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21-May-2025 04:39 PM
By First Bihar
Bihar Teacher News: बिहार में शिक्षकों की ऑनलाइन उपस्थिति प्रणाली "ई-शिक्षा कोष" के बावजूद कुछ शिक्षक अब भी विभाग को लगातार चकमा दे रहे हैं। उपस्थिति प्रक्रिया में फेरबदल और हेराफेरी के कई मामले सामने आने लगे हैं। हाल ही में बांका जिले में भी दो शिक्षकों के खिलाफ इस तरह की गड़बड़ी उजागर हुई है। इस मामले में जिला कार्यक्रम पदाधिकारी ने संबंधित शिक्षकों को स्पष्टीकरण नोटिस जारी किया है।
वहीं स्पष्टीकरण के लिए बेलहर प्रखंड के प्रोन्नत मध्य विद्यालय कुराबा की शिक्षिका प्रियम मधु और बाराहाट प्रखंड के उत्क्रमित उच्च विद्यालय महुआ की शिक्षिका संध्या कुमारी को जारी किया गया है। दोनों को आदेश दिया गया है कि वे विद्यालय में स्वयं उपस्थित होकर तीन दिनों के भीतर साक्ष्य सहित अपना स्पष्टीकरण प्रस्तुत करें।
संध्या कुमारी की 15 मई की उपस्थिति में 'इन' और 'आउट' समय पर अलग-अलग फोटो अपलोड किए गए हैं, जो विद्यालय परिसर से बाहर के प्रतीत होते हैं। यह प्रथम दृष्टया ई-शिक्षा कोष प्रणाली में टेंपरिंग की ओर इशारा करता है। वहीं प्रियम मधु की 13 से 20 मई तक की उपस्थिति संदेह के घेरे में है। जांच में सामने आया है कि इस दौरान वह न केवल विद्यालय से अनुपस्थित थीं, बल्कि बांका जिला की सीमा से भी बाहर रहकर मोबाइल ऐप से हाजिरी लगा रही थीं। इन और आउट दोनों समयों के फोटो अलग-अलग हैं और विद्यालय परिसर से मेल नहीं खाते।
डीपीओ स्थापना ने स्पष्ट कहा है कि विभाग को धोखा देने वाले शिक्षकों को किसी भी सूरत में बख्शा नहीं जाएगा। मुख्यालय स्तर पर एक विशेष सेल का गठन किया गया है, जो शिक्षकों की डिजिटल उपस्थिति का मिलान मैनुअल अभिलेखों से कर रही है। फिलहाल जिले में एक दर्जन से अधिक शिक्षकों की संदिग्ध उपस्थिति की जांच चल रही है। दोनों शिक्षिकाओं के स्पष्टीकरण के बाद विभागीय कार्रवाई की जाएगी, जिसमें निलंबन, वेतन रोक और अनुशासनात्मक कार्यवाही शामिल हो सकती है।
बिहार सरकार द्वारा शिक्षक उपस्थिति की निगरानी के लिए "ई-शिक्षा कोष" मोबाइल ऐप लागू किया गया है, जिसका उद्देश्य शिक्षकों की स्कूल में समय पर उपस्थिति सुनिश्चित करना और शैक्षणिक गुणवत्ता को बेहतर बनाना है। परंतु हालिया घटनाएं इस प्रणाली की सुरक्षा और निगरानी व्यवस्था पर सवाल उठा रही हैं। सूत्रों के अनुसार, कई शिक्षक लोकेशन स्पूफिंग ऐप्स और फोटो एडिटिंग टूल्स का उपयोग कर विभाग को गुमराह कर रहे हैं। यह न सिर्फ शिक्षा व्यवस्था के प्रति लापरवाही दर्शाता है, बल्कि सरकारी संसाधनों का दुरुपयोग भी है।