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05-Dec-2025 11:02 AM
By First Bihar
Bihar assembly session बिहार विधानमंडल का शीतकालीन सत्र भले ही छोटा रहा हो, लेकिन इसकी सियासी तपिश किसी पूर्ण सत्र से कम नहीं दिखी। शुक्रवार को सत्र का पाँचवाँ और अंतिम दिन है। सदन की कार्यवाही शुरू हो गया। सत्ता और विपक्ष दोनों ही एक-दूसरे की गैरमौजूदगी और हाजिरी को राजनीतिक हथियार की तरह इस्तेमाल करने में जुटे रहे।
इस बार का यह छोटा सत्र कई मायनों में खास रहा—कम दिनों की अवधि, लेकिन राजनीतिक तल्ख़ियाँ पूरे सप्ताह हावी रहीं। सबसे बड़ा मुद्दा बना नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव की लगातार अनुपस्थिति। सदन में उनकी गैरमौजूदगी को लेकर सत्तापक्ष ने विपक्ष को घेरने का कोई मौका नहीं छोड़ा। वहीं विपक्ष के कुछ नेताओं ने तेजस्वी की चुप्पी को एक “रणनीतिक राजनीतिक कदम” बताया।
तेजस्वी की गैरमौजूदगी बनी सबसे बड़ी बहस
पूरा सत्र कई घटनाओं से भरा रहा, लेकिन इसकी सबसे बड़ी चर्चा तेजस्वी यादव की अनुपस्थिति को लेकर हुई। सदन में विपक्ष का मुखिया यदि मौजूद न हो, तो सत्तापक्ष के हमलों का निशाना बनना तय है। ठीक यही हुआ। सत्तापक्ष ने तेजस्वी के सदन में न आने को “जन-जन के मुद्दों से भागने की राजनीति” बताया। कई मंत्रियों ने तंज कसते हुए कहा कि विपक्ष जनता की समस्याओं पर बोलने से बच रहा है और अपना दायित्व निभाने में असफल साबित हो रहा है।
दूसरी तरफ, विपक्ष ने पलटवार किया कि तेजस्वी की चुप्पी को कमज़ोरी समझना भूल होगी। विपक्ष के कुछ विधायकों ने कहा कि तेजस्वी सावधानी और रणनीति के साथ सत्र की कार्यवाही को देख रहे हैं। उनका दावा था कि सरकार के पास बताने के लिए ठोस उपलब्धियां नहीं हैं, इस कारण वह विपक्ष पर सवाल उठाकर ध्यान भटकाना चाहती है।