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SC/ST Act False Case: किसी ने एससी/एसटी एक्ट में आप पर कर दिया है फर्जी केस? ऐसे करें खुद का बचाव..

SC/ST Act False Case: एससी/एसटी एक्ट में झूठा केस लगने पर तुरंत करें यह काम। क्रॉस-एग्जामिनेशन से सच आएगा सामने, मानहानि सूट फाइल कर आरोपी को सिखाएं सबक..

SC/ST Act False Case

23-Nov-2025 09:22 AM

By First Bihar

SC/ST Act False Case: एससी/एसटी एक्ट के तहत अगर कोई आपको फर्जी केस में फंसा दे तो क्या करना चाहिए और इस मुसीबत से खुद को कैसे बाहर निकालना चाहिए, आज हम आपको इसी के बारे में बताने जा रहे हैं। सबसे पहले तो अपनी घबराहट को काबू में रखें। कानून अपराधियों को सजा देने के लिए है, लेकिन झूठे आरोपों से बचाव का रास्ता भी खूब देता है। सबसे जरूरी कदम यह है कि तुरंत एक अनुभवी वकील से मिलें जो एफआईआर की कॉपी देखकर आपको बताएगा कि कौन-सी धाराएं लगी हैं और क्या खतरा है। अगर गिरफ्तारी का डर है तो सेशन कोर्ट या हाईकोर्ट में अग्रिम जमानत की याचिका दाखिल करें। कई मामलों में यह कदम पुलिस को तुरंत ऐक्शन लेने से रोक देता है और आपको जांच में सहयोग करने का समय मिल जाता है।


याद रखें कि सबूत ही आपकी सबसे बड़ी ताकत हैं। अगर आपके पास मैसेज, कॉल रिकॉर्डिंग, वीडियो फुटेज, लोकेशन डेटा या कोई गवाह है जो साबित कर सके कि आरोप बेबुनियाद हैं तो इन्हें सुरक्षित रखें। जांच के दौरान वकील की मदद से पुलिस को ये सबूत दें और अपना बयान रिकॉर्ड करवाएं। पुलिस जांच में अगर आप शांत रहकर सिर्फ तथ्य बताते हैं तो कई बार मामला आपके पक्ष में झुक जाता है। याद रखें, हर स्टेप को लिखित रूप में डॉक्यूमेंट करवाएं, ताकि बाद में कोर्ट में ये मजबूत आधार बनें।


कोर्ट में पहुंचने पर क्रॉस-एग्जामिनेशन का दौर आता है, जहां आरोपी के बयानों में विरोधाभास सामने आ सकता है। अगर जांच में साफ हो जाता है कि केस फर्जी है तो मजिस्ट्रेट चार्जशीट खारिज कर सकता है या ट्रायल में आप बरी हो सकते हैं। इसके अलावा, झूठे आरोप लगाने वाले पर आप आईपीसी की धारा 211 या 500 के तहत मानहानि का मुकदमा भी दर्ज करा सकते हैं। इससे न सिर्फ आपकी साख बचती है बल्कि आरोपी को सजा भी मिल सकती है।


एससी/एसटी एक्ट सख्त जरूर है, लेकिन इसका दुरुपयोग रोकने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने भी गाइडलाइंस दी हैं। हमेशा कानूनी रास्ता अपनाएं, कोई गैरकानूनी तरीका न आजमाएं। अगर आप निर्दोष हैं तो सबूत और सही प्रक्रिया से जीत निश्चित है। ऐसे मामलों में सोशल मीडिया या अफवाहों पर न जाएं, सिर्फ विशेषज्ञ सलाह लें। बिहार में कई लीगल एड सोसाइटी भी मुफ्त में मदद देती हैं।