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11-Jan-2025 04:32 PM
By First Bihar
Success Story: देश का हर युवा चाहता है कि वह सबसे बड़े पद पर पहुंचकर देश को अपनी सेवा दें और इसके लिए यह सबसे कठिन परीक्षा में भी सफल होना चाहता हा। ऐसे में आज हम आपको एक ऐसे पुलिस अधिकारी की कहानी बताने वाले हैं जो पैदा तो IAS और IPS की फैक्ट्री यानी बिहार में हुए लेकिन, अपनी ख़ास स्टाइल से पूरे देशभर में अलग पहचान बना चुके हैं और अब योगी सरकार को सुरक्षा दे रहे हैं।
दरअसल, तमिलनाडु कैडर के 1990 बैच के आईपीएस अधिकारी रह चुके प्रशांत कुमार की गिनती तेज तर्रार पुलिस अधिकारियों में होती है हालांकि अपने कारनामों से लगातार चर्चा में रहने वाले प्रशांत कुमार इस समय उत्तर प्रदेश के डीजीपी हैं। प्रशांत कुमार को पुलिस विभाग में एनकाउंटर स्पेशलिस्ट भी कहा जाता है।
प्रशांत कुमार मूल रूप से बिहार के सीवान के रहने वाले हैं। उनका जन्म 16 मई 1965 को हुआ था। वे शुरू से पढ़ाई में भी अव्वल रहे हैं। उनके पास 3-3 मास्टर डिग्रियां हैं। वहीं, डिजास्टर मैनेजमेंट से एमबीए कर चुके हैं। वे अप्लाइड जूलॉजी में एमएससी कर चुके हैं। साथ ही डिफेंस और स्ट्रैटेजिक स्टडीज में एफफिल की डिग्री भी हासिल कर चुके हैं।
तमिलनाडु कैडर से तबादला करवाने के बाद उन्होंने 1994 में यूपी कैडर ज्वाइन किया था। क्राइम के खिलाफ कई बड़े फैसले लेकर वह चर्चा में आ चुके हैं। पुलिस विभाग में उन्हें असली सिंघम के तौर पर जाना जाता हैं। प्रशांत कुमार दिल्ली के मेट्रो अस्पताल के डॉक्टर श्रीकांत गौड़ का अपहरण के बाद चर्चा में आए थे। अपहरण कांड में संलिप्त अपराधीयों ने गौड़ को छोड़ने के एवज में 5 करोड़ की फिरौती मांगी गई थी।
प्रशांत कुमार ने न केवल गौड़ को सकुशल छुड़वा लिया, बल्कि बदमाशों को सलाखों के पीछे डालने में भी अहम भूमिका निभाई थी। उस समय प्रशांत कुमार 2017 में मेरठ जोन के एडीजी के तौर पर थे। गौड़ किडनैपिंग केस को सॉल्व करने के बाद काफी चर्चा में आए थे। प्रशांत कुमार अब तक चार बार बहादूरी पुरस्कार हासिल कर चुके हैं। उन्हें 2020, 2021, 2022 और 2023 में लगातार चार बार राष्ट्रपति से पुलिस मेडल मिल चुका है। वह वर्तमान में यूपी के डीजीपी हैं और योगी सरकार को सुरक्षा दे रहे है।