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Patna News: वर्ल्ड ऑडियोलॉजिस्ट डे पर पटना में साइंटिफिक वर्कशॉप का आयोजन, सम्मानित हुए श्रवण-वैज्ञानिक

Patna News: पटना में विश्व श्रवण-वैज्ञानिक दिवस पर आयोजित कार्यशाला में कृत्रिम कान-प्रत्यारोपण तकनीक की भूमिका पर चर्चा की गई। देशभर से आए विशेषज्ञों और ऑडियोलॉजिस्ट्स ने वैज्ञानिक-पत्र प्रस्तुत किए और श्रवण-विकास में नई तकनीकों की जानकारी दी।

Patna News

11-Oct-2025 04:26 PM

By FIRST BIHAR

Patna News: 'कृत्रिम कान-प्रत्यारोपण तकनीक ने श्रवण-विकलांगता के निवारण में वैश्विक क्रांति उत्पन्न कर दी है। यदि समय पर प्रत्यारोपण कर दिया जाए तो जन्मजात बहरे बच्चे भी सामान्य बच्चों की भाँति सुखमय सामाजिक जीवन जी सकते हैं। इस प्रक्रिया में कान-नाग-गला विशेषज्ञों के साथ श्रवण-वाक् विशेषज्ञों की भूमिका सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण है। श्रवण-वैज्ञानिकों की भूमिका और महत्त्व को अब पूरा संसार समझने लगा है। अमेरिका और यूरोप में सर्वाधिक कमाई करने वाले व्यावसायिकों में चौथे स्थान पर वाक् श्रवण-वैज्ञानिक हैं। 


यह बातें इंडियन इंस्टिच्युट ऑफ हेल्थ एडुकेशन ऐंड रिसर्च तथा ऐडवांस बायोनिक्स के सहयोग से, मगध स्पीच ऐंड हियरिंग इंस्टिच्युट, जय स्पीच ऐंड हियरिंग, डौक्टर डियो, पाटलिपुत्र स्पीच ऐंड हियरिंग, शिवा हियरिंग-एड सेंटर तथा बेस्ट ऐंड रिलायबल के संयुक्त तत्त्वावधान में होटेल गार्गी ग्रैंड में आयोजित विश्व श्रवणवैज्ञानिक दिवस (वर्ल्ड ऑडियोलौजिस्ट डे) एवं कृत्रिम कान-प्रत्यारोपण कार्यशाला ( वर्कशोप ऑन कॉकलियर इंप्लांट) का उद्घाटन करते हुए, सुप्रसिद्ध साहित्यकार और हेल्थ इंस्टिच्युट के संस्थापक निदेशक-प्रमुख डा अनिल सुलभ ने कही। 


उन्होंने कहा कि आज जन्म के प्रथम दिन ही यह पता लगाया जा सकता है कि नवजात शिशु सुनने की क्षमता रखता है अथवा नहीं। यदि समय पर उपचार और पुनर्वास हो जाए तो किसी को पता भी नहीं चलेगा कि बच्चा गूँगा-बहरा है। क्योंकि वह बहरा नहीं रहेगा। और, बहरा नहीं रहेगा तो गूँगा भी नहीं होगा।


अपना वैज्ञानिक-पत्र प्रस्तुत करते हुए, सुप्रसिद्ध कान-प्रत्यारोपण विशेषज्ञ डा अभिनीत लाल ने कहा कि कृत्रिम कान-प्रत्यारोपण एक ऐसा कार्यक्रम है, जिसमें कान की शल्य-चिकित्सा करने वाले से बड़ी भूमिका श्रवण-वैज्ञानिकों की होती है, आरंभ में भी और आगे भी। प्रत्यारोपण के लिए समस्या-ग्रस्त बच्चों के माता-पिता को जागरूक किया जाना आवश्यक है, ताकि वे अपने बच्चे के सुंदर भविष्य के लिए इस तकनीक का लाभ प्राप्त कर सकें। 


सुप्रसिद्ध कान-रोग चिकित्सक डा आदित्य नन्दन, डा मनोरंजन कुमार, डा एहतेशाम अहमद रौशन, सुप्रसिद्ध श्रवण-वैज्ञानिक तथा अली यावर जंग राष्ट्रीय वाक्-श्रवण संस्थान के पूर्व निदेशक प्रो अशोक कुमार सिन्हा, दिल्ली से पधारी श्रवण-वैज्ञानिक डा सिद्धि चौहान तथा डा महिमा झा ने भी अपने वैज्ञानिक पत्र प्रस्तुत किए। दिन भर चले इस वैज्ञानिक-कार्यशाला में, कार्यक्रम के संयोजक और चर्चित श्रवण-वैज्ञानिक डा विकास कुमार सिंह, डा आकाश कुमार, डा अजय कुमार, डा धनंजय कुमार, डा कुमार अभिषेक तथा डा आलोक कौशल आयोजकों के रूप में निरंतर सक्रिय रहे।


विशिष्ट अतिथि और वरिष्ठ ऑडियोलौजिस्ट डा अभय कुमार तथा अधिवक्ता अहसास मणिकान्त समेत 70 प्रतिभागी श्रवण-वैज्ञानिकों ने इस कार्यशाला में भाग लिया। आरंभ में वरिष्ठ श्रवण-वैज्ञानिकों तथा अतिथियों को अंग-वस्त्रम और स्मृतिभेंट देकर सम्मनित किया गया।