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13-Jun-2025 07:57 AM
By First Bihar
Bihar News: बिहार के मुजफ्फरपुर के अहियापुर थाना क्षेत्र से एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जहां दो साल पहले स्मैक के साथ गिरफ्तार एक शख्स को फॉरेंसिक जांच में मिली राहत ने सबको हैरान कर दिया। अहियापुर पुलिस ने कोल्हुआ पैगंबरपुर के रहने वाले परशुराम सहनी को स्मैक के 15 पुड़िया के साथ गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था। लेकिन एफएसएल (फॉरेंसिक साइंस लेबोरेटरी) की जांच में यह साबित हुआ कि वह पदार्थ स्मैक नहीं, बल्कि खैनी (तंबाकू) था। इस खुलासे के बाद कोर्ट ने परशुराम को बरी कर दिया है।
दरअसल, 20 जुलाई 2023 की रात लगभग 1 बजे, अहियापुर थाना क्षेत्र में बूढ़ी गंडक नदी के बांध के पास इमली चौक के निकट पुलिस ने स्मैक की खरीद-बिक्री की सूचना पर छापेमारी की। उस दौरान पुलिस अवर निरीक्षक अमित कुमार के नेतृत्व में पुलिस बल ने परशुराम सहनी को गिरफ्तार किया। तलाशी के दौरान उसकी जेब से 15 पुड़िया जब्त की गईं, जिन्हें पुलिस ने स्मैक बताया। प्रत्येक पुड़िया का वजन लगभग 0.44 ग्राम था, कुल वजन 6.60 ग्राम था। पुलिस ने 19 सितंबर 2023 को एनडीपीएस (नारकोटिक्स ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्सटेंस) एक्ट के तहत विशेष कोर्ट में चार्जशीट दाखिल की। अभियोजन पक्ष ने केस के समर्थन में 6 गवाहों और 13 साक्ष्यों को पेश किया। इसके बाद से मामला कोर्ट में विचाराधीन था।
वहीं, परशुराम की जमानत याचिका पर हाईकोर्ट ने मामले के त्वरित निष्पादन के निर्देश देते हुए एफएसएल निदेशक से जांच रिपोर्ट शीघ्र प्रस्तुत करने को कहा। लगभग दो साल बाद, इस साल 26 मई को एफएसएल गन्नीपुर की रिपोर्ट आई, जिसे 29 मई को पुलिस ने कोर्ट में पेश किया। रिपोर्ट में स्पष्ट किया गया कि जब्त पदार्थ स्मैक नहीं बल्कि निकोटीन युक्त खैनी है। इस तथ्य के आधार पर विशेष कोर्ट ने 10 जून 2025 को परशुराम सहनी को बरी कर दिया। विशेष कोर्ट के न्यायाधीश नरेंद्रपाल सिंह ने कहा कि एफएसएल रिपोर्ट के अनुसार अपराध सिद्ध नहीं होता, अतः आरोपी को बरी किया जाना न्यायसंगत है। उन्होंने पुलिस से इस तरह की गलत गिरफ्तारी से बचने और जांच में सतर्कता बरतने की हिदायत दी।
परशुराम सहनी ने मीडिया से बातचीत में कहा कि उन्हें निर्दोष साबित होने में दो साल लग गए, जो उनके जीवन और परिवार के लिए बहुत कठिन समय था। उन्होंने पुलिस की गलती की निंदा की और कहा कि फॉरेंसिक जांच को समय पर पूरा किया जाना चाहिए था। नारकोटिक्स विशेषज्ञों का कहना है कि स्मैक और खैनी में भौतिक और रासायनिक अंतर होता है, जिसे उचित फॉरेंसिक जांच के बिना निर्धारित करना मुश्किल है। इस प्रकार की गलतफहमियां न केवल व्यक्तियों के लिए नुकसानदायक होती हैं, बल्कि न्याय प्रक्रिया पर भी असर डालती हैं।