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Srijan scam : बिहार सृजन घोटाला मामले में पूर्व BDO की पेंशन जब्त, राशि के गबन में बड़ी कार्रवाई

Srijan scam : बिहार में सृजन घोटाला मामले में पीरपैंती के पूर्व BDO चंद्रशेखर झा की पेंशन 100% कटौती, सरकारी राशि के गबन और CBI जांच के आधार पर बड़ी कार्रवाई; विभाग ने आदेश DM व CBI को भेजा।

Srijan scam : बिहार सृजन घोटाला मामले में पूर्व BDO की पेंशन जब्त, राशि के गबन में बड़ी कार्रवाई

09-Dec-2025 09:09 AM

By First Bihar

Srijan scam : बिहार में सृजन घोटाले में फंसे प्रशासनिक अधिकारियों के खिलाफ सामान्य प्रशासन विभाग ने पहली बार कड़ी कार्रवाई की है। पीरपैंती प्रखंड में विकास पदाधिकारी (BDO) के रूप में तैनात रहे चंद्रशेखर झा की पेंशन राशि को सरकार ने पूरी तरह से जब्त कर दिया है। इसका अर्थ है कि रिटायर होने के बाद उन्हें मिलने वाली पेंशन अब उनके खाते में नहीं जाएगी। यह कदम राज्य सरकार की भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त नीति और सरकारी निधि की सुरक्षा सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण संकेत माना जा रहा है।


सूत्रों के अनुसार, चंद्रशेखर झा के कार्यकाल के दौरान उनके कार्यालय के विभिन्न मदों के बैंक खातों से कुल 4 करोड़ 52 लाख 88 हजार 246 रुपये की अवैध निकासी की गई थी। इस मामले में 2018 में CBI ने मुकदमा दर्ज किया था और विधि विभाग ने 4 अक्टूबर 2024 को अभियोजन की मंजूरी दी थी। विभाग ने माना कि झा ने अपने पद के दौरान जमा एवं निकासी की निगरानी न करके और नियमानुसार कार्रवाई न करके गंभीर लापरवाही दिखाई।


सामान्य प्रशासन विभाग ने CBI की चार्जशीट रिपोर्ट को आधार मानते हुए पाया कि चंद्रशेखर झा ने लोक सेवक के रूप में अपने कार्यकाल में निजी लाभ के लिए विभिन्न चेकों के माध्यम से करोड़ों रुपये सरकारी राशि को सृजन महिला विकास सहयोग समिति लिमिटेड, सबौर, भागलपुर के खाते में हस्तांतरित किया। यह हस्तांतरण षड्यंत्र और जालसाजी के तहत किया गया था।


जाँच में यह भी सामने आया कि चंद्रशेखर झा ने अपनी पत्नी, बबीता झा के नाम से वसुंधरा, गाजियाबाद में फ्लैट बुक कराया और उसका भुगतान सरकारी निधि से करवाया। इसके अलावा उन्होंने सृजन महिला विकास सहयोग समिति लिमिटेड, सबौर, भागलपुर में खाता खुलवाया जबकि उक्त संस्था को बैंकिंग कारोबार की अनुज्ञप्ति नहीं मिली थी। यह स्पष्ट रूप से सरकारी धन का दुर्विनियोग और नियमों की अनदेखी है।


सामान्य प्रशासन विभाग ने आदेश की कॉपी CBI को उपलब्ध कराई है और इसे जिला उपायुक्त (DM) को भी भेजा गया। इसके अलावा आरोपित अधिकारी के धनबाद स्थित आवास पर भी सूचना पत्र भेजा गया ताकि उन्हें कार्रवाई की जानकारी मिल सके। यह कदम राज्य प्रशासन की सख्त नीति और भ्रष्टाचार के खिलाफ शून्य सहिष्णुता नीति का प्रतीक है।


बिहार में सृजन घोटाला पिछले कई वर्षों से चर्चा में रहा है। इस मामले ने राज्य के प्रशासनिक ढांचे और लोकसेवकों की जवाबदेही पर सवाल उठाए हैं। चंद्रशेखर झा के खिलाफ यह कार्रवाई एक मिसाल के रूप में देखी जा रही है, क्योंकि पहले ऐसे मामलों में भ्रष्ट अधिकारियों को अक्सर केवल चेतावनी या मामूली दंड मिलता था।


राज्य सरकार ने इस कदम को भ्रष्टाचार के खिलाफ एक निर्णायक संदेश के रूप में पेश किया है। विभाग ने स्पष्ट किया है कि भविष्य में सभी पदाधिकारियों को उनके कार्यकाल के दौरान वित्तीय लेन-देन और सरकारी निधियों की निगरानी सुनिश्चित करनी होगी। यदि कोई अधिकारी अनियमितता में लिप्त पाया गया, तो उसकी पेंशन और अन्य भत्तों की कटौती की जा सकती है।


CBI की जांच ने इस मामले में कई अहम तथ्य उजागर किए हैं। इसमें यह स्पष्ट हुआ कि कई सरकारी राशि के हस्तांतरण में धोखाधड़ी और जालसाजी की गई। चंद्रशेखर झा द्वारा किये गए कार्यों ने न केवल सरकारी खजाने को नुकसान पहुँचाया बल्कि प्रशासनिक प्रणाली की विश्वसनीयता पर भी प्रश्न खड़े किए।