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13-Oct-2025 11:02 AM
By First Bihar
Bihar Chunav: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के मद्देनजर जेडीयू में सीट शेयरिंग को लेकर अंदरूनी मतभेद उभरने लगे हैं। रोहतास जिले के कद्दावर और वरिष्ठ नेता जय कुमार सिंह के टिकट कटने की संभावित खबर से पार्टी के अंदर हलचल मच गई है। उनके समर्थकों ने चेतावनी दी है कि यदि जय कुमार सिंह का टिकट बहाल नहीं किया गया तो रोहतास की पूरी जेडीयू यूनिट सामूहिक इस्तीफा दे सकती है। यह कदम पार्टी के लिए चुनाव से पहले एक बड़ी चुनौती बन सकता है।
जय कुमार सिंह जेडीयू के पुराने और प्रभावशाली नेताओं में गिने जाते हैं। उन्होंने नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली सरकार में सहकारिता और उद्योग मंत्रालय जैसे महत्वपूर्ण विभाग संभाले हैं। इसके अलावा, वह रोहतास जिले की दिनारा विधानसभा सीट से विधायक रह चुके हैं और नीतीश कुमार के करीबी सहयोगियों में शामिल रहे हैं। इस वजह से उनका टिकट कटना पार्टी के अंदर विवाद का बड़ा कारण बन गया है।
जेडीयू के अंदरूनी सूत्रों के अनुसार, पार्टी इस बार चुनाव में अपने 101 सीटों के कोटे को अधिकतम जीत में बदलने के लिए रणनीति बदल रही है। इसके तहत पिछली बार हार चुके नेताओं को साइडलाइन करने और एंटी-इनकम्बेंसी वाले उम्मीदवारों को तरजीह देने की रणनीति अपनाई जा रही है। इसके कारण जय कुमार सिंह जैसे अनुभवी नेताओं के टिकट कटने की संभावना बढ़ गई है।
राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि जेडीयू का यह कदम चुनावी गणित और सीट अलॉटमेंट से जुड़ा है। दिनारा विधानसभा सीट या इसके आसपास की सीट को संभवतः बीजेपी या किसी सहयोगी दल को ट्रांसफर किया गया हो, जिसके कारण जेडीयू को अपने पारंपरिक उम्मीदवार को हटाना पड़ा। हालांकि, इससे स्थानीय कार्यकर्ताओं और समर्थकों में नाराजगी फैल गई है।
जय कुमार सिंह के समर्थकों का कहना है कि उनके नेता ने पार्टी के लिए लंबे समय तक सेवा की है और स्थानीय राजनीति में उनका कद बेहद मजबूत है। उन्होंने चेतावनी दी है कि अगर जय कुमार सिंह का टिकट बहाल नहीं किया गया, तो रोहतास जिले की पूरी जेडीयू यूनिट इस्तीफा दे सकती है। यह कदम पार्टी के चुनाव अभियान को प्रभावित कर सकता है और उम्मीदवारों की स्थिति पर सवाल खड़े कर सकता है।
पार्टी नेतृत्व फिलहाल स्थिति को संभालने की कोशिश कर रहा है। वरिष्ठ नेताओं का मानना है कि सीटों के पुनर्वितरण और गठबंधन समीकरणों के कारण यह निर्णय लेना आवश्यक था। हालांकि, जय कुमार सिंह जैसे नेताओं को साइडलाइन करना जेडीयू के लिए चुनावी प्रचार में मुश्किल खड़ी कर सकता है, खासकर रोहतास जिले में।
राजनीतिक पर्यवेक्षक मानते हैं कि जेडीयू को इस स्थिति का समाधान जल्दी करना होगा। यदि रोहतास की पूरी यूनिट इस्तीफा देती है, तो इससे न केवल पार्टी की छवि प्रभावित होगी बल्कि चुनावी मैदान में उसकी पकड़ भी कमजोर हो सकती है। ऐसे में पार्टी नेतृत्व को संतुलन बनाए रखना और कार्यकर्ताओं को मनाना चुनौतीपूर्ण हो सकता है।
जेडीयू की रणनीति में बदलाव और सीट शेयरिंग को लेकर उठ रहे विवाद इस बात का संकेत हैं कि बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में राजनीतिक समीकरण तेजी से बदल सकते हैं। जय कुमार सिंह का मामला केवल रोहतास तक सीमित नहीं है, बल्कि यह पार्टी के अंदरुनी गतिशीलता और गठबंधन की जटिलताओं को भी उजागर करता है।
इस तरह, जय कुमार सिंह का टिकट कटना और उनके समर्थकों की प्रतिक्रिया जेडीयू के लिए एक गंभीर चुनौती बन चुकी है। पार्टी की अगली रणनीति और इस विवाद के समाधान के तरीके यह तय करेंगे कि रोहतास में जेडीयू की स्थिति कैसी रहती है और क्या पार्टी आगामी चुनाव में अपने पुराने मजबूत कैंडिडेट्स के साथ मैदान में टिक पाएगी या नहीं।