PATNA : बिहार विधानसभा उपचुनाव का रिजल्ट भारतीय जनता पार्टी पर भी बड़ा असर डालने वाला है। साल 2017 में उपाटफेर के साथ बिहार के अंदर सत्ता में आई भारतीय जनता पार्टी को नीतीश कुमार ने जब इसी साल भी चौराहे पर छोड़ दिया तो पार्टी के नेता अचानक से विपक्ष में आ गए। विपक्ष में आने के बाद कुछ नए चेहरों को बड़ी जिम्मेदारी मिली है। अब इन चेहरों के लिए आज पहले रिजल्ट की बारी है। नेता प्रतिपक्ष के तौर पर विजय कुमार सिन्हा और विधान परिषद में विरोधी दल के नेता की कुर्सी संभालने वाले सम्राट चौधरी के लिए ये उपचुनाव बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है हालांकि पार्टी के मौजूदा नेतृत्व के लिहाज से देखें तो प्रदेश नेतृत्व के लिए लगभग यह आखिरी चुनाव है। यह माना जा रहा है कि बिहार में नेतृत्व परिवर्तन होगा। कुढ़नी विधानसभा सीट पर उपचुनाव की घोषणा हो चुकी है और अगर बहुत जल्दबाजी नहीं हुई तो कुढ़नी उपचुनाव के बाद संजय जयसवाल की विदाई तय है।
नेता प्रतिपक्ष विजय कुमार सिन्हा की साख मोकामा में दांव पर लगी हुई है। मोकामा में बीजेपी के लिए जीत कतई आसान नहीं लेकिन मोकामा विजय कुमार सिन्हा के प्रभाव वाला इलाका है और उनका गांव भी इसी विधानसभा क्षेत्र में है। ऐसे में मोकामा का रिजल्ट विजय सिन्हा के राजनीतिक भविष्य के लिहाज से खास अहमियत रखता है। उधर कुशवाहा समाज से आने वाले सम्राट चौधरी के लिए भी लिए भी यह उपचुनाव अपने आप में एक लिटमस टेस्ट है। नीतीश कुमार के लव-कुश समीकरण को साधने में सम्राट किस हद तक सफल हो पाते हैं इस पर भी राजनीतिक जानकारों की नजर होगी हालांकि इन दोनों नेताओं ने और चुनाव में खूब मेहनत की है। सम्राट चौधरी के ऊपर केंद्रीय नेतृत्व खास भरोसा भी जता रहा है और राजनीतिक जानकार तो यहां तक मानते हैं कि नीतीश कुमार के सामने विकल्प के तौर पर सम्राट चौधरी को अगले विधानसभा चुनाव तक खड़ा किया जा सकता है।
बीजेपी के सामने गोपालगंज में अपना किला बचाए रखने की चुनौती है। भारतीय जनता पार्टी ने मोकामा में अनंत सिंह की पत्नी नीलम देवी के सामने जिस तरह की रणनीति अपनाते हुए उम्मीदवार को आउट सोर्स किया वह बताता है कि बीजेपी हर हाल में उपचुनाव के अंदर जीत हासिल करना चाहती है। लेकिन अब जनता का फैसला आ चुका है और नतीजे बताएंगे कि भारतीय जनता पार्टी के अंदर इसका क्या असर पड़ने वाला है।