PATNA : पटना यूनिवर्सिटी के डिग्री को पश्चिम बंगाल ने फर्जी मानकर देबाशिष पंडित पाल को नौकरी से निकाल दिया है. दरअसल पटना यूनिवर्सिटी के दूर शिक्षा निदेशालय से बीलिस और एमलिस करने वाले देबाशिष पंडित पाल यूनिवर्सिटी के गोल्ड मेडलिस्ट हैं. इसी आधार पर उन्होंने पश्चिम बंगाल में जॉब के लिए अप्लाई किया था और उनका सलेक्शन भी हो गया.
लेकिन नौकरी के बाद डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन में देबाशिष फंस गये और पश्चिम बंगाल सरकार ने उनकी बीलिस की डिग्री को अवैध बताया, जबकि एमलिस की डिग्री सही है. पश्चिम बंगाल की सरकार ने उन्हें बीलिस की डिग्री को सही प्रूफ करने के लिए समय भी दिया गया, लेकिन पटना यूनिवर्सिटी से कोई मदद नहीं मिल सकी. जिसके बाद अब पियू के गोल्ड मेडलिस्ट देबाशिष को नौकरी से हाथ धोना पड़ा.
देबाशिष का कहना है कि इस तरह के काफी स्टूडेंट्स अभी भी नौकरी कर रहे हैं, लेकिन वे कभी भी डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन में फंस सकते हैं. इस कारण स्टूडेंट्स पीयू प्रशासन से इस डिग्री को वैध करने की मांग कर रहे हैं. डिप्लोमा और सर्टिफिकेट के विभिन्न कोर्स की डिग्री अब भी अवैध है. इसे अब तक वैध नहीं किया गया है.
बताया जा रहा है कि सत्र 2016 में पीयू के दूर शिक्षा निदेशालय को मान्यता नहीं मिली थी. लेकिन, डिस्टेंस मोड में एडमिशन ले लिया गया. जब डिग्री की वैधता पर सवाल उठना शुरू हुआ, तो पीयू ने आनन-फानन में बीए और बीकॉम के सभी स्टूडेंट्स को रेगुलर मोड से डिग्री दे दी. लेकिन डिप्लोमा और सर्टिफिकेट कोर्स वाले स्टूडेंट की डिग्री अभी भी अवैध है. वहीं इस बारे में डीन स्टूडेंट्स वेलफेयर प्रो एनके झा ने कहा कि एक साल के कोर्स के कारण मामला फंस गया है. हमलोग स्टूडेंट्स के पक्ष में हैं. इस संबंध में कोर्स कर चुके स्टूडेंट्स की डिग्री को वैध करने की मांग की गयी है. अभी कोर्ट में मामला चल रहा है. इस संबंध में कुछ विशेष टिप्पणी नहीं की जा सकती है.उस समय के सारे डिग्री रद्द कर फ्रेश डिग्री देने की अनुमति के लिए पत्र भी लिखा गया है.