तय किये टारगेट हासिल नहीं कर पा रही बिहार सरकार, रोजाना 10 हजार कोरोना टेस्ट की बात अभी सपना

तय किये टारगेट हासिल नहीं कर पा रही बिहार सरकार, रोजाना 10 हजार कोरोना टेस्ट की बात अभी सपना

PATNA : बिहार में कोरोना टेस्ट की रफ्तार धीमी है। बिहार सरकार की बार-बार चेतावनी के बावजूद जांच में तेजी नहीं आ रही है। सरकार के निर्देश के बावजूद कोरोना की औसतन जांच प्रतिदिन 1050 है जबकि इसे बढ़ाकर दस हजार तक ले जाना है। स्वास्थ्य विभाग लगातार संसाधनों की कमी से जूझ रहा है। कऊी उसे मांग के अनुरूप जांच के उपकरण नहीं मिल रहे हैं तो कभी कार्टेज और साधन उपलब्ध नहीं हो रहे हैं। बाजार में आपूर्ति नहीं होने के कारण गति तेज करने में विभाग असमर्थ साबित हो रहा है। 


स्वास्थ्य विभाग के आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि भागलपुर स्थित जवाहर लाल मेडिकल कॉलेज अस्पताल में सीबी नेट मशीन से कोरोना की जांच शुरू की गयी थी। 3 मई से शुरू हुई जांच प्रक्रिया एक सप्ताह में बंद हो गयी। 10 मई के बाद एक भी जांच नहीं हो सकी। इस मशीन से जांच के लिए आवश्यक कार्टेज उपलब्ध नहीं है। राज्य सरकार ने इस कॉलेज को 350 कॉर्टेज उपलब्ध कराए थे। इस मशीन के कार्टेज की मांग केन्द्र सरकार से की गयी है। साथ ही खुले बाजार से भी पांच हजार कॉर्टेज की खरीद की मांग की गयी है। 


यह कॉर्टेज अमेरिका से आते हैं।केन्द्र सरकार राज्यों में इसे वितरित करती है। इस मशीन से टीबी की जांच की जाती है। इस मशीन से जिलास्तर पर जांच की तैयारी की गयी थी लेकिन कॉर्टेज नहीं होने पर शुरू नहीं किया जा सका।


बिहार सरकार के स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव संजय कुमार ने बताया कि केन्द्र सरकार ने 500 कॉर्टेज बिहार को देने को कहा था लेकिन अब तक नहीं मिला है। विभाग ने अपने स्तर से 5हजार कॉर्टेज की खरीद का आर्डर दिया है। इसकी आपूर्ति होने तक ट्रू नेट मशीन से जांच की प्रकिया जिलों में शुरू की जाएगी। 


मिली जानकारी के मुताबिक 13 जिलों में 15 ट्रू नेट मशीन लगायी गयी है। इस मशीन से भी 14 मई से ही जांच शुरु की जानी थी लेकिन ये अब तक आगे नहीं बढ़ सका। विभाग के सूत्रों के मुताबिक केन्द्र से अभी तक 15 ट्रू नेट मशीनें मिली हैं। जल्द ही बाकी जिलों को मिलने की संभावना है।