'विपक्ष के पास नहीं है कोई मुद्दा : चिराग पासवान ने कहा- 10 सालों से PM हैं मोदी : कौन से संविधान और लोकतंत्र पर आया है खतरा

'विपक्ष के पास नहीं है कोई मुद्दा : चिराग पासवान ने कहा- 10 सालों से PM हैं मोदी : कौन से संविधान और लोकतंत्र पर आया है खतरा

PATNA : देश के अंदर लोकसभा चुनाव का माहौल है और ऐसे में दोनों गठबंधन के नेता एक-दूसरे पर हमलावर हैं। इस बीच राजद की तरफ से लगातार कहा जा रहा है कि भाजपा वाले संविधान को खत्म करने की कोशिश कर रहे हैं। इसके बाद अब इस मामले में लोजपा (रामविलास ) के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने तीखा तंज किया है। चिराग ने कहा है कि काठ की हांड़ी बार -बार नहीं चढ़ती है। 


चिराग पासवान के कहा कि विपक्ष के पास कोई मुद्दा नहीं है। उनको एक बात समझनी चाहिए कि काठ की हांडी बार-बार नहीं चढ़ती है। कितनी बार लोगों को झूठी बातों का डर दिखाया जाएगा। चिराग पासवान ने कहा कि 10 सालों से मेरे प्रधानमंत्री देश के प्रधानमंत्री हैं। इस दौरान कौन से संविधान पर खतरा आ गया? कौन से आरक्षण पर खतरा हों गया? कौन सा लोकतंत्र खत्म हो गया? वह जवाब क्यों नहीं देते?


चिराग ने कहा कि कांग्रेस की गोद में जो लोग बैठे हैं, उनको बताना चाहिए कि क्या यह कांग्रेस वह नहीं है, जिसने देश के अंदर आपातकाल लगाने का काम किया था। यह लोग जो अपने आप को जेपी का अनुयायी कहते हैं ,क्या था जेपी का नारा? उन्होंने सम्पूर्ण क्रांति का नारा इसी कांग्रेस को सत्ता से बेदखल करने के लिए दिया था। आज गठबंधन में रहकर ये लोग बड़ी-बड़ी बातें कर रहे हैं। हकीकत यह है कि जिस कांग्रेस के साथ राजद गठबंधन में है, वह देश की संपत्ति हड़पना चाहती है। विरासत पर जो टैक्स लगाए जाने की बात हो रही है, क्या है यह टैक्स कांग्रेस को पहले यह बताना चाहिए।


यह लोग 55 प्रतिशत संपत्ति गरीब किसानों से हड़पना चाहते हैं। महिलाओं की संपत्ति, गहना , जेवरात इनलोगों ने जैसे-तैसे कर इकट्ठा की है, उसको ये लोग हड़पना चाहते हैं, विरासत टैक्स के जरिए। वैसे यह सब इनकी परंपरा रही है। चिराग ने कहा कि लैंड फॉर जॉब के जरिए गरीब परिवारों की जमीन हड़पना किसने शुरू किया? इन्हीं लोगों ने शुरू किया था। जब यह  लोग लैंड फॉर जॉब परंपरा शुरू किए हैं तो अबकी बार ये लोगों की जमीन को हड़पना चाहते हैं। इसी लिए विरासत टैक्स की बात कर रहे हैं।


उधर, अनंत सिंह की पैरोल पर रिहाई को लेकर चिराग पासवान ने कहा कि यह क़ानूनी प्रक्रिया है। उनको कानून के अनुसार रिहाई मिली है। ऐसे में यदि उनपर कोई सवाल उठा रहा है तो इसकी कोई बुनियाद नहीं है। इन सब बातों का विरोध करने का कोई मतलब नहीं रह जाता है।