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18-Sep-2025 06:47 PM
By First Bihar
GAYA: गया में बिजली विभाग के जूनियर इंजीनियर शंभू कुमार को 50 हजार घूस लेते विजिलेंस ने रंगेहाथ दबोचा था। भ्रष्टाचार के खिलाफ निगरानी अन्वेषण ब्यूरों ने कार्रवाई की है। निगरानी अन्वेषण ब्यूरों में दर्ज कांड में न्यायालय ने उक्त जेई शंभू कुमार को दोषी करार दिया है। निगरानी कोर्ट ने आरोपी शंभू कुमार को एक साल की सजा और 25 हजार रुपये अर्थदंड लगाया है। जुर्माने की राशि जमा नहीं करने पर एक महीने का अतिरिक्त कारावास होगा।
18.09.2025 को मो० रूस्तम, माननीय न्यायाधीश, निगरानी, पटना द्वारा अभियुक्त श्री शंभू कुमार, तत्कालीन कनीय अभियंता, विद्युत आपूर्ति अवर प्रमंडल, ग्रामीण गया, विद्युत विभाग, जिला गया को भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 की धारा 13(2) सह पठित धारा 13 (1) (d) के तहत निगरानी थाना कांड संख्या-37/2013 (विशेष वाद सं-44/2013) में दोषी ठहराया गया।
यह मामला शंभू कुमार, तत्कालीन कनीय अभियंता, विद्युत आपूर्ति अवर प्रमंडल, ग्रामीण गया, विद्युत विभाग, जिला गया द्वारा शिकायतकर्ता श्री शशि शेखर सिंह, पे०-हरिहर सिंह, मगध कॉलोनी, रोड नं0-11, पो० चन्दौती, थाना मगध मेडिकल कॉलेज, गया से उनकी की पत्नी श्रीमती संगीता देवी के ट्रांसफार्मर एसेम्बलिंग कारखाने में विद्युत कनेक्शन प्रदान करने के लिए रिश्वत माँगने का आरोप लगाया गया। जिसमें आरोपी को 50,000/- रूपया रिश्वत लेते गिरफ्तार किया गया।
इस मामले का तत्कालीन अनुसंधानकर्ता पुलिस निरीक्षक, प्रद्युम्न सिंह, निगरानी अन्वेषण ब्यूरो, बिहार, पटना द्वारा सटीक और समय पर आरोप-पत्र दायर किया। बिहार सरकार की ओर से विजय भानू, विशेष लोक अभियोजक निगरानी (ट्रैप केसेज) पटना ने प्रभावी तरीके से पैरवी की और आरोपी को दोष सिद्ध कराने में सफलता हासिल की।
शंभू कुमार, तत्कालीन कनीय अभियंता, विद्युत आपूर्ति अवर प्रमंडल, ग्रामीण गया, विद्युत विभाग, जिला- गया को भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा-7 में एक वर्ष सश्रम कारावास एवं 25,000/- (पच्चीस हजार) रूपये का अर्थदण्ड लगाया गया है। धारा-13 (2) सह पठित धारा 1 3(1)(d) में एक वर्ष सश्रम कारावास एवं 25,000/- (पच्चीस हजार) रूपये का अर्थदण्ड लगाया गया है। अर्थदण्ड की राशि नहीं जमा करने पर एक महीने का अतिरिक्त साधारण कारावास होगा।
अब तक वर्ष 2025 में कुल 18 भ्रष्टाचार के विभिन्न मामलों में न्यायालय द्वारा सजा सुनायी जा चुकी है। ये सभी दोषसिद्ध की कार्रवाई मो० रूस्तम, माननीय न्यायाधीश, निगरानी के न्ययालय पटना द्वारा की गई है। पिछले वर्ष 2024 में कुल 18 मामलों में सजा सुनायी गयी थी। इस प्रकार इस वर्ष न्यायालयों द्वारा अधिक मामलों में सजा सुनाये जाने की कार्यवाही की गयी है। निगरानी अन्वेषण ब्यूरो द्वारा अभियोजन की कार्यवाही लगातार जारी है।