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Chaitra Amavasya 2025: चैत्र अमावस्या की डेट; शुभ मुहूर्त, महत्व और पूजा विधि

सनातन धर्म में अमावस्या तिथि का विशेष महत्व होता है, और चैत्र अमावस्या को पवित्र नदियों में स्नान, दान-पुण्य और पितरों के तर्पण के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है। इस दिन गंगा स्नान करने से पापों का नाश होता है और पुण्य की प्राप्ति होती है।

चैत्र अमावस्या

Chaitra Amavasya 2025: सनातन धर्म में चैत्र अमावस्या का विशेष महत्व होता है। इस दिन बड़ी संख्या में श्रद्धालु गंगा समेत पवित्र नदियों में आस्था की डुबकी लगाते हैं और स्नान-ध्यान के बाद भगवान महादेव और मां गंगा की पूजा करते हैं। 2025 में चैत्र अमावस्या के दिन न्याय के देवता शनिदेव राशि परिवर्तन करेंगे और इस दिन सूर्य ग्रहण भी लगेगा, जिससे इसका धार्मिक और ज्योतिषीय महत्व और बढ़ जाता है।


चैत्र अमावस्या का महत्व

धार्मिक मान्यता है कि चैत्र अमावस्या के दिन गंगा स्नान करने से जाने-अनजाने में किए गए पाप नष्ट हो जाते हैं और सुख-सौभाग्य में वृद्धि होती है। इस दिन पूजा, जप-तप और दान-पुण्य करने से अश्वमेध यज्ञ के समान फल मिलता है।


चैत्र अमावस्या 2025 तिथि और शुभ मुहूर्त

वैदिक पंचांग के अनुसार, चैत्र अमावस्या तिथि 28 मार्च 2025 को रात 07:55 बजे शुरू होगी और 29 मार्च को शाम 04:27 बजे समाप्त होगी। सनातन धर्म में उदया तिथि को मान्यता दी जाती है, इसलिए चैत्र अमावस्या 29 मार्च 2025 को मनाई जाएगी।


शुभ योग

इस दिन ब्रह्म और इंद्र योग का संयोग बन रहा है। साथ ही दुर्लभ शिववास योग भी बन रहा है। इन शुभ योगों में गंगा स्नान और भगवान शिव की पूजा करने से परम पुण्यदायी फल मिलता है और सभी प्रकार के कष्टों से मुक्ति मिलती है। इसके अलावा, पितृ दोष से भी छुटकारा पाने के लिए यह दिन अत्यंत शुभ माना जाता है।


चैत्र अमावस्या 2025 पंचांग

सूर्योदय - सुबह 06:15 बजे

सूर्यास्त - शाम 06:37 बजे

ब्रह्म मुहूर्त - सुबह 04:42 से 05:28 तक

विजय मुहूर्त - दोपहर 02:30 से 03:19 तक

गोधूलि मुहूर्त - शाम 06:36 से 06:59 तक

निशिता मुहूर्त - रात्रि 12:02 से 12:49 तक


चैत्र अमावस्या पर करने योग्य कार्य

गंगा स्नान – इस दिन गंगा या किसी पवित्र नदी में स्नान करने से पापों का नाश होता है।

भगवान शिव की पूजा – महादेव की विशेष आराधना करने से सभी कष्ट दूर होते हैं।

पितरों का तर्पण – पितरों की शांति के लिए तर्पण और पिंडदान करना अत्यंत फलदायी माना जाता है।

दान-पुण्य – गरीबों को अन्न, वस्त्र और दक्षिणा दान करने से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है।

सूर्य उपासना – इस दिन सूर्य देव को अर्घ्य देने से विशेष लाभ मिलता है।

चैत्र अमावस्या एक महत्वपूर्ण तिथि है, जिसे धर्म-कर्म, पूजा-पाठ और दान-पुण्य के लिए बेहद शुभ माना जाता है। इस दिन किए गए धार्मिक कार्यों से न केवल मनुष्य को आध्यात्मिक लाभ प्राप्त होता है, बल्कि जीवन में सुख-समृद्धि और शांति भी आती है।