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1st Bihar Published by: First Bihar Updated Sat, 24 May 2025 11:29:43 AM IST
पति की लंबी उम्र के लिए रखा जाने वाला पवित्र व्रत - फ़ोटो Google
Vat savitri vrat 2025: हर साल ज्येष्ठ अमावस्या को मनाया जाने वाला वट सावित्री व्रत इस वर्ष 26 मई को रखा जाएगा। यह व्रत विवाहित महिलाओं के लिए बेहद खास होता है, जो अपने पति की लंबी उम्र, सुख-समृद्धि और वैवाहिक जीवन की खुशहाली के लिए यह व्रत रखती हैं। इस दिन वट वृक्ष (बरगद का पेड़) की विशेष पूजा की जाती है, जिसका धार्मिक दृष्टि से विशेष महत्व है।
व्रत की पौराणिक कथा:
इस व्रत का प्रारंभ राजा अश्वपति की पुत्री सावित्री द्वारा किया गया था, जिन्होंने अपने मृत पति सत्यवान को वट वृक्ष के नीचे यमराज से वापस जीवन दिलवाया था। तभी से यह व्रत सुहागिन महिलाओं द्वारा अखंड सौभाग्य और पति की दीर्घायु के लिए किया जाता है।
वट वृक्ष का धार्मिक महत्व:
शास्त्रों में कहा गया है कि वट वृक्ष के तने में भगवान विष्णु, जड़ों में ब्रह्मा और शाखाओं में भगवान शिव का वास होता है। इसकी नीचे की ओर झुकती शाखाओं को देवी सावित्री का स्वरूप माना जाता है। इसी कारण महिलाएं इस वृक्ष की पूजा कर उसकी परिक्रमा करती हैं और अपने पति के सुखी जीवन की कामना करती हैं।
व्रत की तिथि और समय:
इस साल अमावस्या तिथि 26 मई को दोपहर 12:12 बजे से शुरू होकर 27 मई को सुबह 8:32 बजे समाप्त होगी। चूंकि शास्त्रों के अनुसार अमावस्या तिथि यदि दिन के मध्य में हो, तो व्रत उसी दिन रखा जाता है। इसलिए इस बार व्रत 26 मई को मनाया जाएगा। वट सावित्री व्रत सिर्फ एक परंपरा नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति में स्त्री की श्रद्धा, शक्ति और समर्पण का प्रतीक है। यह व्रत महिलाओं के अटूट विश्वास और जीवनसाथी के प्रति प्रेम को दर्शाता है।