PATNA : दो-तीन पहले की बात है जब बिहार के उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी और जदयू के मुख्य प्रवक्ता संजय सिंह ये दावा कर रहे थे कि बिहार में हो रहे उप चुनाव के परिणाम के बाद तेजस्वी फिर अज्ञातवास पर चले जायेंगे. अपनी पार्टी का हाल ये था कि उप चुनाव की वोटिंग के बाद राजद के किसी नेता ने जीत का दावा तक किया. लेकिन उप चुनाव के परिणाम ने लालू के लाल को संजीवनी दे दी है. घर से लेकर बाहर तक की लड़ाई लड़ रहे तेजस्वी यादव के हौंसले बुलंद हो गये हैं.
फिर जम गये तेजस्वी के पैर
पांच महीने पहले लोकसभा चुनाव हुए थे और राजद का खाता तक नहीं खुला था. चुनाव के बाद तेजस्वी अज्ञातवास पर चले गये. इसके बाद घऱ से लेकर बाहर तक तेजस्वी पर ताबड़तोड़ हमले हुए. लोगों में धारणा ये बनी कि लालू प्रसाद यादव के सियासी कुनबे का अस्त हो गया है. लेकिन इस उप चुनाव के परिणाम ने राजद के युवराज को फिर से बिहार की सियासत में स्थापित कर दिया है.
राजद का बेजोड़ प्रदर्शन
बिहार में विधानसभा की जिन पांच सीटों पर उप चुनाव हुए उसमें राजद ने चार सीटों पर उम्मीदवार उतारे. इसमें से कोई भी सीट राजद की नहीं थी. लेकिन तेजस्वी की अगुआई में लड़ी राजद ने चार में से तीन सीट पर बेहतर प्रदर्शन किया. सिमरी बख्तियारपुर में राजद के उम्मीदवार ने तकरीबन साढ़े 15 हजार वोट से जदयू के उम्मीदवार को हराया. बेलहर में राजद के रामदेव यादव 19 हजार से ज्यादा वोटों से चुनाव जीते. दोनों सीटों पर जीत का मार्जिन ये बता रहा है कि राजद का वोट बैंक अभी भी बरकरार है. तेजस्वी अपने पारंपरिक वोट बैंक को अपने साथ बनाये रखने में कामयाब रहे. नाथनगर सीट पर भी राजद की उम्मीदवार राबिया खातून मामूली वोट से हारी.
दरौंदा का परिणाम राजद के लिए चिंताजनक
हालांकि दरौंदा विधानसभा सीट का परिणाम राजद के लिए चिंताजनक भी है. पार्टी के आधार वोट वहां राजद उम्मीदवार का साथ छोड़ गये. इस सीट पर राजद उम्मीदवार उमेश कुमार सिंह की जमानत जब्त हो गयी. इसका कारण राजद के बागी उम्मीदवार शैलेंद्र कुमार यादव को माना जा रहा है. शैलेंद्र यादव को 17 हजार से ज्यादा वोट आये. शैलेंद्र यादव ने राजद के वोट बैंक में ही सेंध लगा कर इतना वोट पाने में सफलता हासिल की.