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14-Nov-2025 11:15 AM
By First Bihar
Bihar Election Result 2025: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के नतीजे धीरे-धीरे स्पष्ट हो रहे हैं और पहले रुझानों ने एनडीए के पक्ष में बड़ी बढ़त की तस्वीर पेश की है। 243 सीटों में से एनडीए को लगभग 190 सीटों पर बढ़त मिली है, जबकि महागठबंधन केवल 55 सीटों पर ही आगे दिखाई दे रहा है। रिकॉर्ड मतदान और एग्जिट पोल के अनुसार, जनता ने एनडीए के पक्ष में मजबूत झुकाव दिखाया है। तेजस्वी यादव के नेतृत्व वाले महागठबंधन की रणनीतियाँ और प्रचार इस बार उम्मीद के मुताबिक असर नहीं दिखा पाईं। एनडीए की लहर ने राज्य की राजनीतिक तस्वीर पूरी तरह बदल दी है, और सत्ता का खेल अब निर्णायक मोड़ पर पहुंच गया है।
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के नतीजों ने राज्य की राजनीतिक दिशा को पूरी तरह बदल कर रख दिया है। दूसरे चरण की मतगणना में एनडीए ने जबरदस्त बढ़त बनाई है और रुझानों के अनुसार अब तक एनडीए 186 सीटों पर आगे चल रही है, जबकि महागठबंधन केवल 55 सीटों पर ही बढ़त बनाए रखने में सफल हो पाया है। यह आंकड़ा बिहार की राजनीति में एनडीए की मजबूत पकड़ और महागठबंधन की बुरी तरह हताश स्थिति को स्पष्ट रूप से दर्शाता है। इस बार का चुनाव पिछले चुनावों के मुकाबले और अधिक रोमांचक साबित हुआ है, क्योंकि मतदाताओं ने रिकॉर्ड मतदान दर्ज कराकर अपनी सक्रियता दिखाई। दो चरणों में कुल 66.90 प्रतिशत मतदान हुआ, जो पिछले विधानसभा चुनाव से 9.6 प्रतिशत अधिक है और इसने चुनावी लड़ाई को और भी रोचक बना दिया।
एनडीए के लिए यह बढ़त उनके प्रत्याशियों की सशक्त चुनावी रणनीति, संगठन की मजबूती और नरेंद्र मोदी व नीतीश कुमार जैसे नेताओं के लोकप्रिय फैक्टर का परिणाम है। झंझारपुर सीट पर भाजपा के उम्मीदवार और बिहार सरकार के उद्योग मंत्री नीतीश मिश्रा ने महागठबंधन के सीपीआई उम्मीदवार राम नारायण यादव पर शुरुआती रुझानों में स्पष्ट बढ़त बनाई। नीतीश मिश्रा ने 2020 के विधानसभा चुनाव में भी राम नारायण को बड़े अंतर से हराया था और इस बार भी उनका कोर वोट बैंक मजबूत दिखाई दे रहा है।
महागठबंधन के लिए स्थिति चिंताजनक है। गठबंधन के प्रमुख दलों राजद, कांग्रेस और वाम दलों को मिलकर भी अधिकांश सीटों पर सफलता नहीं मिल रही है। विशेषकर सीमांचल और मध्यम पूर्वी बिहार की कई सीटों पर महागठबंधन को अपेक्षित समर्थन नहीं मिल पाया। जन सुराज पार्टी का यह पहला प्रदर्शन भी कमजोर रहा और पार्टी सीमित क्षेत्रों में ही प्रभावी दिखी। वहीं, ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन का सीमांचल क्षेत्र में प्रदर्शन भी कमजोर साबित हुआ है।
एनडीए की यह लहर केवल सीटों तक सीमित नहीं है; यह राजनीतिक संदेश भी दे रही है कि राज्य की जनता ने विकास और स्थिर नेतृत्व के पक्ष में मतदान किया है। इस बार एनडीए के नेतृत्व में 186 सीटों पर बढ़त उनके लिए निर्णायक स्थिति तैयार कर रही है, और इससे महागठबंधन की रणनीति पर भी प्रश्न उठ रहे हैं। भाजपा और जदयू के संयुक्त प्रयासों, स्थानीय नेताओं की जमीन पर मेहनत, तथा चुनावी प्रचार के प्रभाव ने इस बढ़त में अहम भूमिका निभाई है।
मतदान और एग्जिट पोल के आंकड़ों से यह साफ दिखाई देता है कि बिहार में एनडीए का मजबूत जनाधार बना हुआ है। चुनावी प्रक्रिया में रिकॉर्ड मतदान ने लोकतंत्र की मजबूती को भी साबित किया। मुख्य निर्वाचन अधिकारी विनोद सिंह गुंजियाल के अनुसार, पहले चरण में 65.08 प्रतिशत और दूसरे चरण में 68.79 प्रतिशत मतदान हुआ, जो राज्य के चुनावी इतिहास में अब तक का सबसे अधिक है। इस उच्च मतदान दर ने यह संकेत दिया कि जनता ने अपने मताधिकार का सक्रिय रूप से प्रयोग किया और अपने क्षेत्र के विकास और राजनीतिक स्थिरता के लिए निर्णायक भूमिका निभाई।
इस प्रकार, एनडीए की 186 सीटों पर बढ़त, महागठबंधन की निराशा, रिकॉर्ड मतदान और मजबूत राजनीतिक रणनीति मिलकर बिहार विधानसभा चुनाव 2025 को अब तक के सबसे महत्वपूर्ण और निर्णायक चुनावों में से एक बना देते हैं। 14 नवंबर को अंतिम नतीजे आने के बाद स्पष्ट रूप से यह तय हो जाएगा कि बिहार में अगले पांच वर्षों के लिए सत्ता का गद्दा किसके हाथ में जाएगा। इस चुनावी खेल में एनडीए की बढ़त ने राज्य की राजनीतिक तस्वीर को पूरी तरह बदल कर रख दिया है और विपक्ष के लिए भविष्य की रणनीति पर गंभीर सोचने की जरूरत को मजबूर कर दिया है।