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14-Dec-2025 10:08 AM
By First Bihar
Bihar government : बिहार सरकार ने अपने अधिकारियों और कर्मचारियों को स्पष्ट संदेश दिया है कि यदि वे अपनी संपत्ति का सही और समय पर विवरण नहीं देंगे, तो उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। सामान्य प्रशासन विभाग की ओर से जारी निर्देश के अनुसार, सरकारी कर्मचारियों और अधिकारियों की ओर से घोषित की गई संपत्ति के अलावा किसी भी छुपाई गई संपत्ति पर भी जांच एजेंसियों की नजर रहेगी।
सरकारी अधिकारियों ने कहा है कि जांच केवल कर्मचारियों द्वारा घोषित संपत्ति तक सीमित नहीं रहेगी। यदि किसी संपत्ति का मूल्यांकन सही तरीके से नहीं किया गया है या किसी संपत्ति को छुपाने का संदेह है, तो सरकारी जांच एजेंसी कर्मचारी या अधिकारी को रडार पर ले सकती है। इस संबंध में अधिकारियों और कर्मचारियों को 31 दिसंबर तक संपत्ति का विवरण देने की अंतिम तिथि भी याद दिलाई गई है, और यही विवरण जांच का आधार भी बनेगा।
सामान्य प्रशासन विभाग ने इस दिशा में सख्त कदम उठाने की तैयारी कर ली है। विभाग ने स्पष्ट किया है कि 15 फरवरी तक संपत्ति का विवरण नहीं देने वाले अधिकारियों और कर्मचारियों का वेतन रोकने की भी चेतावनी जारी की गई है। यह कदम यह सुनिश्चित करने के लिए उठाया गया है कि सभी सरकारी कर्मचारियों और अधिकारियों द्वारा संपत्ति संबंधी जानकारी सही समय पर और सही ढंग से दी जाए।
इस योजना के तहत, बिहार सरकार की ओर से आने वाले 28 फरवरी तक सभी अधिकारियों और कर्मचारियों से उनकी चल और अचल संपत्तियों के साथ-साथ उनके सभी दायित्वों का विवरण मांगा गया है। विभाग ने यह भी स्पष्ट किया है कि यह विवरण सरकारी वेबसाइट पर 31 मार्च को अपडेट कर दिया जाएगा।
सभी कार्यालयों में वेतन निकासी की मंजूरी देने वाले अधिकारियों को निर्देश दिया गया है कि वे फरवरी महीने के अंत तक सभी विवरण नियंत्रित विभाग को भेजें। सामान्य प्रशासन विभाग ने सभी विभागों को इस संबंध में आधिकारिक पत्र भी भेजा है, जिसमें स्पष्ट रूप से कहा गया है कि संपत्ति का विवरण समय पर न देने वाले कर्मचारियों और अधिकारियों के खिलाफ 27 अगस्त 2001 को जारी अधिसूचना के तहत कार्रवाई की जाएगी।
अधिकारियों ने बताया कि यह प्रक्रिया केवल औपचारिकता नहीं है, बल्कि इसका उद्देश्य सरकारी संपत्ति और अधिकारियों के व्यक्तिगत संपत्ति के बीच पारदर्शिता सुनिश्चित करना है। जांच एजेंसियों की नजर में केवल घोषित संपत्ति ही नहीं, बल्कि यदि किसी संपत्ति को छुपाने या उसका सही विवरण न देने का संदेह है, तो वह भी जांच के दायरे में आएगा।
इस आदेश से सभी सरकारी कर्मचारियों और अधिकारियों के लिए यह अनिवार्य हो गया है कि वे अपने संपत्ति संबंधी विवरण समय पर और पूरी ईमानदारी से प्रस्तुत करें। विभाग का कहना है कि यह कदम सरकारी कार्य प्रणाली में पारदर्शिता बढ़ाने, भ्रष्टाचार को रोकने और अधिकारियों व कर्मचारियों के बीच जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए उठाया गया है।
सामान्य प्रशासन विभाग ने यह भी कहा है कि विभाग की वेबसाइट पर अपडेट की जाने वाली जानकारी सार्वजनिक होगी और इससे सभी विभागों में पारदर्शिता बढ़ेगी। सभी कर्मचारियों और अधिकारियों को यह सुनिश्चित करना होगा कि वे समय पर संपत्ति का पूरा विवरण प्रस्तुत करें, ताकि किसी प्रकार की अनावश्यक परेशानी से बचा जा सके।
सरकारी अधिकारियों के अनुसार, यह पहल बिहार में सरकारी प्रणाली को अधिक जवाबदेह बनाने और भ्रष्टाचार को रोकने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। सभी कर्मचारियों और अधिकारियों को सलाह दी गई है कि वे अपने संपत्ति विवरण को पूरी ईमानदारी और पारदर्शिता के साथ प्रस्तुत करें, ताकि विभागीय प्रक्रिया सुचारू रूप से चल सके और किसी भी तरह की कानूनी कार्रवाई से बचा जा सके।
बिहार सरकार के इस निर्देश से यह स्पष्ट हो गया है कि संपत्ति का विवरण समय पर और सही तरीके से प्रस्तुत करना अब कर्मचारियों के लिए अनिवार्य हो गया है। विभाग ने साफ किया है कि किसी भी प्रकार की अनदेखी या विलंब की स्थिति में कार्रवाई निश्चित है। इस आदेश का पालन न करने वाले अधिकारियों और कर्मचारियों को न केवल वेतन में रुकावट का सामना करना पड़ेगा, बल्कि उनके खिलाफ कड़ी जांच और कानूनी कार्रवाई भी हो सकती है।
इस तरह, बिहार सरकार ने अधिकारियों और कर्मचारियों को संपत्ति विवरण देने के लिए कड़ा संदेश भेजा है। 28 फरवरी तक संपत्ति विवरण जमा करना सभी के लिए अनिवार्य होगा, और इसके अनुपालन की निगरानी सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा की जाएगी। यह पहल सरकार की पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़ाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम मानी जा रही है।