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04-Oct-2025 02:33 PM
By Viveka Nand
Bihar News: बिहार सरकार भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस नीति का दावा करती है. हालांकि यह दावा दिखावा भर है. करप्शन पर जीरो टॉलरेंस नीति की धज्जियां उड़ाई जाती हैं. भ्रष्टाचार के एक केस में विभाग जल्दी दिखाता है, तो दूसरे केस में पूरी तरह से सुस्ती बरती जाती है. बड़ी संख्या में सरकारी अधिकारियों पर करप्शन या अकूत संपत्ति अर्जित करने का केस दर्ज हुआ, कुछ केसों में जल्दी दिखाई जाती है, तो कई मामलों को दबा कर रखा जाता है,ताकि करप्शन के आरोपी ठाठ से नौकरी कर सकें. निबंधन,परिवहन,शिक्षा,इंजीनियरिंह डिपार्टमेंट में दर्जनों ऐसे उदाहरण हैं, जहां विभागीय कार्यवाही को पांच-सात सालों से दबाकर रखा गया है,इधर आरोपी सरकारी सेवक न सिर्फ नौकरी कर रहा,बल्कि फील्ड पोस्टिंग लेकर मौज कर रहा.
प्रशांत कुमार बर्खास्त, पर दर्जनों आरोपी आज भी कर रहे नौकरी
भ्रष्टाचार से अकूत संपत्ति अर्जित करने के मामले में नीतीश कैबिनेट ने 3 अक्टूबर 2025 को निबंधन विभाग के एक एआईजी प्रशांत कुमार को बर्खास्त किया है. एआईजी के खिलाफ 2022 में केस दर्ज हुआ, तीन सालों में बर्खास्तगी भी हो गई. कई ऐसे विभाग हैं, जहां दर्जनों ऐसे मामले सालों-साल से लंबित हैं. विभागीय कार्यवाही को दबाकर करप्शन केस के आरोपी आऱाम से नौकरी कर रहे. नीतीश कैबिनेट ने तिरहुत प्रमंडल के तत्कालीन सहायक निबंधन महानिरीक्षक प्रशांत कुमार को सेवा से बर्खास्त कर दिया है. निबंधन विभाग के प्रस्ताव पर कैबिनेट ने स्वीकृति दे दी.
आरोप है कि प्रशांत कुमार ने सेवा काल में अकूत संपत्ति अर्जित की. विशेष निगरानी इकाई ने 9 नवंबर 2022 को भ्रष्टाचार अधिनियम के तहत केस दर्ज किया था. इन पर आय से 2 करोड़ 6 हजार रू अधिक अर्जित करने के आरोप हैं. निबंधन विभाग की तरफ से बताया गया है कि तिरहुत प्रमंडल के तत्कालीन सहायक निबंधन महानिरीक्षक प्रशांत कुमार के पटना मुजफ्फरपुर एवं सिवान के ठिकानों पर तलाशी ली गई थी. जिसमें विशेष निगरानी इकाई ने पाया था कि उन्होंने पत्नी एवं पुत्र के नाम पर प्लॉट की खरीद की है. जिसका मूल्य लगभग एक करोड़ 86 लाख रुपए है . इसके अलावा भारतीय स्टेट बैंक एवं अन्य बैंकों में 80 लाख रुपए, एनएससी में 20 लाख ,36 लाख के गहने व 2 वाहन क्रय किया गया है. पटना स्थित मकान की तलाशी में 2.40000 रुपए नगद एवं 30 लाख के गहने बरामद हुए थे.
सरकार का कहना है कि प्रशांत कुमार का आचरण बिहार सरकारी सेवक आचार नियमावली के खिलाफ रहा है. ऐसे में इन्हें सेवा से बर्खास्त किया जाता है. सरकार भ्रष्टाचार मुक्त प्रशासन के लिए कटिबद्ध है. भ्रष्टाचार में लिप्त कर्मियों के खिलाफ नियमानुसार दंड दिया जाएगा, ताकि भ्रष्टाचार पर नियंत्रण स्थापित हो सके.