Bihar Crime News: बिहार में चुनावी तैयारियों के बीच EOU का बड़ा एक्शन, तीन साइबर ठगों को दबोचा; 4 लाख कैश और भारी मात्रा में सीम कार्ड बरामद Bihar Crime News: बिहार में चुनावी तैयारियों के बीच EOU का बड़ा एक्शन, तीन साइबर ठगों को दबोचा; 4 लाख कैश और भारी मात्रा में सीम कार्ड बरामद Bihar Election 2025: 20 साल के शासनकाल के बाद भी बिहार पिछड़ा क्यों? VIP प्रमुख मुकेश सहनी ने पूछे सवाल Bihar Election 2025: 20 साल के शासनकाल के बाद भी बिहार पिछड़ा क्यों? VIP प्रमुख मुकेश सहनी ने पूछे सवाल Bihar Election 2025: प्रशांत किशोर ने मुजफ्फरपुर में किया भव्य रोड शो, पार्टी के उम्मीदवारों के लिए मांगा समर्थन Bihar Election 2025: प्रशांत किशोर ने मुजफ्फरपुर में किया भव्य रोड शो, पार्टी के उम्मीदवारों के लिए मांगा समर्थन Aadhar Update: 1 नवंबर से बदल जाएंगे आधार से जुड़े यह तीन नियम, जान लीजिए.. होंगे कौन से बदलाव? Aadhar Update: 1 नवंबर से बदल जाएंगे आधार से जुड़े यह तीन नियम, जान लीजिए.. होंगे कौन से बदलाव? Bihar News: 'पहचान का संकट' वाले तीन संगठन/दलों का साथ लेकर BJP अध्यक्ष दिलीप जायसवाल गदगद, कागजी संगठनों के सहारे कैसे होगी नैया पार ? Bihar Election 2025: खेसारी लाल नाचने वाला नौकरी देगा क्या? तेज प्रताप यादव का तंज
 
                     
                            17-May-2025 04:02 PM
By First Bihar
BIHAR: बिहार सहित देशभर में बच्चों में टाइप-2 डायबिटीज के बढ़ते मामलों को गंभीरता से लेते हुए केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) ने एक नई पहल शुरू की है। राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) के निर्देश पर CBSE ने देशभर के सभी CBSE से संबद्ध स्कूलों को 'शुगर बोर्ड' (Sugar Board) लगाने का आदेश दिया है, जिसके जरिए बच्चों को चीनी के अत्यधिक सेवन से होने वाले स्वास्थ्य खतरों के प्रति जागरूक किया जाएगा। जिससे शुगर के मरीज बनने से वो बच सकें।
सर्वे में चौंकाने वाले खुलासे
राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के एक हालिया सर्वे में यह बात सामने आई है कि 4 से 10 वर्ष की उम्र के बच्चे रोज़ाना निर्धारित मात्रा से 13% अधिक कैलोरी का सेवन कर रहे हैं, जबकि 11 वर्ष से ऊपर के बच्चे 15% अधिक कैलोरी ले रहे हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की सिफारिशों के अनुसार, कुल कैलोरी का केवल 5% हिस्सा ही चीनी से आना चाहिए। इस सर्वे में यह भी पाया गया कि बच्चों में टाइप-2 डायबिटीज के बढ़ने का मुख्य कारण चीनी युक्त स्नैक्स, सॉफ्ट ड्रिंक्स और प्रोसेस्ड फूड्स का बढ़ता सेवन है, जो स्कूलों और उनके आसपास आसानी से उपलब्ध हैं।
CBSE की नई पहल
CBSE ने सभी स्कूलों को निर्देश जारी करते हुए कहा है कि वे अपने स्कूल के प्रांगण में शुगर बोर्ड लगाये, जिसमें यह जानकारियां प्रदर्शित की जाएगी कि बच्चे कितनी मात्रा में चीनी का उपयोग करेंगे। उनके खाद्य पदार्थों में चीनी की वास्तविक मात्रा कितनी होती है। अत्यधिक चीनी का सेवन बच्चों के स्वास्थ्य के लिए कितना हानिकारक है। जैसे टाइप-2 डायबिटीज, मोटापा, दंत रोग, आंखों की रोशनी संबंधित समस्या आना शुगर का कारण है.
स्वस्थ हेल्थ और संतुलित आहार की जानकारी
इसके साथ ही, सभी स्कूलों में जागरूकता सेमिनार और कार्यशालाएं भी आयोजित की जाएंगी। CBSE ने स्पष्ट किया है कि स्कूलों को इस संबंध में 15 जुलाई 2025 तक रिपोर्ट अपलोड करनी होगी। ‘शुगर बोर्ड’ स्थापित करने का मकसद छात्रों को स्वस्थ भोजन करने के बारे में बताना है। इस बोर्ड के माध्यम से बच्चों को यह बताया जाएगा कि जंक फूड और कोल्ड ड्रिंक जैसे आमतौर पर खाए और पिए जाने वाले खाद्य पदार्थों में चीनी की मात्रा कितनी होती है। ज्यादा चीनी खाने से क्या नुकसान होता है। सीबीएसई स्कूलों को ‘शुगर बोर्ड’ के बारे में सेमिनार और कार्यशालाएं जागरूक करने के लिए जुलाई के मध्य तक आयोजित करने को कहा है.
नियमों की अवहेलना पर कार्रवाई
CBSE ने स्कूलों को यह भी चेतावनी दी है कि अगर वे आयोग के निर्देशों का पालन नहीं करते हैं, तो उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। स्कूलों की यह जिम्मेदारी होगी कि वे न केवल बच्चों को स्वस्थ जीवनशैली के बारे में शिक्षित करें, बल्कि यह भी सुनिश्चित करें कि स्कूल परिसर और उसके आसपास अस्वस्थ एवं मीठे खाद्य पदार्थों की बिक्री न हो। इसके लिए CBSE ने जिला प्रशासन से सहयोग करने की भी बात कही है, ताकि स्कूलों के आसपास के क्षेत्र को भी नियंत्रित किया जा सके।
बच्चों का बेहतर स्वास्थ्य, स्कूल की ज़िम्मेदारी
CBSE ने बयान में कहा कि टाइप-2 डायबिटीज एक समय पर केवल वयस्कों में देखा जाने वाला रोग था, लेकिन अब यह बच्चों में भी बड़ी तेजी से फैल रहा है। इसका सबसे बड़ा कारण खानपान की बिगड़ती आदतें और चीनी का अधिक सेवन है। इससे बच्चों के न केवल शारीरिक स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है, बल्कि शैक्षणिक प्रदर्शन भी प्रभावित होता है।
बिहार जैसे राज्यों में जहां मध्यम वर्गीय और ग्रामीण पृष्ठभूमि से आने वाले बच्चे भी शहरी खानपान शैली अपना रहे हैं, यह पहल अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जा रही है। शुगर बोर्ड केवल एक सूचना माध्यम नहीं, बल्कि स्वस्थ पीढ़ी के निर्माण की दिशा में यह एक सामाजिक प्रयास भी है।