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Bihar News: राज्य की सांस्कृतिक विरासत का विश्व में बजेगा डंका, बिहार संग्रहालय और नालंदा विश्वविद्यालय के बीच हुआ ऐतिहासिक करार

Bihar News: नालंदा विश्वविद्यालय और बिहार संग्रहालय के बीच हुए इस ऐतिहासिक करार से बिहार की सांस्कृतिक धरोहर को आने वाले समय में नया आयाम मिलने जा रहा..

Bihar News

07-Sep-2025 02:09 PM

By First Bihar

Bihar News: बिहार की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने और इसे विश्व स्तर पर पहचान दिलाने की दिशा में एक बड़ा ही महत्वपूर्ण कदम उठाया गया है। नालंदा विश्वविद्यालय और बिहार संग्रहालय ने एक ऐतिहासिक समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं जो बिहार के गौरवशाली इतिहास और संस्कृति को न केवल सहेजेगा बल्कि इसे आधुनिक तकनीक और शैक्षणिक अनुसंधान के माध्यम से नई पीढ़ी तक भी पहुंचाएगा। इस करार के तहत दोनों संस्थाएं मिलकर दुर्लभ पांडुलिपियों के डिजिटलीकरण, शोध परियोजनाओं और सांस्कृतिक कार्यक्रमों पर काम करेंगी।


इस समझौते के तहत नालंदा विश्वविद्यालय और बिहार संग्रहालय मिलकर अमूल्य पांडुलिपियों को डिजिटल रूप में संरक्षित करेंगे। ये पांडुलिपियां बिहार के प्राचीन ज्ञान और संस्कृति का खजाना हैं, जिन्हें डिजिटल माध्यम से न केवल सुरक्षित किया जाएगा बल्कि दुनिया भर के शोधकर्ताओं और इतिहास प्रेमियों के लिए आसानी से उपलब्ध भी कराया जाएगा। इसके अलावा, दोनों संस्थान संयुक्त रूप से शैक्षणिक पाठ्यक्रम तैयार करेंगे जो छात्रों को बिहार के इतिहास, संस्कृति और पुरातत्व के बारे में गहराई से समझने का मौका देंगे।


इस करार का एक और महत्वपूर्ण पहलू है सांस्कृतिक और शैक्षणिक कार्यक्रमों का आयोजन। प्रदर्शनियां, सम्मेलन और संगोष्ठियों के माध्यम से बिहार की समृद्ध परंपराओं को आम लोगों तक पहुंचाया जाएगा। साथ ही, संग्रहालय विज्ञान, पुरातत्व और इतिहास के क्षेत्र में विशेषज्ञों के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम भी शुरू किए जाएंगे। इन कार्यक्रमों का उद्देश्य नई पीढ़ी में बिहार की सांस्कृतिक विरासत के प्रति जागरूकता बढ़ाना और इस क्षेत्र में कुशल पेशेवर तैयार करना है।


नालंदा विश्वविद्यालय प्राचीन काल में विश्व का सबसे बड़ा शैक्षणिक केंद्र था, अब बिहार संग्रहालय के साथ मिलकर अपनी ऐतिहासिक विरासत को फिर से जीवंत करने जा रहा है। यह समझौता नालंदा की शैक्षणिक परंपरा को आधुनिक संग्रहालय विज्ञान के साथ जोड़कर बिहार की सांस्कृतिक धरोहर को नया आयाम देगा। यह सहयोग न केवल बिहार के लिए बल्कि पूरे देश के लिए गर्व का विषय है क्योंकि यह हमारी प्राचीन संस्कृति को सहेजने और इसे विश्व पटल पर प्रस्तुत करने का एक अनूठा प्रयास है।