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10-Dec-2025 01:02 PM
By First Bihar
vigilance action : नगर निगम और बुडको के माध्यम से चल रही विकास योजनाओं में लगातार गड़बड़ी और इंजीनियर-ठेकेदार के बीच सांठगांठ की शिकायतों के बीच अब निगरानी विभाग (विजिलेंस) ने सीधे हस्तक्षेप करने का निर्णय लिया है। इसके तहत अब पांच करोड़ रुपये या उससे अधिक लागत वाली सभी योजनाओं की पूरी रिपोर्ट नगर निगम द्वारा निगरानी विभाग को उपलब्ध कराना अनिवार्य होगी। यह कदम विभागीय इंजीनियरों और निर्माण एजेंसियों के लिए चेतावनी का रूप ले चुका है, क्योंकि अब किसी भी प्रकार की लापरवाही या गड़बड़ी पर सीधे विजिलेंस कार्रवाई कर सकती है।
निगरानी विभाग ने नगर निगम और बुडको में हड़कंप मचा दिया है। विभाग ने यह स्पष्ट किया है कि नगर निगम क्षेत्र में चल रही सभी बड़ी विकास योजनाओं की भौतिक और वित्तीय स्थिति पर अब विभाग की उड़नदस्ता टीम (तकनीकी सेल) की नजर रहेगी। टीम कभी भी अचानक मुजफ्फरपुर पहुंचकर योजनाओं की गुणवत्ता की जांच कर सकती है। यह कदम इस बात की पुष्टि करता है कि अब निर्माण कार्यों में पारदर्शिता और गुणवत्ता सुनिश्चित करना प्राथमिकता बन चुकी है।
निगरानी विभाग के इस कदम से यह साफ हो गया है कि अब केवल ठेकेदार ही नहीं, बल्कि प्रोजेक्ट मॉनिटरिंग में लगे विभागीय कर्मचारी—कनीय अभियंता, सहायक अभियंता और कार्यपालक अभियंता—भी सीधे विजिलेंस के रडार पर आएंगे। यदि किसी योजना में गड़बड़ी या अनियमितता पाई जाती है, तो ठेकेदार के साथ-साथ मॉनिटरिंग करने वाले इंजीनियरों के खिलाफ भी कार्रवाई की जाएगी।
नगर विकास एवं आवास विभाग के माध्यम से नगर निगम को अनिवार्य रूप से सात बिंदुओं पर रिपोर्ट उपलब्ध कराना होगा। इन बिंदुओं में योजना का नाम, प्रशासनिक स्वीकृति की राशि और प्रसंग, एकरारनामा की राशि और तिथि, योजना की पूर्ण होने की अपेक्षित तिथि, योजना की अद्यतन भौतिक स्थिति, योजना की अद्यतन वित्तीय स्थिति और कार्य प्रगति संबंधी विवरण शामिल हैं। इन जानकारियों के आधार पर निगरानी विभाग यह सुनिश्चित करेगा कि किसी भी योजना में धन और संसाधनों का दुरुपयोग न हो और निर्माण कार्य उच्च गुणवत्ता के अनुसार सम्पन्न हो।
विशेषज्ञों का कहना है कि इस कदम से नगर निगम और बुडको के कार्यों में पारदर्शिता बढ़ेगी और योजनाओं में होने वाली लापरवाही पर कड़ी नजर रखी जाएगी। वहीं ठेकेदारों के लिए भी यह चेतावनी है कि अब सिर्फ तय समय में कार्य पूर्ण करना ही पर्याप्त नहीं है, बल्कि कार्य की गुणवत्ता और वित्तीय अनुशासन भी जांच का हिस्सा होगा।
नगर निगम सूत्रों का कहना है कि रिपोर्ट तैयार करने की प्रक्रिया पहले से तेज कर दी गई है और सभी इंजीनियर इस पर लगातार काम कर रहे हैं। विभागीय इंजीनियरों का कहना है कि निगरानी विभाग की यह कार्रवाई एक सकारात्मक कदम है, क्योंकि इससे काम में ईमानदारी और जवाबदेही सुनिश्चित होगी।
वहीं ठेकेदारों में इस कदम को लेकर हल्की चिंता भी है। उनका कहना है कि यदि निगरानी विभाग अचानक साइट पर पहुंचकर जांच करता है, तो कार्य में कुछ रुकावटें आ सकती हैं। हालांकि, अनुभवी ठेकेदारों का कहना है कि यह कदम लंबे समय में योजनाओं की गुणवत्ता और जनता के हित में रहेगा।
निगरानी विभाग की यह कार्रवाई शहर में चल रही विकास योजनाओं में पारदर्शिता सुनिश्चित करने और भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने के उद्देश्य से की गई है। विभाग की तकनीकी टीम नियमित और अनियमित आधार पर साइट का दौरा कर सकती है। साथ ही, रिपोर्ट में दी गई जानकारी के आधार पर विजिलेंस दोषी पाए गए अभियंता और ठेकेदार के खिलाफ सीधे कार्रवाई कर सकती है।
इस निर्णय से यह भी संकेत मिलता है कि नगर निगम और बुडको जैसी एजेंसियों के कामकाज में अब सिर्फ विभागीय मॉनिटरिंग ही नहीं, बल्कि निगरानी विभाग की कड़ी नजर भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। विशेषज्ञों का कहना है कि इससे न केवल निर्माण कार्यों में गुणवत्ता बढ़ेगी बल्कि धन और संसाधनों के सही उपयोग की भी गारंटी मिलेगी।
इस प्रकार मुजफ्फरपुर में नगर निगम क्षेत्र की सभी बड़ी विकास योजनाओं की निगरानी अब सीधे विजिलेंस विभाग के नियंत्रण में आ गई है। अब इंजीनियर और ठेकेदार दोनों के लिए पारदर्शिता, गुणवत्ता और समयबद्ध कार्य पूर्ण करना अनिवार्य होगा। जो भी योजना इन मानकों पर खरी नहीं उतरेगी, उस पर तुरंत कार्रवाई होगी, जिससे शहर के विकास में तेजी और भरोसेमंद निर्माण कार्य सुनिश्चित होगा।