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बिहार में जनवरी से बदल सकता है जमीन का सर्किल रेट, पटना में तीन गुना तक महंगी होगी रजिस्ट्री

बिहार में जमीन का नया सर्किल रेट जनवरी से लागू होने की संभावना है। पटना सहित कई जिलों में मूल्यांकन अंतिम चरण में है। इससे जमीन की रजिस्ट्री दो से तीन गुना तक महंगी हो सकती है।

बिहार में जनवरी से बदल सकता है जमीन का सर्किल रेट, पटना में तीन गुना तक महंगी होगी रजिस्ट्री

01-Dec-2025 07:33 AM

By First Bihar

बिहार में जमीन की खरीद-फरोख्त पर बड़ा असर डालने वाला फैसला जल्द ही लागू हो सकता है। राज्य सरकार जनवरी 2025 से नया सर्किल रेट यानी मार्केट वैल्यू रेट (एमवीआर) लागू करने की तैयारी में है। इसको लेकर पूरे राज्य में भूमि मूल्यांकन का काम तेज गति से चल रहा है। सूत्रों की मानें तो इस बार सर्किल रेट में 200 से 300 फीसदी तक की बढ़ोतरी संभव है। ऐसे में संपत्ति की रजिस्ट्री वर्तमान दर की तुलना में दो से तीन गुना तक महंगी हो सकती है।


पटना के सभी 75 वार्डों में मूल्यांकन अंतिम चरण में

राजधानी पटना के नगर निगम क्षेत्र में इस समय सबसे अधिक खरीद-फरोख्त हो रही है। इसे देखते हुए जिला निबंधन कार्यालय की टीम हर वार्ड में जाकर जमीन और फ्लैट की कीमतों का मूल्यांकन कर रही है। सभी 75 वार्डों की सड़क-वार एवं मोहल्ला-वार रिपोर्ट तैयार की जा रही है। इसी प्रकार पटना के अंतर्गत आने वाले नगर पंचायतों और ग्रामीण इलाकों में भी जमीन की कीमतों का आकलन अंतिम चरण में पहुँच चुका है।


अधिकारियों का कहना है कि पटना शहर के कई इलाकों में मौजूदा सर्किल रेट और वास्तविक बाजार रेट के बीच भारी अंतर है। 2013 में अंतिम बार एमवीआर संशोधित किया गया था। दस वर्षों में जमीन की वास्तविक कीमत कई गुना बढ़ चुकी है, लेकिन रजिस्ट्री विभाग पुराने रेट पर ही काम कर रहा है। इससे सरकार को राजस्व की भारी क्षति हो रही है। इसी वजह से इस बार व्यापक स्तर पर एमवीआर संशोधन किया जा रहा है।


तीन गुना तक बढ़ सकती है रजिस्ट्री लागत

नये सर्किल रेट लागू होने के बाद संपत्ति खरीदना महंगा हो जाएगा। जिन क्षेत्रों में बाजार रेट और एमवीआर में सबसे अधिक अंतर है, वहां सबसे ज्यादा बढ़ोतरी की जाएगी। अधिकारियों के अनुसार, कई ऐसे मोहल्ले हैं जहां बाजार में भूखंड की वास्तविक दर एमवीआर से तीन से चार गुना अधिक है। नयी दर लागू होने पर लोग उतनी ही जमीन की रजिस्ट्री के लिए पहले की तुलना में कई गुना अधिक राशि चुकानी पड़ेगी। विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी का कहना है,“इस बार सर्किल रेट को वास्तविक बाजार मूल्य के करीब लाने की कोशिश की जा रही है। इससे न केवल पारदर्शिता बढ़ेगी, बल्कि सरकार को भी राजस्व प्राप्ति में तेजी आएगी।”


चार मानकों पर तैयार हो रहा नया एमवीआर

जिला निबंधन कार्यालय की टीम जमीन का मूल्यांकन चार महत्वपूर्ण मानकों के आधार पर कर रही है। इसमें जमीन की मौजूदा खरीद-फरोख्त और स्थानीय प्रचलित मूल्य के आधार पर नया एमवीआर तैयार किया जा रहा है। ऐसे में जिन इलाकों में एमवीआर और वास्तविक कीमत में बहुत बड़ा अंतर है, वहां रेट में अधिक संशोधन होने की संभावना है। इसके साथ ही भूमि के प्रकार—आवासीय, वाणिज्यिक, कृषि, संस्थागत आदि—के अनुसार नई श्रेणियां लागू होंगी।


राज्य में विकसित हो रहे औद्योगिक क्षेत्रों के लिए अलग से एमवीआर तय किया जाएगा ताकि औद्योगिक निवेश से जुड़े नियम स्पष्ट रहें। इस बार सड़क-वार मूल्यांकन किया जा रहा है। जिस सड़क की चौड़ाई अधिक है, और जहां व्यावसायिक गतिविधि तेजी से बढ़ रही है, वहाँ एमवीआर भी अधिक होगा। वहीं तंग गलियों या कम विकसित मार्गों का मूल्य अलग से निर्धारित किया जाएगा। इस प्रक्रिया में मौजों (राजस्व ग्राम) की संख्या भी बढ़ सकती है, क्योंकि कई नए इलाके विकसित हुए हैं और पुराने भूखंडों का पुनर्वर्गीकरण किया जा रहा है।


सूत्रों के अनुसार, विभाग हर दिन की रिपोर्ट संकलित कर पटना स्थित मुख्यालय को भेज रहा है। यदि विभाग की प्रक्रिया निर्धारित समय पर पूरी हो जाती है, तो जनवरी 2025 से ही नया एमवीआर लागू कर दिया जाएगा। हालांकि आवश्यक अनुमोदन में विलंब की स्थिति में इसे फरवरी तक बढ़ाया जा सकता है।


जिला निबंधन कार्यालय के अधिकारियों ने बताया कि “हमारी कोशिश है कि इस वित्तीय वर्ष के अंत से पहले नया एमवीआर लागू हो जाए। इससे रजिस्ट्री विभाग के राजस्व में भी उल्लेखनीय वृद्धि होगी।” इसके बाद जमीन खरीदने की योजना बना रहे लोगों में इस संभावित वृद्धि को लेकर चिंता बढ़ गई है। कई लोग पुराने सर्किल रेट पर ही जल्द रजिस्ट्री कराने की कोशिश कर रहे हैं ताकि उन्हें बढ़ी हुई रकम न चुकानी पड़े। वहीं संपत्ति डेवलपर्स का मानना है कि एमवीआर बढ़ने से फ्लैट की कीमतें भी बढ़ेंगी।


नया एमवीआर लागू होने से जमीन रजिस्ट्री महंगी जरूर होगी, लेकिन इससे रियल एस्टेट बाजार में पारदर्शिता आएगी। लंबे समय से स्थिर पड़े सर्किल रेट अब वास्तविक बाजार दर के करीब आएंगे, जिससे सरकार के राजस्व में वृद्धि होगी और भूमि विवादों में भी कमी आने की संभावना है।