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28-Nov-2025 08:23 AM
By First Bihar
Bihar News: बिहार के कटिहार जिले के लोग अब पानी पीने से भी डरने लगे हैं। यहाँ जिला जल जांच प्रयोगशाला की ताजा रिपोर्ट ने तो सबको हिलाकर रख दिया है। सभी 16 प्रखंडों के भूजल सैंपल्स में आर्सेनिक और आयरन की मात्रा मानक सीमा से कई गुना ज्यादा निकली है। केमिस्ट ने बताया है कि ये प्रदूषक पश्चिम बंगाल के पानी जैसा ही घातक हैं, जहां ये सालों से लोगों की जान ले रहे हैं। आधुनिक मशीनों से विशेष केमिकल मिलाकर की गई जांच में साफ हो गया कि ये जहर धीरे-धीरे शरीर में घुसकर किडनी, लीवर और यहां तक कि कैंसर जैसी जानलेवा बीमारियां पैदा कर सकता है। जल संसाधन और स्वास्थ्य विभाग की रिपोर्ट कहती है कि जिले के ज्यादातर इलाकों में ये तत्व खतरे की घंटी बजा रहे हैं।
ये समस्या नई नहीं, लेकिन कटिहार में इसका फैलाव चिंताजनक है। बिहार सरकार की 2024-25 आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट के मुताबिक, राज्य के 31 जिलों के 26 फीसदी ग्रामीण वार्डों में आर्सेनिक, फ्लोराइड और आयरन का बोलबाला है। कटिहार इन्हीं में शुमार है, जहां 4709 वार्डों में आर्सेनिक और 21,709 में आयरन की अधिकता पाई गई। पश्चिम बंगाल की तरह यहां भी गंगा बेसिन के करीब होने से भूजल प्रभावित हो रहा है। विशेषज्ञों का कहना है कि हैंडपंपों पर ज्यादा निर्भरता, रासायनिक खादों का अंधाधुंध इस्तेमाल और फैक्ट्रियों का गंदा पानी इसमें जिम्मेदार हैं। लंबे समय तक ऐसे पानी का सेवन करने से त्वचा पर घाव, हड्डियों की कमजोरी और पेट की खराबी जैसी दिक्कतें आम हो जाएंगी।
प्रदूषण का असर सिर्फ वयस्कों तक सीमित नहीं है। हाल ही में नेचर जर्नल की एक स्टडी ने तो रोंगटे खड़े कर दिए हैं। कटिहार समेत छह जिलों की 40 महिलाओं के स्तन दूध में यूरेनियम पाया गया, जिसमें कटिहार के एक नमूने में सबसे ज्यादा मात्रा थी। ये यूरेनियम भूजल से ही आ रहा है जो आर्सेनिक के साथ मिलकर नवजातों के लिए जहर बन रहा है। डॉक्टरों का मानना है कि इससे बच्चों में कैंसर का खतरा 70 फीसदी तक बढ़ सकता है। केंद्रीय भूजल आयोग की रिपोर्ट भी बिहार को आयरन प्रभावित छह राज्यों में शुमार करती है, कटिहार जैसे जिले सबसे ज्यादा प्रभावित हैं। लोक स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग के आंकड़े बताते हैं कि 30,000 से ज्यादा ग्रामीण वार्डों का पानी पीने लायक ही नहीं रहा।
सरकार 'हर घर नल का जल' योजना चला रही है, जिसके तहत 83 लाख परिवारों को साफ पानी पहुंचाने का लक्ष्य है। लेकिन कटिहार जैसे इलाकों में फिल्टर प्लांट लगाना, वैकल्पिक जल स्रोत ढूंढना और जागरूकता फैलाना जरूरी है। विशेषज्ञ सलाह देते हैं कि फिलहाल उबला हुआ या आरओ वाटर इस्तेमाल करें और नियमित जांच करवाएं। अगर अभी नहीं चेते तो पश्चिम बंगाल की तरह बिहार भी लंबी लड़ाई लड़ने को मजबूर हो जाएगा। सुरक्षित पानी ही असली दवा है, इसे नजरअंदाज न करें।