PATNA: 5-6 साल तक निषाद औऱ मल्लाह की बात करने वाले मुकेश सहनी आखिरकार अचानक से अति पिछड़ों की बात क्यों करने लगे हैं. शनिवार को जब मुकेश सहनी पटना से उत्तर प्रदेश में चुनाव प्रचार के लिए निकल रहे थे तो मीडिया के सामने उनके एक बयान ने उनकी रणनीति का संकेत दे दिया. मुकेश सहनी ने कहा कि वे अति पिछड़ों का आरक्षण बढ़ाने की मांग कर रहे हैं तो कुछ पार्टियों के नेताओं में बेचैनी है, वे समय आने पर इसका खुलासा करेंगे. मुकेश सहनी के इस एक लाइन में भविष्य की उनकी पूरी रणनीति छिपी है. हम आपको वह रणनीति समझाते हैं।
बिहार में कुर्सी बचाने की है रणनीति
मुकेश सहनी की रणनीति समझाने के लिए सबसे पहले हम आपकों पड़ोसी राज्य उत्तर प्रदेश में हो रहे विधानसभा चुनाव की तस्वीर दिखाते हैं. बिहार में बीजेपी की मेहरबानी से मंत्री बने मुकेश सहनी ने दो दिन पहले उत्तर प्रदेश में प्रेस कांफ्रेंस कर मल्लाह जाति के लोगों से बीजेपी को हर हाल में हराने की अपील कर दी. मुकेश सहनी ने कहा-हम अपने समर्थकों से अपील कर रहे हैं कि वे उसी पार्टी को वोट दें जो बीजेपी को हराये. अगर समाजवादी पार्टी बीजेपी को हरा रही है तो निषाद तबके के वोटर उसे ही वोट दें. मुकेश सहनी ने कहा कि उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में भाजपा को सत्ता से बेदखल करना ही उनका प्रमुख लक्ष्य है।
गौरतलब है कि यूपी में विधानसभा चुनाव से पहले मुकेश सहनी ने 165 सीट पर चुनाव लडने का एलान किया था. उनका दावा था कि यूपी में अगली सरकार वही बनायेगा जिसे वे सपोर्ट करेंगे. मुकेश सहनी ने बीजेपी से तालमेल के लिए जी-जान लगा दिया था लेकिन भाजपा बात करने तक को तैयार नहीं हुई. चुनाव शुरू हुए तो हालत ये हुई कि मुकेश सहनी को 165 सीट पर उम्मीदवार तक नहीं मिले. सहनी की पार्टी ने 102 सीटों पर उम्मीदवार घोषित किया था. लेकिन सिर्फ 55 सीट पर उनके उम्मीदवार लड रहे हैं. मुकेश सहनी कह रहे हैं कि बीजेपी और चुनाव आयोग ने बहुत सारी सीट पर उनके उम्मीदवारों का नामांकन रद्द कर दिया।
बीजेपी में भारी बौखलाहट
मुकेश सहनी उत्तर प्रदेश के चुनाव में जो कर रहे हैं उससे बीजेपी में भारी बौखलाहट है. बीजेपी के एक सीनियर लीडर ने फर्स्ट बिहार से बात करते हुए कहा कि पार्टी यूपी चुनाव के दौरान मुकेश सहनी को शहीद का दर्जा दिलाना नहीं चाहती. लिहाजा चुपचाप सब देखा जा रहा है. लेकिन उत्तर प्रदेश का चुनाव खत्म होते ही मुकेश सहनी को उसका फल जरूर भुगतना पड़ेगा. बीजेपी नेता ने कहा कि बिहार चुनाव के दौरान उनकी ही पार्टी के एक नेता ने मुकेश सहनी को सियासी तौर पर जिंदा कर दिया था. वर्ना वे तो तेजस्वी यादव को भरी प्रेस कांफ्रेंस में गाली-गलौज कर भागे थे और अकेले चुनाव लड़ने पर किसी सीट पर जमानत बचाने लायक भी वोट नहीं मिलता. बीजेपी नेता ने कहा-हमने ही भस्मासुर खड़ा किया है लेकिन इलाज भी हम ही करेंगे. वैसे भी मुकेश सहनी की पार्टी का एक भी विधायक उनके साथ नहीं है. सहनी की विधान परिषद की सदस्यता भी कुछ ही दिनों में खत्म होने वाली है. ये तय मानिये कि बीजेपी ना उन्हें MLC बनाने जा रही है और ना ही बिहार में मंत्री बने रहने देगी. बस यूपी चुनाव खत्म होने का इंतजार है।
अब समझिये क्यों खेला गया अति पिछड़ा कार्ड
इस पूरे घटनाक्रम के बाद अब बिहार में हालिया दिनों में मुकेश सहनी की राजनीति को देखिये. बिहार के अखबारों में मुकेश सहनी का फुल पेज का विज्ञापन छपा, टेलीविजन चैनलों में विज्ञापन चला. मुकेश सहनी ने विज्ञापन देकर मांग किया कि बिहार में अति पिछड़ों के आरक्षण को 15 प्रतिशत औऱ बढ़ाया जाये. अति पिछड़ों के लिए 33 फीसदी आरक्षण का प्रावधान किया जाये. मुकेश सहनी ने विज्ञापन देकर लोगों को ये भी बताया कि नीतीश कुमार ने अति पिछड़ी जाति की सूची में कई नयी जातियों को शामिल कर दिया. इससे जो मूल रूप से अति पिछड़े थे उन्हें न के बराबर नौकरी मिल रही है औऱ आरक्षण का सारा लाभ दूसरे ले जा रहे हैं।
मुकेश सहनी पिछले 8 सालों से बिहार की राजनीति में सक्रिय हैं. 8 सालों से उन्होंने सिर्फ निषाद यानि मल्लाह की बात की. लेकिन अचानक से जगे अति पिछड़ा प्रेम का कारण क्या है. सियासी जानकार इसके मायने समझाते हैं. उनके मुताबिक मुकेश सहनी जान रहे हैं कि यूपी चुनाव के बाद बीजेपी उनके साथ क्या करने जा रही है. मुकेश सहनी ने इस दौरान नीतीश कुमार से नजदीकी बढ़ाने की भी भरपूर कोशिश की लेकिन नीतीश कुमार ने भाव नहीं दिया. मतलब ये कि अगर बीजेपी बिहार में मुकेश सहनी पर गाज गिराती है तो नीतीश भी उनके बचाव में सामने नहीं आय़ेंगे. कुल मिलाकर कहें तो सरकार से मुकेश सहनी की छुट्टी तय है।
शहीद बनना चाहते हैं मुकेश सहनी
मुकेश सहनी समझ रहे हैं कि आगे क्या होने वाला है. लिहाजा वे उसकी तैयारी अभी से ही कर रहे हैं. पटना में आज मीडिया से बात करते हुए उन्होंने कहा कि वे अति पिछड़ों का मुद्दा उठा रहे हैं तो कुछ पार्टियो में बेचैनी है. कौन पार्टियां बेचैन है वे समय आने पर उसका खुलासा करेंगे. मुकेश सहनी ये चाहते हैं कि जब बिहार में मंत्रिमंडल से उन्हें बाहर किया जाये तो वे लोगों को ये बतायें कि अति पिछडों के हक की बात उठाने के कारण ही उन्हें कुर्सी गंवानी पड़ी है. वे कुर्सी को लात मार कर अति पिछड़ों के हक की लड़ाई लड़ रहे हैं.
सहनी की ये रणनीति कितनी कामयाब होगी ये फिलहाल नहीं कहा जा सकता. लेकिन इतना तो तय है कि बिहार में सत्ता से उनका बेदखल होना तय है. 10 मार्च का इंतजार कीजिये. इस दिन यूपी की रिजल्ट आना है और उसके तुरंत बाद मुकेश सहनी का एमएलसी का कार्यकाल संमाप्त होने वाला है. बीजेपी के कई नेता ऑफ द रिकार्ड इसकी पुष्टि करते हैं कि मुकेश सहनी की एनडीए में पारी भी उसी समय समाप्त होगी.