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09-May-2025 03:51 PM
By First Bihar
Bihar News: बिहार को मिले तीन नए एक्सप्रेस-वे प्रोजेक्ट्स के एलाइनमेंट को केंद्र सरकार के सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय की मंजूरी मिलने के बाद अब इनके लिए जमीन अधिग्रहण की दस्तावेजी प्रक्रिया शुरू हो रही है। हालांकि, इनमें से केवल पटना-पूर्णिया एक्सप्रेस-वे के लिए ही अब तक कंपीटेंट अथॉरिटी ऑफ लैंड एक्विजिशन (CALA) का गठन हो पाया है।
वहीं, रक्सौल-हल्दिया और गोरखपुर-सिलीगुड़ी एक्सप्रेस-वे के एलाइनमेंट को हाल में ही मंजूरी दी गई है, लेकिन अभी तक इनके दस्तावेज राज्य सरकार को प्राप्त नहीं हुए हैं। ऐसे में इन दोनों परियोजनाओं पर वर्ष 2025 में कार्यारंभ की संभावना बेहद कम है। प्रावधान के अनुसार, किसी भी एक्सप्रेस-वे परियोजना पर तभी काम शुरू हो सकता है जब कम से कम 80 प्रतिशत भूमि का अधिग्रहण पूरा हो जाए।
रक्सौल-हल्दिया और गोरखपुर-सिलीगुड़ी एक्सप्रेस-वे के लिए न केवल दस्तावेज लंबित हैं, बल्कि भूमि अधिग्रहण प्रक्रिया की शुरुआत के लिए CALA का गठन भी अभी बाकी है। ये गठन उन्हीं जिलों में किया जाएगा जहां से ये एक्सप्रेस-वे गुजरेंगे। पटना-पूर्णिया एक्सप्रेस-वे का प्रक्रिया आगे बढ़ी, लेकिन लंबाई 281.05 किमी और छह लेन बनाने की चुनौती सामने है। इसके साथ ही पटना, नालंदा, शेखपुरा, लखीसराय, जमुई, बेगूसराय, खगड़िया, सहरसा, मधेपुरा, सुपौल, पूर्णिया समेत कुल 14 जिले को प्रभावित होने वाला है और इसके कुल लागत ₹9,467 करोड़ है।
पटना-पूर्णिया एक्सप्रेस-वे मार्ग से पटना से पूर्णिया की दूरी घटकर मात्र 3 घंटे रह जाएगी, जो फिलहाल 8 घंटे से अधिक लगती है। वहीं इसके लिए कुल 3381.2 हेक्टेयर भूमि अधिग्रहित की जाएगी। यह रक्सौल-हल्दिया एक्सप्रेस-वे औद्योगिक संपर्क को बढ़ावा देने वाला है, जिसकी कुल कुल लंबाई 719 किमी (बिहार में 367 किमी) है, जो पूर्वी चंपारण, शिवहर, सीतामढ़ी, मुजफ्फरपुर, बेगूसराय, लखीसराय, जमुई और बांका भी शामिल है। यह एक्सप्रेस-वे बिहार को पश्चिम बंगाल के हल्दिया पोर्ट से जोड़ेगा, जिससे औद्योगिक ढुलाई आसान होगी।
गोरखपुर-सिलीगुड़ी एक्सप्रेस-वे जिससे उत्तर बिहार को मिलेगा , इस नया मार्ग की कुल लंबाई 521 किमी (बिहार में 416 किमी) है, जो पूर्वी चंपारण, सीतामढ़ी, मधुबनी, सुपौल, अररिया, किशनगंज को प्विरभावित करेगा। इसके साथ ही यह मार्ग उत्तर बिहार को पश्चिम बंगाल और उत्तर-पूर्व भारत से जोड़ेगा, जिससे सीमावर्ती जिलों में विकास को बल मिलेगा।
यह मार्ग उत्तर बिहार को पश्चिम बंगाल और उत्तर-पूर्व भारत से जोड़ेगा, जिससे सीमावर्ती जिलों में विकास को बल मिलेगा। बिहार के लिए ये तीनों एक्सप्रेस-वे परियोजनाएं विकास के नए द्वार खोल सकती हैं। लेकिन फिलहाल दस्तावेजों की प्रतीक्षा, CALA के गठन और भूमि अधिग्रहण की जटिल प्रक्रिया के कारण 2025 में इन परियोजनाओं पर निर्माण कार्य आरंभ होने की संभावना बहुत कम है। विभागीय सूत्रों के अनुसार, अगले वर्ष से इनकी जमीनी प्रक्रिया में तेजी लाई जाएगी।