार और 2020 में जदयू के उम्मीदवार जीते।
सीतामढ़ी जिले की बेलसंड विधानसभा सीट पर भी हार-जीत का मुकाबला बेहद रोचक है। इस सीट पर एलजेपीआर के अमित कुमार, आरजेडी के संजय गुप्ता और जदयू के बागी राणा रंधीर मैदान में हैं। इसके अलावा जन सुराज पार्टी की अपर्णा सिंह भी चुनाव में खेल सकती हैं।
आज सुबह 8 बजे से मतगणना शुरू होगी। सभी 46 मतगणना केंद्रों पर कड़ी सुरक्षा, सीसीटीवी निगरानी, और अधिकारी व मतगणना कर्मियों की मौजूदगी सुनिश्चित की गई है। परिणाम राउंड-वार जारी होंगे, यानी जिस विधानसभा की काउंटिंग पूरी होगी, उसी के अनुसार परिणाम घोषित होंगे।
इस चुनाव में इन छह सीटों के नतीजे राज्य की अगली सरकार के निर्माण में निर्णायक भूमिका निभाएंगे। रिकॉर्ड मतदान और निर्णायक सीटों के रुझान यह संकेत देंगे कि नीतीश कुमार (NDA) की सरकार बनेगी या तेजस्वी यादव (महागठबंधन) की सरकार। पूरे राज्य की निगाहें आज इन नतीजों पर टिकी हैं।