उत्तरकाशी टनल रेस्क्यू: सुरंग में फंसे 41 मजदूरों में बिहार का सुशील विश्वकर्मा भी शामिल, 14 दिन से सदमे में पूरा परिवार

उत्तरकाशी टनल रेस्क्यू: सुरंग में फंसे 41 मजदूरों में बिहार का सुशील विश्वकर्मा भी शामिल, 14 दिन से सदमे में पूरा परिवार

ROHTAS: करीब 14 दिनों से 41 मजदूर उत्तराखंड के यमुनोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग के टनल में फंसे हुए हैं। सुरंग में फंसे 41 मजदूरों को सुरक्षित बाहर निकालने का काम काम लगातार जारी है। युद्ध स्तर पर रेस्क्यू ऑपरेशन चल रहा है। 41 मजदूरों में एक बिहार के रोहतास निवासी राजदेव विश्वकर्मा के पुत्र सुशील विश्वकर्मा भी शामिल हैं। जो तिलौथू के चंदनपुरा के रहने वाले हैं। 


जब से सभी मजदूरों को सुरंग से बाहर निकालने के लिए चलाये जा रहे रेस्क्यू ऑपरेशन की जानकारी परिजनों को मिली है। परिवार के लोगों ने थोड़ी राहत महसूस की है। लेकिन जब तक सुशील विश्वकर्मा सुरक्षित सुरंग से बाहर नहीं आते है तब तक इनकी चिंता कम नहीं होने वाली है। पूरा परिवार भगवान से सभी मजदूरों के सुरक्षित सुरंग से बाहर निकलने की कामना कर रहे हैं।


बता दें कि वार्ड नंबर- 4 के रहने वाले राजदेव विश्वकर्मा के पुत्र सुशील कुमार विश्वकर्मा यमुनोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग के सुरंग के निर्माण में मजदूर का काम कर रहा है।  11 नवंबर को ही सुरंग के अंदर काम करने के दौरान भूस्खलन होने से 41 मजदूर फंसे हुए हैं। जिसमें तिलौथू का सुशील विश्वकर्मा भी शामिल है। पिछले दो सप्ताह से पूरा परिवार काफी सदमे में है। एक-एक पल बड़ी मुश्किल से लोग काट रहे हैं। सुशील विश्वकर्मा के टनल में फंसे होने की सूचना मिलते ही उनके भाई घटनास्थल पर पहुंच गये। तब से उनका भाई बस टनल पर ही नजर बनाये रखा है। वह उस दिन के इंतजार में वहां बैठा है कि कब उसका भाई टनल से बाहर निकले और कब वह उसे गले से लगाये। 


टनल में फंसे मजदूर सुशील विश्वकर्मा की पत्नी ने बताया कि कल कुछ अधिकारियों ने उनके पति से उनकी बातचीत करायी थी। पत्नी ने बताया कि टनल में फंसे उनके पति सुशील ने कहा कि अगर बढ़िया से काम होता तो वे लोग कब के निकल गए होते। लेकिन फोन पर सुशील ने परिवार वालों को धैर्य रखने की बात कही। उधर मजदूर सुशील के माता-पिता अपने बेटे की सकुशल टनल से बाहर निकलने की भगवान से प्रार्थना कर रहे हैं। 


पिता राजदेव विश्वकर्मा का कहना है कि आज 14 दिन बीत गए लेकिन अभी तक मजदूरों को निकाला नहीं जा सका है। चलाए जा रहे रेस्क्यू से अब कुछ उम्मीद जगी है लेकिन अगर सही से काम होता तो यह और भी जल्दी हो सकता था। परिवार वालों ने ना तो दिवाली मनाया और ना ही लोक आस्था का महापर्व छठ को ही मना पाए। परिवार के लोग ठीक से खाना भी नहीं खा रहे हैं। उन्हें बस सुशील की चिंता सताये जा रही है। परिवार के लोगों की नजर चलाये जा रहे रेस्क्यू पर टिकी हुई है। लोग एक एक गतिविधि पर नजर बनाए हुए है। 


वही सुशील का भाई घटनास्थल पर अपने भाई के सुरंग से बाहर निकलने का इंतजार कर रहा है। वही मजदूरों को सकुशल निकालने के लिए उज्जैन के महाकाल मंदिर में विशेष पूजा अर्चना की जा रही है। वही सरकार और देश दुनिया के विशेषज्ञ मजदूरों को बाहर निकालने के लिए हरसंभव कोशिश कर रहे हैं लेकिन अभी तक सफलता नहीं मिल पाई है। देशभर में मजदूरों की जिंदगी के लिए दुआएं मांगी जा रही है। घटनास्थल पर भी एक मंदिर बनाया गया है जहां लोग मजदूरों की सकुशल वापसी के लिए प्रार्थना कर रहे हैं।