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08-Oct-2025 11:57 AM
By First Bihar
Bihar Politics: केंद्रीय मंत्री और हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (HAM) के राष्ट्रीय संरक्षक जीतन राम मांझी ने बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर NDA में सीट बंटवारे को लेकर अपनी स्पष्ट प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने इस मुद्दे पर कहा कि हमारी पार्टी ने अपनी मांगें भाजपा के सामने स्पष्ट रूप से रख दी हैं। मांझी ने बताया कि उनकी पार्टी की एकमात्र प्राथमिकता यह है कि उन्हें ऐसी संख्या में सीटें मिलें, जिससे हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा राष्ट्रीय स्तर की पार्टी के रूप में स्थापित हो सके। उन्होंने यह भी साफ किया कि उनकी पार्टी को किसी भी पद की लालसा नहीं है, चाहे वह प्रधानमंत्री का हो या उपमुख्यमंत्री का। उनका कहना है कि उनका मुख्य उद्देश्य अपनी पार्टी को राजनीतिक रूप से मजबूत बनाना है और इसे राष्ट्रीय मान्यता दिलाना है।
HAM के राष्ट्रीय संरक्षक ने आगे कहा कि उनका फोकस केवल और केवल पार्टी की विस्तार योजना और संगठनिक मजबूती पर है। उन्होंने जोर देकर कहा कि यदि उनकी पार्टी को पर्याप्त संख्या में सीटें नहीं दी जाती हैं, तो उनका यह निर्णय है कि उनका अगला कदम चुनाव में भाग न लेना होगा। मांझी के अनुसार, यह उनके लिए किसी भी राजनीतिक समझौते या पद की चाहत से कहीं अधिक महत्वपूर्ण है कि उनकी पार्टी का भविष्य और पहचान सुनिश्चित हो।
जब उनसे पूछा गया कि अगर भाजपा उनके डिमांड पूरी नहीं करती है तो आगे की रणनीति क्या होगी, तो मांझी ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि ऐसी स्थिति में उनकी पार्टी बिहार में चुनाव नहीं लड़ेगी। उन्होंने कहा कि यह कदम उनके लिए मजबूरी नहीं बल्कि रणनीतिक निर्णय है, ताकि पार्टी का संगठन मजबूत हो और इसके कार्यकर्ताओं और समर्थकों का विश्वास कायम रहे। उनके अनुसार, चुनाव में भाग लेने का उद्देश्य केवल सत्ता तक पहुंचना नहीं है, बल्कि अपनी पार्टी को स्थायी राजनीतिक पहचान दिलाना भी है। इसके बाद उन्होंने ट्वीट करते हुए लिखा है कि, “हो न्याय अगर तो आधा दो, यदि उसमें भी कोई बाधा हो, तो दे दो केवल 15 ग्राम, रखो अपनी धरती तमाम, HAM वही ख़ुशी से खाएंगें, परिजन पे असी ना उठाएँगे”।
गठबंधन से अलग होने के सवाल पर मांझी ने कहा कि उनका उद्देश्य किसी भी हालत में गठबंधन से अलग होना नहीं है। उन्होंने स्पष्ट किया कि उनका गठबंधन से अलग होना नहीं बल्कि यह तय है कि उनके कोई भी उम्मीदवार चुनाव मैदान में नहीं उतरेगा। उनका मानना है कि राजनीतिक समझौते और सीट बंटवारा किसी भी पार्टी के संगठनिक विकास और भविष्य के लिए महत्वपूर्ण होते हैं। इसलिए, उनकी पार्टी गठबंधन के प्रति वफादार रहेगी, लेकिन चुनाव में भाग न लेने का निर्णय एक रणनीतिक कदम के रूप में लिया जाएगा।
उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि HAM का मकसद केवल बिहार तक सीमित नहीं है। उनका उद्देश्य राष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बनाना है। इसके लिए उन्हें पर्याप्त सीटें मिलना आवश्यक है, ताकि पार्टी का आधार मजबूत हो और भविष्य में राष्ट्रीय राजनीति में अपनी भागीदारी सुनिश्चित कर सके। मांझी ने जोर देकर कहा कि उनका उद्देश्य सत्ता या पद पाने का नहीं है, बल्कि पार्टी की मजबूती और विस्तार है।
HAM के इस रुख ने साफ संदेश दे दिया है कि छोटे दल भी अपनी मांगों और राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं के लिए सशक्त निर्णय लेने में सक्षम हैं। जीतन राम मांझी का यह स्पष्ट बयान यह संकेत देता है कि यदि उनकी पार्टी की मांगों को नजरअंदाज किया गया, तो वे केवल चुनावी मैदान में भाग न लेने का विकल्प चुनेंगे, लेकिन गठबंधन से पूरी तरह अलग नहीं होंगे। इसका मतलब यह है कि HAM गठबंधन में बनी रहेगी, लेकिन उनकी राजनीतिक रणनीति अपने संगठन और भविष्य के विकास पर केंद्रित होगी।
इस पूरे संदर्भ में यह देखा जा सकता है कि जीतन राम मांझी का दृष्टिकोण स्पष्ट और निर्णायक है। वे किसी भी स्थिति में केवल पद और सत्ता की लालसा में अपने संगठनिक उद्देश्य को बलि नहीं चढ़ाएंगे। उनका यह रुख यह भी दर्शाता है कि छोटे दल भी राष्ट्रीय स्तर पर अपनी राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं को लेकर सशक्त निर्णय ले सकते हैं और गठबंधन के भीतर अपनी पहचान बनाए रख सकते हैं।
इस तरह, जीतन राम मांझी ने बिहार में आगामी विधानसभा चुनाव से पहले अपनी पार्टी की रणनीति को स्पष्ट रूप से सामने रखा है। उनके अनुसार, HAM का प्राथमिक उद्देश्य केवल राजनीतिक पदों या सत्ता में हिस्सेदारी नहीं है, बल्कि यह सुनिश्चित करना है कि उनकी पार्टी को राष्ट्रीय पहचान मिल सके। उन्होंने यह स्पष्ट किया कि यदि उनकी मांगों को पूरा नहीं किया जाता है, तो उनका अगला कदम चुनाव में भाग न लेना होगा, लेकिन गठबंधन से अलग होना उनकी योजना में शामिल नहीं है।
इस पूरी रणनीति और स्पष्ट रुख ने राजनीतिक गलियारे में यह संदेश भेज दिया है कि जीतन राम मांझी और उनकी पार्टी HAM अपनी राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं को लेकर गंभीर हैं। उनका उद्देश्य केवल वर्तमान सत्ता में शामिल होना नहीं, बल्कि दीर्घकालिक संगठनिक विकास और राष्ट्रीय स्तर पर पहचान बनाना है।