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05-Oct-2025 12:13 PM
By SANT SAROJ
Bihar News: बिहार के स्वास्थ मंत्री दावे तो बड़े -बड़े करते हैं। अक्सर यह कहते हुए सुनाई देते हैं की हमने यहां वो करवा दिया तो वहां वो करवा दिया।लेकिन उनकी इन बातों का हकीकत क्या है उसकी एक बानगी सुपौल से देखने को मिल रहा है। जहां हल्की-फुलकी बारिश में एक अनुमंडलीय अस्पताल में कमर भर पानी जमा हो गया। इसके बाद अब उस इलाके की जनता यह कहना शुरू कर दी है कि मंगल जी न जाने बिहार चुनाव से पहले कौन सी सिद्धि हासिल करने गए हैं जो नजर ही नहीं आ रहे हैं या फिर इस कदर सो गए हैं कि अब उन्हें गाजे -बाजे के साथ उठाने की नौबत आ गई है।
मंगल पांडे जी तो भाषण देने और विपक्ष पर निशाना साधने में कोई कसर नहीं छोड़ते है लेकिन जब इनके काम की बात करें तो धरातल पर कुछ भी नहीं है और इनके राज में स्वास्थ व्यवस्था बिहार में मृत समान हो गई है। मंत्री अगर आप नींद से जग गए होंगे तो यह जानकारी आपको जरुर होनी चाहिए...
दरअसल, बिहार के सुपौल जिले में बीते कुछ घंटों से हो रही लगातार बारिश ने सरकार की बेहतर स्वास्थ्य सुविधा और उन्नत बुनियादी ढांचे के दावों की पोल खोल दी है। तीन घंटे की बारिश ने त्रिवेणीगंज अनुमंडलीय अस्पताल की वास्तविक स्थिति उजागर कर दी जहां डॉक्टर और स्वास्थ्यकर्मी अपने कक्षों में जमे बारिश के पानी के बीच ड्यूटी करने को मजबूर हैं। करीब तीन-चार वर्ष पूर्व 14 करोड़ 36 लाख रुपये की लागत से निर्मित इस आधुनिक अस्पताल भवन की गुणवत्ता और मजबूती का हाल अब खुलकर सामने आ गया है।
अस्पताल में भर्ती मरीजों के परिजनों का कहना है कि हर कमरे में पानी भरा हुआ है प्रसव कक्ष, ओटी, इमरजेंसी रूम, एक्सरे रूम तक में फर्श पर पानी तैर रहा है। मरीजों और उनके परिजनों को खड़े होने तक की जगह नहीं मिल रही है एक्सरे संचालक गजेन्द्र कुमार ने बताया कि अस्पताल का कोई भी कमरा बारिश के पानी से अछूता नहीं है। ओपीडी से लेकर एक्सरे रूम तक हर जगह पानी भर गया है। वहीं जीएनएम सुनैना कुमारी ने कहा कि आप लोग थोड़ी देर पहले आते तो हालात और भी खराब दिखते। हम लोग पानी में बैठकर ड्यूटी करने को मजबूर हैं।
वहीं, मरीज के परिजन मनोज कुमार पंडित का कहना है कि आखिर किस लिए आपको गद्दी पर बैठाया गया? क्या जनता को यहीं हाल देखने के लिए स्वास्थ्य मंत्री का कार्यभार सौंपा गया था? मंत्री जी, अगर आप इस जिम्मेदारी को संभालने में असमर्थ हैं, तो पद त्याग करने का विकल्प आपके पास है। क्योंकि स्पष्ट है कि जनता की भलाई और स्वास्थ्य की चिंता आपके लिए प्राथमिकता नहीं है।
इस पूरे मामले ने सीधे तौर पर मंत्री मंगल पांडे की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर दिए हैं। जनता और स्थानीय लोग लगातार पूछ रहे हैं कि आखिर स्वास्थ्य मंत्री की निगरानी और जवाबदेही कहां है। करोड़ों रुपये की लागत से बने इस अस्पताल की यह स्थिति बताती है कि मंत्री की तरफ से कोई ठोस सुधार या निरीक्षण नहीं हुआ।
स्वास्थ्य विभाग की इस विफलता से न केवल मरीजों को परेशानी हो रही है, बल्कि जनता में सरकार और मंत्री के प्रति विश्वास भी घट रहा है। सवाल उठ रहे हैं कि मंत्री मंगल पांडे कब धरातल पर कदम उठाएंगे और कब इस स्वास्थ्य प्रणाली की खामियों को दूर करेंगे। जनता अब केवल भाषण और घोषणाओं से संतुष्ट नहीं है। उन्हें ठोस सुधार, बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएँ और जिम्मेदार प्रशासन चाहिए। यदि मंत्री मंगल पांडे इस जिम्मेदारी को संभालने में असमर्थ हैं, तो पद छोड़ने का विकल्प उनके पास है। क्योंकि जनता की उम्मीदें और जीवन सुरक्षा अब किसी दिखावे से कम नहीं हैं।
बिहार में चुनावी माहौल के बीच स्वास्थ्य व्यवस्था की यह हकीकत बताती है कि मंत्री की सक्रिय भूमिका और सरकारी निगरानी अत्यंत आवश्यक है। आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि मंत्री मंगल पांडे और राज्य सरकार इस गंभीर मुद्दे पर कितनी गंभीरता से कार्रवाई करते हैं या इसे भी हमेशा की तरह ठंडे बस्ते में डाल दिया जाएगा। अब यह देखना होगा कि आला अधिकारी इस लापरवाही पर क्या कार्रवाई करते हैं, या फिर हमेशा की तरह बारिश थमते ही यह मामला ठंडे बस्ते में चला जाएगा।
गौरतलब है कि यह पहली बार नहीं है जब इस अस्पताल की गुणवत्ता पर सवाल उठे हों। पिछली बारिश में भी भवन में इसी तरह पानी भर गया था। निर्माण पूर्ण होने के दो साल बाद ही इस भवन की खामियां उजागर हो चुकी थीं, लेकिन इस बार की बारिश ने फिर से करोड़ों की लागत से बने इस अस्पताल की सच्चाई सामने रख दी है।