ब्रेकिंग न्यूज़

Bihar News: बिहार में यहाँ नई रेल लाइनों का निर्माण जल्द, खर्च किए जाएंगे ₹17 हजार करोड़ Aadhaar Services : अब रात 8 बजे तक पटना में मिलेगी आधार सेवाएं, इस डाकघर में लागू हुई नई खास व्यवस्था Bihar News: पटना साहिब पर रुकेंगी बिहार की ये महत्वपूर्ण ट्रेनें, हजारों यात्रियों को बड़ी राहत Bihar Land Registry : बिहार में जमीन-मकान की रजिस्ट्री होगी पेपरलेस, सरकार ला रही नई निबंधन नियमावली 2025 Bihar News: बिहार के इस शहर की हवा सबसे खराब, आंकड़े देख विशेषज्ञों ने जारी की चेतावनी ,Bihar Home Department : "बिहार में भाजपा विधायक के PA पर गोलीबारी, सम्राट चौधरी के गृह विभाग में सुरक्षा सवालों के घेरे में" Train Coach Colors : ट्रेन के डिब्बों के रंग और पट्टियों के पीछे का राज, क्या आप जानते हैं क्यों होते हैं अलग-अलग रंग? MLC election registration : MLC चुनाव में आपको भी बनना है वोटर? तो घर बैठे ऐसे करें आवेदन, मिनटों में पूरी होगी प्रक्रिया Bihar News: कानून का दुरूपयोग करने वाले DM को पटना हाईकोर्ट ने लगाई फटकार, पीड़ित को मुआवजा देने का भी आदेश जारी Bihar Assembly : बिहार विधानसभा शीतकालीन सत्र का आज पांचवां और आखिरी दिन, ग्रामीण विकास मंत्री देंगे जीविका और सेकेंड सप्लीमेंट्री बजट की जानकारी

Bihar News: कानून का दुरूपयोग करने वाले DM को पटना हाईकोर्ट ने लगाई फटकार, पीड़ित को मुआवजा देने का भी आदेश जारी

Bihar News: पटना हाईकोर्ट ने डीएम के निर्वासन आदेश को गलत ठहराते हुए पीड़ित राकेश कुमार यादव को 1.10 लाख रुपये मुआवजा देने का निर्देश दिया है..

Bihar News

05-Dec-2025 08:30 AM

By First Bihar

Bihar News: पटना उच्च न्यायालय ने बिहार में निर्वासन कानून के दुरुपयोग पर कड़ा रुख अपनाते हुए सहरसा जिला प्रशासन को बड़ी फटकार लगाई है। न्यायमूर्ति राजीव रंजन प्रसाद और न्यायमूर्ति सौरेंद्र पांडे की खंडपीठ ने एक व्यक्ति को उसके घर से 60 किलोमीटर दूर पुलिस थाने में प्रतिदिन दो बार हाजिरी लगाने के लिए मजबूर करने को गंभीर मानवाधिकार उल्लंघन माना। अदालत ने राज्य सरकार को पीड़ित राकेश कुमार यादव को एक महीने के भीतर 1.10 लाख रुपये मुआवजा देने का स्पष्ट आदेश दिया है।


दरअसल, सहरसा के जिला मजिस्ट्रेट ने 20 मई 2025 को राकेश कुमार यादव के खिलाफ बिना ठोस सबूत के निर्वासन आदेश जारी कर दिया था। इस आदेश में उन्हें दो महीने तक रोजाना सुबह-शाम बसनही थाने में हाजिरी देने को कहा गया था, जबकि यह थाना उनके घर से करीब 60 किलोमीटर दूर है। राकेश पर महिसी थाने में शराब बिक्री और एक सरकारी स्कूल परिसर में ऑर्केस्ट्रा आयोजन से जुड़े दो छोटे-मोटे मामले दर्ज थे, लेकिन इनसे जनता या राज्य को कोई गंभीर खतरा साबित नहीं हुआ था।


अदालत ने इसे बिहार अपराध नियंत्रण अधिनियम, 1981 के प्रावधानों का स्पष्ट दुरुपयोग माना, जिसका मकसद केवल खतरनाक असामाजिक तत्वों पर अंकुश लगाना है, न कि आम नागरिकों को परेशान करना। कोर्ट ने सख्त लहजे में कहा कि ऐसे मनमाने आदेश संविधान प्रदत्त स्वतंत्रता के अधिकार का उल्लंघन हैं। साथ ही मुआवजे की राशि दोषी अधिकारियों, खासकर सहरसा डीएम से वसूलने का भी निर्देश दिया गया है।


इस महत्वपूर्ण फैसले की प्रति बिहार के गृह विभाग के प्रधान सचिव को सभी जिला मजिस्ट्रेटों तक भेजने को कहा गया है ताकि भविष्य में इस तरह की गलती दोहराई न जाए। अदालत का यह कदम राज्य में निर्वासन कानून के दुरुपयोग को रोकने की दिशा में मिसाल बनेगा और आम नागरिकों को अनावश्यक उत्पीड़न से राहत मिलेगी।