जिम में पसीना बहाते तेज प्रताप का वीडियो वायरल, TY Vlog से बढ़ी लोकप्रियता SBI का ATM काटकर 16 लाख की लूट, गार्ड नहीं रहने के कारण बदमाशों ने दिया घटना को अंजाम पटना में 25 जगहों पर बनेंगे वेंडिंग जोन, GIS मैपिंग और कचरा प्रबंधन को मिलेगी रफ़्तार: मंत्री नितिन नवीन देवघर के युवक की जमुई में गोली मारकर हत्या, दोस्तों के साथ पूजा में शामिल होने आया था विनोद सहरसा में जेई लूटकांड का खुलासा: हथियार और लूटे गये सामान के साथ अपराधी गिरफ्तार दरभंगा में बीजेपी नेता के घर 10 लाख की चोरी, बंद घर को चोरों ने बनाया निशाना जमुई में पत्थर से कुचलकर 10 साल के बच्चे की हत्या, पड़ोसी ने दिया घटना को दिया अंजाम, पुलिस ने दबोचा ‘आ जाऊंगा यार, I love you..’, लेडी DSP कल्पना वर्मा केस में फोटो और चैट वायरल, पुलिस महकमे में हड़कंप ‘आ जाऊंगा यार, I love you..’, लेडी DSP कल्पना वर्मा केस में फोटो और चैट वायरल, पुलिस महकमे में हड़कंप मुकेश अंबानी के समधी अजय पीरामल ने पटना साहिब में मत्था टेका, पहली बार किया पावन दरबार का दर्शन
05-Oct-2025 09:19 AM
By First Bihar
Bihar Election 2025 : बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की तैयारियां अब अंतिम चरण में हैं। चुनाव आयोग ने एसआईआर के तहत फाइनल वोटर लिस्ट जारी कर दी है और अनुमान है कि अक्टूबर के दूसरे हफ्ते में चुनाव तारीखों का ऐलान हो जाएगा। इसी बीच बीजेपी ने अपनी चुनावी रणनीति पर काम तेज कर दिया है। इस बार पार्टी का लक्ष्य एनडीए गठबंधन के तहत अधिक से अधिक सीटें जीतने का है, लेकिन इसके साथ ही वह सत्ता विरोधी लहर की चुनौती का भी सामना कर रही है।
साल 2020 के विधानसभा चुनाव में आरजेडी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी, जबकि बीजेपी दूसरे नंबर पर रही थी। मौजूदा समय में पार्टी के 80 विधायक और 22 मंत्री सत्ता विरोधी लहर से जूझ रहे हैं। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में एनडीए सरकार चुनावी तैयारी में जुटी है और नीतीश पांचवीं बार सीएम बनने की उम्मीद कर रहे हैं।
नीतीश कुमार की सरकार ने हाल के महीनों में कई नई योजनाओं की घोषणा की है, जिनसे जनता के बीच नाराजगी को कम करने की कोशिश की जा रही है। बीजेपी को उम्मीद है कि इन योजनाओं के जरिए सत्ता विरोधी लहर को कुछ हद तक कमजोर किया जा सकेगा। इसके साथ ही पार्टी इस बार नए और साफ-सुथरे चेहरों पर दांव लगाने की तैयारी में है। हालांकि, मौजूदा विधायकों को टिकट से वंचित करना पार्टी के लिए बड़ा और जोखिम भरा कदम साबित हो सकता है।
बीजेपी के एक वरिष्ठ नेता के अनुसार, “विभिन्न वर्गों के लिए घोषित नई योजनाओं ने एनडीए की संभावनाओं को मजबूत किया है, लेकिन जनता की नाराजगी मौजूदा विधायकों के प्रति अब भी कायम है।” यही वजह है कि इस बार बिहार में मुकाबला सत्ता विरोधी लहर बनाम सरकार की रियायतों के बीच देखने को मिलेगा।
सूत्रों के अनुसार, पिछले हफ्ते हुई कोर ग्रुप बैठक में उम्मीदवारों के नामों पर चर्चा की गई। बैठक में टिकट बंटवारे को लेकर गुजरात फॉर्मूले का जिक्र हुआ। गुजरात में बीजेपी ने 2022 विधानसभा चुनाव से पहले अपने कई पुराने विधायकों और मंत्रियों के टिकट काट दिए थे, और नई टीम बनाकर लगातार सातवीं बार सत्ता हासिल की थी। इसी तरह 2019 लोकसभा चुनाव से पहले छत्तीसगढ़ में भी सभी मौजूदा सांसदों को बदला गया था — और परिणाम पार्टी के पक्ष में रहा था।
हालांकि, बिहार बीजेपी के कुछ नेता मानते हैं कि गुजरात जैसी बड़ी फेरबदल की संभावना यहां नहीं है, क्योंकि बिहार का राजनीतिक और सामाजिक समीकरण पूरी तरह अलग है। एक नेता ने कहा, “बीजेपी को साफ-सुथरे और विश्वसनीय चेहरों की ज़रूरत है, लेकिन बिहार में टिकट बंटवारा बेहद संवेदनशील मसला है।”
बीजेपी के नवनियुक्त बिहार चुनाव प्रभारी, केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने सीट शेयरिंग को लेकर जेडीयू के साथ बातचीत शुरू कर दी है। पार्टी का लक्ष्य इस बार 101 से 104 सीटों पर चुनाव लड़ने का है। इसके लिए उसे कुछ मौजूदा विधायकों को बदलकर जीतने वाले उम्मीदवारों को तलाशना होगा। पार्टी में ऐसे भी विधायक हैं जिनकी उम्र 75 वर्ष से अधिक है, लेकिन उम्र टिकट कटने का मुख्य कारण नहीं होगा।
बीजेपी नेताओं के मुताबिक, बिहार गुजरात नहीं है, यहां पार्टी का पूर्ण प्रभुत्व नहीं है और स्थानीय स्तर पर कई सशक्त दावेदार हैं। ऐसे में गुजरात वाला फॉर्मूला लागू करना जोखिम भरा हो सकता है। कर्नाटक का उदाहरण सबके सामने है, जहां टिकट न मिलने से बागी नेताओं ने पार्टी को बड़ा नुकसान पहुंचाया था।
वहीं, नीतीश कुमार की जेडीयू सीट शेयरिंग को लेकर सख्त रुख में है। उसके पास 45 मौजूदा विधायक हैं और पार्टी उनमें से लगभग आधे चेहरों को बदल सकती है। दूसरी ओर, जनसुराज आंदोलन के संस्थापक प्रशांत किशोर ने हाल ही में नीतीश कुमार के डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी पर हत्या के मामले में आरोपी होने और उम्र छिपाने का आरोप लगाकर नई राजनीतिक बहस छेड़ दी है।
बीजेपी के एक सांसद के अनुसार, “हमें अब नया नैरेटिव गढ़ने की ज़रूरत है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह के नेतृत्व में तो चुनाव लड़ा ही जाएगा, लेकिन बिहार में स्थानीय और साफ छवि वाले चेहरों को सामने लाना होगा। जनता अब ईमानदार और भरोसेमंद नेताओं को प्राथमिकता दे रही है।”आपको बताते चलें कि, बिहार चुनाव 2025 में मुकाबला केवल पार्टियों के बीच नहीं, बल्कि चेहरों की विश्वसनीयता और जनता के भरोसे की जंग होगी और बीजेपी का पूरा दांव इसी संतुलन पर टिका है।