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22-Jan-2025 05:19 PM
PATNA: बिहार की नीतीश सरकार का हाल देखिये. पूरे राज्य में सरकारी खजाना पिछले 20 दिनों से लॉक है. यानि किसी भी सरकारी ट्रेजरी से एक पैसे की निकासी नहीं हो पा रही है. सूबे में पिछले 20 दिनों से सरकारी कर्मचारियों-अधिकारियों के वेतन और बिल के भुगतान का काम अटका पड़ा है. इससे पूरे राज्य में हाहाकार मचा हुआ है. वित्तीय वर्ष 2024-25 खत्म होने जा रहा है, लिहाजा सारे ट्रेजरी में पैसे के भुगतान के लिए लिए बिल सरकार के पास इसका कोई जवाब नहीं है कि ट्रेजरी से पैसे की निकासी कब शुरू होगी.
20 दिनों से खजाना लॉक
दरअसल, बिहार सरकार ने अपने सारे ट्रेजरी को ऑनलाइन बना रखा है. वेतन, भत्ता, पेंशन हो या फिर ठेकेदारों को भुगतान. सारा काम ट्रेजरी के जरिये ऑनलाइन होता है. सरकार के सारे ट्रेजरी वित्त विभाग के व्यापक वित्तीय प्रबंधन प्रणाली (CFMS) के जरिये काम करते हैं. करीब 20 दिन पहले राज्य सरकार ने इस सॉफ्टवेयर का अपग्रेडेड वर्जन CFMS 2.0 लागू किया है. उस दिन से सारे ट्रेजरी में काम बंद हो गया है.
अब हालत ये है कि ट्रेजरी में न किसी विभाग का ना वेतन डिमांड अपलोड हो पा रहा है और ना ही ठेकेदार का बिल भुगतान के लिए सिस्टम पर चढ़ पा रहा है. नतीजा ये है कि कई जिलों में सरकारी शिक्षकों को वेतन नहीं मिला है. सरकार ने वेतन के लिए पैसे जारी कर दिये हैं लेकिन उसका भुगतान ट्रेजरी के जरिये होना है. ट्रेजरी काम ही नहीं कर रहा है तो वेतन कैसे मिलेगा.
हालांकि गनीमत की बात ये है कि इस नये सॉफ्टवेयर के लागू होने से पहले सरकारी कर्मचारियों-अधिकारियों के वेतन का पैसा ट्रेजरी से निकाला जा चुका था. लिहाजा जो सीधे सरकार के अधीन काम कर रहे उन्हें वेतन मिल गया. लेकिन शिक्षकों से लेकर कई दूसरे कर्मचारियों-अधिकारियों का वेतन लटक गया है. वहीं, बिहार में काम कर रहे सारे ठेकेदारों का बिल लटक गया है. उन्हें भी ट्रेजरी के जरिये बिल का भुगतान होना था. अगले कुछ दिनों में अगर सिस्टम दुरुस्त नहीं हुआ तो वेतन और बिल भुगतान के लिए भारी कोहराम मच सकता है.
विधायकों-विधान पार्षदों को वेतन नहीं
हद देखिये कि सिस्टम में गड़बड़ी के कारण बिहार के विधायकों और विधान पार्षदों तक को वेतन नहीं मिला है. एक एमएलएसी ने कहा कि सारे विधान पार्षदों को हर महीने की 1 से 3 तारीख के बीच वेतन मिल जाता था, लेकिन इस बार उन्हें अभी तक वेतन नहीं मिला है. विधान पार्षद ने कहा कि एमएलसी और स्टाफ को छोड़िए, विधान परिषद के सभापति तक को भी वेतन नहीं मिला है. जिन शिक्षकों और विभागों ने 2 जनवरी के बाद वेतन भुगतान का बिल दिया उन सब का पेमेंट भी रुका हुआ है. ठेकेदार और वेंडर्स भी बिल भुगतान के लिए भटक रहे हैं.
टीसीसी के कारण हुई गड़बड़ी
बिहार सरकार ने वेतन और बिल भुगतान का ऑनलाइन सिस्टम को संचालित करने का जिम्मा टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (टीसीएस) को दे रखा है. सरकारी अधिकारी कह रहे है कि टीसीएस के कारण ये संकट आया है. टीएससी से जुड़े लोग ऑफ द रिकार्ड बता रहे हैं कि करीब 3000 करोड़ रूपये का भुगतान फंसा हुआ है. लेकिन, सरकारी सूत्रों का दावा है कि 20 हजार करोड़ से ऊपर का पेमेंट अटका हुआ है.
नये सॉफ्टवेयर से खड़ा हुआ संकट
वित्त विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि टीसीएस काफी समय से ट्रेजरी के लिए CFMS 2.0 वर्जन चालू करने की कोशिश में थी क्योंकि उसने सरकार से इस सॉफ्टवेयर को लगाने का करार कर रखा है. नये सॉफ्टवेयर को चालू किए बिना टीसीएस के बिल का पूरा भुगतान नहीं हो पा रहा है. हालांकि वित्त विभाग के अधिकारी इसे टाल रहे थे. टीसीएस ने पहले भी CFMS 2.0 सॉफ्टवेयर लागू किया था तो ट्रेजरी ठप्प हो गये थे.
वित्त विभाग के अधिकारी के मुताबिक टीसीएस ने 2019 में CFMS 2.0 वर्जन को चालू किया था तो इसी तरह की समस्या आई थी. तब इस सॉफ्टवेयर को रोक दिया गया था. ऐसे में वित्त विभाग पहले की तरह CFMS 1.0 वर्जन पर चल रहा था. 2019 में जब नए वर्जन 2.0 को लागू किया गया तो पुराने लेन-देन और बिल सिस्टम से गायब हो गए थे. इसके बाद वित्त विभाग ने टीसीएस को वापस 1.0 वर्जन पर जाने कहा और 2.0 को लागू करने की प्रक्रिया में हुई गड़बड़ी को हाथ से ठीक करना पड़ा. तब से विभाग सॉफ्टवेयर के पुराने वर्जन पर ही काम कर रहा था.
सरकारी सूत्रों के मुताबिक इस बार वित्त विभाग ने दूसरे विभागों को अलर्ट किए बगैर ही CFMS का नया वर्जन चालू कर दिया. जबकि नियम ये है कि नई तकनीक आने पर सारे विभागों को सूचित किया जाता है. लेकिन इस बार ऐसा कुछ नहीं किया गया. लिहाजा, सरकार में हाहाकार मचा है. पथ निर्माण, भवन निर्माण जैसे विभागों के अधिकारियों ने बताया कि हालत ये है कि भवन, सड़क और पुल बनाने वाले ठेकेदार बिल भुगतान के लिए भटक रहे हैं.
सरकार के कई अधिकारियों ने बताया कि टीसीएस किसी तरह CFMS 2.0 लागू करने के लिए हड़बड़ में थी. उसका बिल फंसा हुआ है और उसे पैसे चाहिये थे. लेकिन असली जिम्मेवारी तो वित्त विभाग की थी. इसे वित्तीय वर्ष के आखिरी तिमाही में इस तरह का रिस्क लेने से बचना चाहिए था. ये ऐसा समय है जब ट्रेजरी में बिल का बाढ़ आ जाती है. अब सारा भुगतान फंस गया है.
ब्यूरो रिपोर्ट, फर्स्ट बिहार-झारखंड, पटना