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16-Sep-2025 10:46 AM
By First Bihar
BIHAR NEWS : अररिया जिले में फुलकाहा थाना के एएसआई (दारोगा) राजीव रंजन मल्ल की हत्या के मामले में कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया। अररिया के अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश-01 (एडीजे-01) रवि कुमार ने इस चर्चित मामले में 18 आरोपियों को दोषी करार देते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई। साथ ही सभी दोषियों पर 20-20 हजार रुपये का आर्थिक दंड भी लगाया गया है। यदि यह जुर्माना अदा नहीं किया गया तो सभी को अतिरिक्त एक-एक साल की कैद भुगतनी होगी।
यह फैसला एसटी मुकदमा संख्या 539/2025 में सुनाया गया। यह मामला उस समय पूरे प्रदेश में सुर्खियों में आया था जब सरकारी कामकाज के दौरान कर्तव्य निर्वहन कर रहे एक पुलिस अधिकारी की भीड़ ने हत्या कर दी थी। अदालत ने इसे कानून व्यवस्था पर हमला और प्रशासनिक व्यवस्था को चुनौती मानते हुए दोषियों को कठोर सजा दी।
अदालत से उम्रकैद की सजा पाने वालों में अररिया जिले के लक्ष्मीपुर फुलकाहा के रूपेश कुमार यादव, मनीष प्रसाद यादव, ओमप्रकाश यादव, गुड्डू यादव, जयदेव यादव, रंजीत यादव और मुकेश यादव शामिल हैं। वहीं, खैरा चंदा नरपतगंज के कुंदन यादव, प्रमोद यादव, ललन यादव और अनमोल यादव को भी आजीवन कारावास की सजा दी गई है। इसके अलावा मिर्जापुर फुलकाहा के शंभू यादव, ललित कुमार, मिथुन, गुड्डू यादव, गौरव कुमार और पंकज यादव भी सजा पाए हैं। साथ ही सुपौल जिला के भीमपुर निवासी प्रभु यादव को भी दोषी मानते हुए कोर्ट ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई है।
सरकार की ओर से पीपी रामानंद मंडल और एपीपी प्रभा कुमारी मंडल ने बताया कि 12 मार्च 2025 की रात लगभग 10 बजकर 45 मिनट पर फुलकाहा थाना के एएसआई राजीव रंजन मल्ल को गुप्त सूचना मिली थी कि मिर्जापुर गांव निवासी सुभाष यादव के घर उसकी पुत्री की शादी में अवैध गतिविधियों का अड्डा बना हुआ है। जानकारी के मुताबिक उस समारोह में गांजा तस्करी और शराब तस्करी में शामिल लोग बड़ी संख्या में मौजूद थे।
सूचना पर दारोगा राजीव रंजन मल्ल पुलिस बल के साथ मौके पर पहुंचे। जैसे ही पुलिस ने दबिश दी, वहां मौजूद तस्कर और असामाजिक तत्व बेकाबू हो गए। उन्होंने पुलिस टीम पर हमला बोल दिया। पहले तो धक्का-मुक्की हुई, फिर देखते ही देखते स्थिति हाथापाई और हिंसक झड़प में बदल गई। इस हमले में पुलिसकर्मी गंभीर रूप से चोटिल हुए और मारपीट के दौरान दारोगा राजीव रंजन मल्ल की मौत हो गई।
इस घटना के बाद इलाके में सनसनी फैल गई। कानून-व्यवस्था की सुरक्षा और पुलिस पर हमला करने के इस मामले को बेहद गंभीरता से लिया गया। फुलकाहा थाना में कांड संख्या 40/2025 दर्ज किया गया। इसमें दारोगा की हत्या का मुकदमा दर्ज कर पुलिस ने जांच शुरू की। जांच के क्रम में केस आईओ ने लगातार छानबीन की और सभी आरोपियों की संलिप्तता के सबूत इकट्ठे किए। कई गवाहों के बयान और घटनास्थल से मिले साक्ष्यों के आधार पर 31 मई 2025 को 18 आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की गई। इसके बाद यह मामला ट्रायल कोर्ट में चला और महीनों की सुनवाई के बाद अदालत ने सभी को दोषी मानते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई।
अदालत ने अपने फैसले में कहा कि यह घटना न केवल एक पुलिस अधिकारी की हत्या का मामला है बल्कि यह कानून के शासन पर हमला भी है। दोषियों का अपराध सामूहिक और योजनाबद्ध था, इसलिए इन्हें कठोरतम दंड मिलना आवश्यक है। अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि ऐसी घटनाएं पुलिस और कानून व्यवस्था की प्रतिष्ठा पर चोट करती हैं। इसलिए इस मामले में नरमी बरतने का कोई आधार नहीं बनता।