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1st Bihar Published by: First Bihar Updated Wed, 18 Jun 2025 07:56:10 AM IST
बिहार की राजीनीति में हलचल - फ़ोटो GOOGLE
Bihar Politics: बाबा साहब डॉ. भीमराव अंबेडकर के कथित अपमान को लेकर बिहार की राजनीति में भूचाल आया हुआ है। इस मुद्दे पर राष्ट्रीय जनता दल (RJD) और कांग्रेस (INC Bihar) दोनों दलों के भीतर खासकर दलित और पिछड़ा वर्ग के कार्यकर्ताओं में असंतोष और गहरी नाराजगी देखी जा रही है।
दरअसल, बिहार के उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी अपने X( पूर्व में ट्विटर) पर एक पोस्ट किया है जिसमें लिखा है कि "बाबा साहब के अपमान को लेकर @RJDforIndia और @INCBiharमें अंदरूनी हलचल चल रही है। चर्चा है कि इस मामले पर दोनों दलों के दलित कार्यकर्ताओं का मानना है कि बाबा साहब के अपमान की दुर्भाग्यपूर्ण घटना पर लालू प्रसाद जी या तेजस्वी जी को सार्वजनिक खेद प्रकट करके माफ़ी माँग लेनी चाहिए। लेकिन ‘परिवार’ इसके लिए तैयार नहीं हो रहा। लालू परिवार का कहना है कि कुछ भी हो जाये वो माफ़ी नहीं माँगेंगे। खैर जो भी हो ये आरजेडी का आंतरिक मामला है। लेकिन जिस ढंग से लालू परिवार से माफ़ी की माँग चौतरफा हो रही। उनकी पार्टी के दलित-पिछड़ा कार्यकर्ताओं का आक्रोश स्वाभाविक है। मगर ‘परिवार पार्टी’ में तो परिवार की ही चलेगी।"
वहीं, RJD और कांग्रेस दोनों दलों के दलित कार्यकर्ताओं का मानना है कि इस दुर्भाग्यपूर्ण घटना पर लालू प्रसाद यादव या तेजस्वी यादव को सामने आकर सार्वजनिक रूप से खेद प्रकट करना चाहिए। कार्यकर्ताओं का कहना है कि बाबा साहब का अपमान सिर्फ एक राजनीतिक चूक नहीं, बल्कि उनके आत्मसम्मान पर आघात है, जिसकी भरपाई बिना माफ़ी के संभव नहीं।
हालांकि खबर है कि लालू परिवार इस मुद्दे पर माफ़ी मांगने को तैयार नहीं है। परिवार का रुख स्पष्ट है कि "कुछ भी हो जाए, हम माफ़ी नहीं माँगेंगे।" इसी के चलते पार्टी के अंदर दलित और पिछड़ा वर्ग के कार्यकर्ता खुद को उपेक्षित महसूस कर रहे हैं। एक RJD पदाधिकारी ने नाम न बताने की शर्त पर कहा, "पार्टी के शीर्ष नेतृत्व को कम से कम बयान देकर सफाई देनी चाहिए। लेकिन अफ़सोस की बात है कि 'परिवार पार्टी' में सिर्फ परिवार की ही चलती है। आम कार्यकर्ता की बात कोई नहीं सुनता।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि अगर इस मुद्दे को गंभीरता से नहीं लिया गया, तो यह RJD की दलित समर्थन आधार को कमजोर कर सकता है। बिहार में दलित और पिछड़ा वर्ग चुनावों में निर्णायक भूमिका निभाता है, और ऐसे में इस समुदाय की नाराज़गी पार्टी के लिए राजनीतिक नुकसान में बदल सकती है। कांग्रेस की ओर से भी इस मुद्दे पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया अब तक नहीं आई है, जिससे पार्टी कार्यकर्ताओं में असमंजस है।
हाल ही में एक सार्वजनिक कार्यक्रम में बाबा साहब अंबेडकर को लेकर की गई टिप्पणी को अपमानजनक माना गया। इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ, जिसके बाद से राजनीतिक और सामाजिक संगठनों में रोष फैल गया। RJD और कांग्रेस, जो खुद को सामाजिक न्याय की ध्वजवाहक पार्टियाँ कहती हैं, उन पर "मौन समर्थन" का आरोप लगाया जा रहा है।
दलित संगठनों ने तेजस्वी यादव से जवाब मांगा है और स्पष्ट किया है कि अगर जल्दी ही माफी नहीं मांगी गई, तो आंदोलनात्मक कदम उठाए जाएंगे। पटना, दरभंगा, आरा और गया जैसे जिलों में स्थानीय स्तर पर धरना और विरोध प्रदर्शन की योजना बनाई जा रही है। बाबा साहब के अपमान जैसे संवेदनशील मुद्दे पर राजनीतिक दलों का रवैया सिर्फ पार्टी के भीतर की राजनीति नहीं, बल्कि जनता में उनकी स्वीकार्यता को भी प्रभावित करता है। अगर RJD और कांग्रेस नेतृत्व ने जल्द कोई स्पष्ट कदम नहीं उठाया, तो आने वाले विधानसभा या लोकसभा चुनावों में इसका खामियाजा भुगतना पड़ सकता है।