1st Bihar Published by: BADAL ROHAN Updated Fri, 19 May 2023 08:40:36 AM IST
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वट सावित्री व्रत 19 मई यानी आज मनाया जा रहा है। इस दिन सुहागिन महिलाएं अपने सुहाग की लंबी आयु के लिए उपवास रखती हैं और कुंवारी कन्याएं भी मनचाहा वर पाने के लिए यह व्रत रखती हैं। इस दिन महिलाओं वट यानी बरगद के पेड़ की पूजा करती हैं। ज्येष्ठ माह की अमावस्या तिथि को वट सावित्री व्रत करने की परंपरा होती है। इस व्रत का महत्व करवा चौथ जैसा ही है।
मान्यता है कि वट सावित्री व्रत में बरगद की पूजा, दान करने से यमराज और त्रिदेव व्रती को सुहावती रहने का वरदान देते हैं। महिलाएं पुत्र प्राप्ति की इच्छा से भी ये व्रत करती हैं। ज्येष्ठ अमावस्या पर यूपी, बिहार, झारखंड, दिल्ली, राजस्थान समेत उत्तर भारत में वट सावित्री व्रत रखा जाता है। इस बार वट सावित्री व्रत के दिन शोभन योग शुभ संयोग बन रहा है। शोभन योग शाम 6.20 बजे तक रहेगा।
मालूम हो कि, वट सावित्री व्रत की पूजा के लिए बांस की टोकरी में सात तरह के अनाज रखे जाते हैं। जिसे कपड़े के दो टुकड़ों में ढक दिया जाता है। एक दूसरी बांस की टोकरी में देवी सावित्री की प्रतिमा रखी जाती है। वट वृक्ष पर महिलायें जल चढाकर कुंमकुम व अच्छत चढ़ाती हैं। फिर सूत के धागे से वट वृक्ष को बांध कर उसके सात चक्कर लगाती हैं। तथा चने गुड़ का प्रसाद बांटा जाता है।
आपको बताते चलें कि, इस पावन दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत्त हो जाएं। घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें। इस पावन दिन वट वृक्ष की पूजा का विशेष महत्व होता है। वट वृक्ष के नीचे सावित्रि और सत्यवान की मूर्ति को रखें। इसके बाद मूर्ति और वृक्ष पर जल अर्पित करें। इसके बाद सभी पूजन सामग्री अर्पित करें। लाल कलावा को वृक्ष में सात बार परिक्रमा करते हुए बांध दें। इस दिन व्रत कथा भी सुनें। इस दिन भगवान का अधिक से अधिक ध्यान करें।