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20-Dec-2024 11:44 PM
खरमास वह समय होता है जब सूर्य देव धनु राशि में होते हैं। सूर्य के इस राशि परिवर्तन के कारण यह समय विशेष रूप से शुभ कार्यों के लिए निषेध माना जाता है। इस साल, खरमास 15 दिसंबर से शुरू हो चुका है और 14 जनवरी 2025 तक रहेगा। इस दौरान कोई भी मांगलिक कार्य जैसे शादी-ब्याह, गृह प्रवेश आदि नहीं किए जाते हैं, क्योंकि इन्हें अशुभ माना जाता है।
खरमास में क्या करना चाहिए?
पूजा-पाठ और मंत्र जाप:
इस समय में रोजाना पूजा-पाठ करना चाहिए। विशेष रूप से सूर्य देव की पूजा करें और उन्हें जल अर्पित करके सूर्य मंत्रों का जाप करें। इसके अलावा, कृष्ण और विष्णु भगवान की पूजा से भी जीवन में शांति और सुख-समृद्धि आती है। बृहस्पति ग्रह की पूजा भी लाभकारी होती है, क्योंकि इससे आपके बिगड़े काम सुधर सकते हैं।
तुलसी की पूजा:
खरमास में तुलसी माता की पूजा करना विशेष शुभ होता है। आप शाम को तुलसी के पौधे के पास दीपक भी जला सकते हैं, इससे घर में शांति और समृद्धि बनी रहती है।
सोने का तरीका:
खरमास में बिस्तर का त्याग कर फर्श पर गद्दे बिछाकर सोना शुभ माना जाता है। इससे घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
पत्तलों में भोजन:
स्टील, कांच आदि बर्तनों की बजाय पत्तल में भोजन करना इस समय शुभ माना जाता है, जिससे घर में सुख और बरकत बनी रहती है।
खरमास में क्या नहीं करना चाहिए?
कोई मांगलिक कार्य न करें:
इस दौरान शादी-ब्याह, गृह प्रवेश, जमीन या वाहन खरीदना, मुंडन, जनेऊ संस्कार आदि जैसे मांगलिक कार्यों से बचना चाहिए। अगर आप इन कार्यों को करते हैं तो यह आपके लिए अशुभ फल ला सकते हैं।
व्यापार और वित्तीय लेन-देन:
खरमास में कोई नया व्यापार शुरू न करें और न ही किसी से महत्वपूर्ण वित्तीय डील करें। यह समय इन कार्यों के लिए उपयुक्त नहीं होता है।
तामसिक भोजन से बचें:
खरमास के दौरान मांस, मछली, प्याज, लहसुन, शराब और धूम्रपान जैसे तामसिक आहार से बचना चाहिए।
बेटी की विदाई:
यदि आपकी बेटी की शादी हो चुकी है, तो खरमास के दौरान उसे घर से विदा करना शुभ नहीं होता है। विदाई का यह कार्य खरमास समाप्त होने के बाद ही करना चाहिए।
दूसरों से बुरा व्यवहार:
अगर घर में कोई गरीब या दुखी व्यक्ति आता है और कुछ मांगता है, तो उसे अपशब्द या बुरा न कहें। उसे सहायता दें और उसे सम्मान से व्यवहार करें, ताकि आपके जीवन में नकारात्मक प्रभाव न आए।
खरमास का समय विशेष रूप से आत्मनिरीक्षण, पूजा और ध्यान करने का होता है। इस समय को शुभ कार्यों से बचने और अपने आचार-व्यवहार को सुधारने के रूप में इस्तेमाल करें। यह समय आपकी आंतरिक शांति और सकारात्मक ऊर्जा को बढ़ाने का है।