PATNA: लंबे इंतजार के बाद बुधवार को राज्य के कुल 65 विधायकों को उनके नए फ्लैट की चाबी सौंप दी गई थी। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने खुद अपने हाथों से 11 विधायकों को नए फ्लैट की चाबी सौंपी थी। उद्घाटन के एक दिन बाद ही बीजेपी ने फ्लैट के निर्माण में हुई देरी को लेकर सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं। नेता प्रतिपक्ष विजय कुमार सिन्हा ने कहा है कि विभाग में कमीशनखोरी के कारण फ्लैट निर्माण में इतना विलंब हुआ है। उन्होंने कहा कि भवन निर्माण विभाग में इतना लूट मचा हुआ है कि सरकार भ्रष्ट अधिकारियों पर कार्रवाई करने से डरती है। नीतीश कुमार सिर्फ आई वॉश करने की कोशिश करते हैं जबकि सच्चाई कुछ और ही है। उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार विधायक फ्लैट के निर्माण में हुई लूट की जांच किसी एजेंसी से करा कर देख लें सारी सच्चाई सामने आ जाएगी।
विजय सिन्हा ने कहा है कि 15 अगस्त को ही सभी विधायकों को आवास उपलब्ध कराना था लेकिन राजनीतिक कारणों से सरकार ने विधायकों को फ्लैट उपलब्ध नहीं कराया। यह काफी दुर्भाग्यपूर्ण है कि साल 2012 में विधायकों का फ्लैट खाली करा दिया गया। सरकार ने 2017-18 में फ्लैट उपलब्ध कराना का वादा किया था लेकिन इतने समय बाद भी कई विधायकों को फ्लैट नहीं मिला। उन्होंने कहा कि सरकार को इसकी जांच करानी चाहिए कि कोई से ऐसे अधिकारी हैं जो कमीशनखोरी और घोटाले के चक्कर में फ्लैट के निर्माण में इतना विलंब कर दिया।
नेता प्रतिपक्ष विजय कुमार सिन्हा ने कहा कि निर्माण कर रहे संवेदन को इतना परेशान किया गया कि उसे कोर्ट में जाना पड़ा। नीतीश कुमार खुद को ईमानदार घोषित किए रहते हैं और छिपे रूप से प्राकलन घोटाला होते रहता है। विजय सिन्हा ने सरकार से जांच की मांग करते हुए कहा कि नीतीश कुमार किसी स्वतंत्र कमेटि से इस घोटाले की जांच कराकर देख लें सारा सच सामने आ जाएगा कि भवन निर्माण विभाग में कितना लूट मचा हुआ है। नीतीश कुमार सिर्फ आई वॉस करने का काम करते हैं लेकिन हकीकत कुछ और ही है।
उन्होंने कहा कि सिस्टम में बैठ भ्रष्ट अधिकारियों के कारण इतने समय बाद भी सिर्फ एक चौथाई विधायकों को ही फ्लैट मिल सका है। 168 से अधिक विधायक अभी भी फ्लैट से वंचित रह गए हैं। NDA की सरकार ने यह व्यवस्था बनाई थी कि पुराना और नया मिलाकर सभी विधायकों को आवास मिले लेकिन नीतीश कुमार की लापरवाही और गैर जिम्मेदारी के कारण भ्रष्टाचार चरम पर पहुंच गया है। उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचार में सरकार की संलिप्तता के कारण भ्रष्ट अधिकारियों पर कार्रवाई करने से सरकार डर रही है। कमीशनखोरी इतनी चरम पर पहुंच गई है है विभागीय मंत्री की हिम्मत नहीं है कि वे भ्रष्ट अधिकारियों पर कार्रवाई कर सकें।