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15-Dec-2025 07:28 AM
By First Bihar
Bihar Bhumi: बिहार में जमीन-जायदाद से जुड़े पुराने निबंधित दस्तावेजों को डिजिटल स्वरूप में उपलब्ध कराने की दिशा में बड़ा कदम उठाया गया है। उत्पाद एवं निबंधन विभाग द्वारा राज्यभर के 5 करोड़ 59 लाख से अधिक पुराने निबंधित दस्तावेजों को तेजी से डिजिटाइज किया जा रहा है। इस परियोजना के पूरा होने के बाद आम नागरिक अपने जमीन से जुड़े पुराने दस्तावेजों को घर बैठे ऑनलाइन देख और डाउनलोड कर सकेंगे।
प्राप्त जानकारी के मुताबिक, इस योजना को चरणबद्ध तरीके से पूरा किया जा रहा है। पहले चरण में वर्ष 1990 से 1995 के बीच निबंधित हुए करीब 35 लाख 50 हजार दस्तावेजों को ऑनलाइन अपलोड किया जा रहा है। इस चरण का लगभग 39 प्रतिशत कार्य पूरा हो चुका है, जबकि शेष दस्तावेजों का डिजिटाइजेशन तेजी से जारी है। उम्मीद है कि यह चरण जल्द ही पूर्ण कर लिया जाएगा।
वहीं, दूसरे और अंतिम चरण के अंतर्गत वर्ष 1908 से 1989 तक के अत्यंत पुराने निबंधित दस्तावेजों को डिजिटल रूप में बदला जा रहा है। इस श्रेणी में लगभग 5 करोड़ 24 लाख दस्तावेज शामिल हैं। विभाग ने अब तक 1 करोड़ 52 लाख से अधिक दस्तावेजों की स्कैनिंग कर उनका पीडीएफ तैयार कर लिया है। इन दस्तावेजों को क्रमवार और सुरक्षित तरीके से विभागीय वेबसाइट पर अपलोड किया जाएगा।
विभाग ने डिजिटाइजेशन की पूरी प्रक्रिया को तीन चरणों में विभाजित किया है। पहले चरण में पुराने दस्तावेजों की उच्च गुणवत्ता वाली स्कैनिंग कर उनका पीडीएफ तैयार किया जाता है। दूसरे चरण में दस्तावेजों से संबंधित आवश्यक जानकारियां, जैसे निबंधन तिथि, खाता-खेसरा विवरण और पक्षकारों का नाम, डिजिटल प्लेटफॉर्म पर दर्ज की जाती हैं। तीसरे और अंतिम चरण में इन दस्तावेजों को आम नागरिकों के लिए सार्वजनिक किया जाएगा, ताकि लोग आसानी से इन्हें खोज और एक्सेस कर सकें।
विभाग का लक्ष्य है कि 31 मार्च 2026 तक राज्य के सभी पुराने निबंधित दस्तावेजों को पूरी तरह ऑनलाइन उपलब्ध करा दिया जाए। इस पहल से न केवल आम लोगों को बड़ी राहत मिलेगी, बल्कि जमीन से जुड़े मामलों में पारदर्शिता भी बढ़ेगी और सरकारी कार्यप्रणाली अधिक सुदृढ़ होगी।
डिजिटाइजेशन के बाद लोगों को पुराने कागजात निकालने के लिए बार-बार निबंधन कार्यालयों के चक्कर नहीं लगाने पड़ेंगे। घर बैठे दस्तावेज देखने और डाउनलोड करने की सुविधा से समय और धन दोनों की बचत होगी। साथ ही विभाग का मानना है कि इस व्यवस्था से फर्जीवाड़े, दस्तावेजों में छेड़छाड़ और भूमि विवादों पर प्रभावी नियंत्रण लगाया जा सकेगा, जिससे आम जनता का भरोसा प्रशासनिक व्यवस्था पर और मजबूत होगा।