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Bihar News: बिहार के सैंड आर्टिस्ट मधुरेंद्र कुमार ने रचा इतिहास, सोनपुर मेला में किया ऐसा काम कि एशियन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में दर्ज हो गया नाम

Bihar News: सोनपुर मेला में 50 अद्वितीय रेत मूर्तियां बनाकर बिहार के सैंड आर्टिस्ट मधुरेंद्र कुमार ने एशियन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में अपना नाम दर्ज कर इतिहास रच दिया।

Bihar News

14-Dec-2025 07:06 PM

By FIRST BIHAR

Bihar News: एशिया के सबसे बड़े ऐतिहासिक सोनपुर मेला से बिहार के लिए गर्व की बड़ी खबर सामने आई है। अंतरराष्ट्रीय सैंड आर्टिस्ट मुंगेर निवासी मधुरेंद्र कुमार ने इतिहास रचते हुए एशियन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में अपना नाम दर्ज करा लिया है। 50 अद्वितीय रेत मूर्तियां बनाकर उन्होंने न सिर्फ सोनपुर मेला, बल्कि पूरे बिहार को वैश्विक पहचान दिलाई है।


पौराणिक गज–ग्राह युद्ध और भगवान विष्णु द्वारा सुदर्शन चक्र से ग्राह वध की कथा को जीवंत करती ये रेत मूर्तियां कला का अद्भुत उदाहरण हैं। सोनपुर मेला में पहली बार किसी सैंड आर्टिस्ट ने ऐसा कीर्तिमान स्थापित किया है। माधुरेंद्र ने एशियन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स अपने नाम कर लिया। 


संगठन की ओर से उपलब्धि प्रमाण पत्र, मेडल और स्मृति चिन्ह डाक द्वारा भेजे गए हैं। यह पहला मौका नहीं है जब मधुरेंद्र ने इतिहास रचा हो। सोनपुर मेला 2022 में उन्होंने 150 टन बालू से 20 फीट ऊंची और 50 फीट लंबी विराट रेत प्रतिमा का निर्माण किया था, जो आज भी एशिया की सबसे विशाल प्रदर्शित रेत प्रतिमाओं में गिनी जाती है। 


मुंगेर के रहने वाले मधुरेंद्र कुमार की कला यात्रा बचपन से ही शुरू हो गई थी। महज 3 साल की उम्र में उनकी प्रतिभा सामने आ गई थी, जबकि 5 वर्ष की आयु में नदी तट पर बनाई गई रेत मूर्तियों ने उन्हें पहचान दिलाई। साल 2005 में उन्होंने सोनपुर मेला में गज–ग्राह युद्ध पर रेत प्रतिमा बनाकर सैंड आर्ट की परंपरा की शुरुआत की थी। 


गंडक–गंगा संगम, हरिहरनाथ मंदिर परिसर, मुख्य पंडाल और मेला के प्रमुख स्थलों पर बनी उनकी रचनाएं हर साल आकर्षण का केंद्र रहती हैं। देखो अपना देश, अयोध्या राम मंदिर, ग्रीन एंड क्लीन सोनपुर, शराबबंदी जागरूकता जैसे सामाजिक संदेश भी उनकी कला का हिस्सा रहे हैं। 


भगवान विष्णु की 50 रेत मूर्तियों के इस रिकॉर्ड ने मधुरेंद्र कुमार को सोनपुर मेला के इतिहास में अमर बना दिया है। इससे पहले वे लंदन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में नाम दर्ज कराने वाले दुनिया के पहले भारतीय रेत कलाकार भी बन चुके हैं।निस्संदेह, यह उपलब्धि पूरे बिहार, पूरे देश और कला जगत के लिए गर्व का विषय है।