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ANANT SINGH : विधानसभा चुनाव से पहले बाहुबली पूर्व विधायक अनंत सिंह को बड़ी राहत; इस केस में पटना कोर्ट ने किया बरी

ANANT SINGH : यह मामला 6 अप्रैल 2022 को बेऊर जेल में हुई छापेमारी से जुड़ा हुआ है। उस समय जेल प्रशासन ने अनंत सिंह की बैरक से मोबाइल फोन, सिगरेट और अन्य

ANANT SINGH

26-Sep-2025 08:47 AM

By First Bihar

ANANT SINGH : बिहार की राजनीति में बाहुबली छवि के लिए मशहूर पूर्व मोकामा विधायक अनंत सिंह को गुरुवार को पटना की एक विशेष अदालत से बड़ी राहत मिली। एमपी-एमएलए स्पेशल कोर्ट ने उन्हें उस मामले में बरी कर दिया, जो साल 2022 में पटना के बेऊर जेल में हुई छापेमारी से जुड़ा था। अदालत ने सबूतों के अभाव में यह फैसला सुनाते हुए कहा कि अभियोजन पक्ष आरोप साबित करने में नाकाम रहा है।


क्या था पूरा मामला?

यह मामला 6 अप्रैल 2022 को बेऊर जेल में हुई छापेमारी से जुड़ा हुआ है। उस समय जेल प्रशासन ने अनंत सिंह की बैरक से मोबाइल फोन, सिगरेट और अन्य आपत्तिजनक सामान मिलने का दावा किया था। इस आधार पर बेऊर थाने में उनके खिलाफ केस दर्ज किया गया। केस आईपीसी की धारा 188, 414, 353 और प्रिजनर एक्ट की धारा 52 के तहत दर्ज हुआ था।

अभियोजन पक्ष ने इस मामले में पांच गवाहों को पेश किया और उनके बयान दर्ज करवाए। लेकिन अदालत ने पाया कि गवाहों की गवाही और प्रस्तुत साक्ष्य इतने पुख्ता नहीं हैं कि आरोप सिद्ध हो सके। इसके बाद स्पेशल कोर्ट के जज अपर मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी पंकज कुमार मालवीय की अदालत ने अनंत सिंह को बरी कर दिया।


चुनाव से पहले राहत

यह फैसला ऐसे समय आया है, जब बिहार विधानसभा चुनाव का बिगुल बजने ही वाला है। राजनीति में हमेशा चर्चा में रहने वाले अनंत सिंह ने हाल ही में मीडिया के सामने यह ऐलान किया था कि वे मोकामा विधानसभा सीट से खुद चुनाव लड़ेंगे। दिलचस्प बात यह है कि उन्होंने यह भी कहा कि वे इस बार जेडीयू के टिकट पर मैदान में उतरना चाहते हैं। ऐसे में कोर्ट का यह फैसला उनके लिए चुनावी दृष्टिकोण से एक बड़ी राहत और मजबूती साबित हो सकता है।


पहले भी कई बार विवादों में रहे अनंत सिंह

अनंत सिंह का राजनीतिक करियर जितना चमकदार रहा है, उतना ही विवादों से भी भरा रहा है। उन पर हत्या, रंगदारी, अपहरण और आर्म्स एक्ट जैसे कई गंभीर मामलों में आरोप लगे हैं। सबसे चर्चित मामला वह था, जिसमें उनके घर से एके-47 और हैंड ग्रेनेड बरामद हुआ था। उस केस में निचली अदालत ने उन्हें 10 साल की सजा सुनाई थी। हालांकि, बाद में पटना हाई कोर्ट से उन्हें जमानत मिल गई।


इसी साल जनवरी में भी वे सुर्खियों में आए, जब सोनू-मोनू गैंग के साथ हुई फायरिंग की घटना में उनका नाम सामने आया। उस मामले में भी उन्हें कुछ महीने जेल में रहना पड़ा। अगस्त 2025 में जमानत मिलने के बाद वे जेल से बाहर आए और सक्रिय राजनीति में वापसी की तैयारी शुरू कर दी।


पत्नी नीलम देवी की एंट्री और सियासी समीकरण

जब अनंत सिंह जेल में थे, तब मोकामा विधानसभा सीट पर उपचुनाव हुआ। उस समय उनकी पत्नी नीलम देवी ने आरजेडी के टिकट पर चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। इसके बाद मोकामा की राजनीति में नीलम देवी सक्रिय हो गईं। हालांकि, कुछ ही समय बाद उन्होंने पाला बदलकर जेडीयू जॉइन कर लिया। अब जबकि अनंत सिंह खुद चुनाव मैदान में उतरने की तैयारी कर रहे हैं, ऐसे में परिवार और दलगत राजनीति दोनों ही स्तर पर समीकरण दिलचस्प हो गए हैं।


मोकामा सीट पर मुकाबला होगा रोचक

मोकामा विधानसभा सीट बिहार की राजनीति में हमेशा से हॉट सीट रही है। यहां अनंत सिंह का दशकों से प्रभाव माना जाता है। उनके समर्थकों का बड़ा वोटबैंक है, जो हर चुनाव में निर्णायक भूमिका निभाता है। हालांकि, पिछले कुछ वर्षों में बदलते सियासी समीकरण और उनकी पत्नी नीलम देवी की सक्रियता ने इस सीट पर राजनीतिक तस्वीर को और जटिल बना दिया है।


अगर अनंत सिंह जेडीयू के टिकट पर चुनाव लड़ते हैं, तो यह गठबंधन के भीतर भी हलचल मचा सकता है। आरजेडी, जो पहले नीलम देवी को टिकट देकर मोकामा जीत चुकी है, अब अपने उम्मीदवार की तलाश करेगी। वहीं, एनडीए के अन्य दलों पर भी इसका असर पड़ सकता है।


अदालत का फैसला और भविष्य की राह

अनंत सिंह की छवि भले ही बाहुबली नेता की रही हो, लेकिन उनके समर्थक उन्हें "सिंह साहब" कहकर अपना नेता मानते हैं। अदालत का ताजा फैसला उनके राजनीतिक करियर के लिए एक टर्निंग प्वॉइंट साबित हो सकता है। सबूतों के अभाव में बरी होना उनके लिए न सिर्फ कानूनी राहत है बल्कि चुनावी तैयारी में भी नया उत्साह भरने वाला कदम है। आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि जेडीयू उन्हें टिकट देती है या नहीं। अगर वे खुद निर्दलीय चुनाव लड़ते हैं तो भी मुकाबला बेहद रोचक होने वाला है।