यूजीसी का बड़ा फैसला: असिस्‍टेंट प्रोफेसर बनने के लिए PhD की अनिवार्यता खत्‍म ! जानिए क्या होगा मिनिमम क्‍वालिफिकेशन

यूजीसी का बड़ा फैसला:  असिस्‍टेंट प्रोफेसर बनने के लिए PhD की अनिवार्यता खत्‍म ! जानिए क्या होगा मिनिमम क्‍वालिफिकेशन

PATNA : असिस्टेंट प्रोफेसर बनने की चाहत रखने वाले युवाओं को लेकर यह काफी काम की खबर है। अब यूजीसी ने यह साफ़ कर दिया है कि सिर्फ पीएचडी की डिग्री लेकर लेकर कोई भी असिस्टेंट प्रोफेसर नहीं बन सकता है। अब शिक्षकों की सीधी भर्ती के लिए नेट,सेट या स्लेट होना अनिवार्य का दिया है। इसके बिना कोई भी असिस्टेंट प्रोफेसर नहीं बन सकता है। 


दरअसल, देश के सभी उच्च शिक्षण संस्थानों में शिक्षकों की सीधी भर्ती के लिए नेट, सेट या स्लेट होना अब न्यूनतम योग्यता होगी। यूजीसी ने इसको लेकर पीएचडी की अनिवार्यता खत्म कर दी है। हालांकि, शिक्षकों की कमी को देखते हुए भर्ती के लिए पीएचडी की अनिवार्यता को यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन (यूजीसी) ने जून 2021 में दो साल के लिए अपवाद के रूप में खत्म किया था। अब उसी स्थिति को लागू रखते हुए भर्ती का नया नियम बना दिया गया है। यह व्यवस्था 1 जुलाई से लागू कर दिया गया है। 


यूजीसी के नए नियमों के मुताबिक, वैसे अभ्यर्थी जिन्होंने  नेशनल एलिजिबिलिटी टेस्ट (नेट), स्टेट एलिजिबिलिटी टेस्ट (सेट) या स्टेट लेवल एलिजिबिलिटी टेस्ट (स्लेट) पास कर चुके हैं तो वे यूनिवर्सिटी में असिस्टेंट प्रोफेसर पद के लिए योग्य माने जाएंगे। हालांकि, एसोसिएट प्रोफेसर, प्रोफेसर या प्रमोशन के लिए पीएचडी की अनिवार्यता की शर्त पहले की तरह लागू रहेगी। इस बात की जानकारी यूजीसी के चेयर मैन एम जगदेश कुमार ने ट्वीट करके दी है।


इधर, यूजीसी ने सभी यूनिवर्सिटीज को पत्र भेजकर शिक्षकों के रिक्त पद भरने काे कहा है। इसके साथ ही शिक्षकों की कमी को पूरा करने के लिए आयोग ने ‘प्रोफेसर ऑफ प्रैक्टिस’ नाम का एक पोर्टल शुरू किया है। विभिन्न विषयों के अनुभवी विशेषज्ञ खुद को इस पोर्टल पर रजिस्टर करा सकते हैं। भले ही उनके पास शैक्षणिक योग्यता या पीएचडी न हो, लेकिन यदि वे क्षेत्र विशेष में लंबा अनुभव रखते हैं तो रजिस्टर्ड पेशेवरों को कॉलेजों में बतौर अतिथि प्रोफेसर पढ़ाने का मौका मिल सकता है।