ठाकुर विवाद मामले में बोले लालू यादव ... आनंद मोहन को नहीं है अक्ल और शक्ल, चेतन आनंद के पास भी है कम बुद्धि

ठाकुर विवाद मामले में बोले लालू यादव ... आनंद मोहन को नहीं है अक्ल और शक्ल, चेतन आनंद के पास भी है कम बुद्धि

PATNA : आनंद मोहन को जितनी बुद्धि होगी उतना ही बोलेंगे चेतन आनंद को भी अधिक अक्ल नहीं है आनंद मोहन अपनी अकल और शक्ल देखें। यह बातें राजद के राष्ट्रीय अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव ने कही है। लालू ने कहा है कि- जितनी बुद्धि होगी उतना ही न बोलेगा, उसको तो बोलना ही नहीं चाहिए।


दरअसल, अपने बड़े बेटे तेज प्रताप यादव के विभाग के कार्यक्रम में शामिल हुए राजा सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव ने  पत्रकारों के सवाल का जवाब देते हुए कहा कि - आनंद मोहन को अक्ल नहीं है, उनके बेटे चेतन आनंद भी अभी अक्ल में कच्चा है उसको भी अक्ल नहीं। आनंद मोहन को तो अक्ल और शक्ल दोनों नहीं है। यही वजह है कि वह कुछ भी फालतू बोलते रहता है। मनोज झा न कुछ भी गलत नहीं कहा है वह सही बातें कह रहा था।


वहीं, इससे पहले बीते कल भी लालू यादव ने कहा था कि - मनोज झा की कविता ने किसी को ठेस नहीं पहुंचाया है।  कुछ लोग अलग तरह का बयानबाजी कर रहे हैं। मनोज झा ने किसी को टारगेट नहीं किया है। मनोज झा ने बिलकुल सही बातों को रखा है। इसके बाद अब लालू यादव ने इशारों ही इशारों में आनंद मोहन को चेतावनी देते हुए कहा है कि - आनंद मोहन के पास अक्ल और शक्ल नहीं है और चेतन आनंद के पास भी बुद्धि की कमी है।


मालूम हो कि, 21 सितंबर को राज्यसभा में आरजेडी के सांसद मनोज झा ने ओमप्रकाश वाल्मीकि की एक कविता पढ़ी, इस कविता का नाम था- ठाकुर का कुआं। मनोज झा ने भाषण में कहा था कि- हमें अंदर बैठे हुए ठाकुर को मारने की जरूरत है। मनोज के कविता पढ़ने के हफ्तेभर बाद अब इसे मुद्दा बना लिया गया है। आरजेडी के ही ठाकुर नेता कह रहे हैं कि मनोज झा ब्राह्मण हैं और उन्होंने ठाकुरों का अपमान किया है. जेडीयू के नेता भी मनोज झा पर हमला कर रहे हैं। 


उधर, इसके बाद आरजेडी विधायक चेतन आनंद ने कहा था कि- समाजवाद के नाम पर किसी एक जाति को टारगेट करना दोगलापन है।  ठाकुर समाज सभी को साथ लेकर चलता है।  हम सदन में होते तो मनोज झा को ऐसा बोलने नहीं देते, हम ये सब बर्दाश्त नहीं करेंगे। मनोज झा के बयान से तेजस्वी यादव के राजद को A to Z की पार्टी बनाने के कदम को झटका लगा है।  मनोज झा ब्राह्मण हैं इसीलिए उन्होंने ब्राह्मणों के खिलाफ किसी कविता का इस्तेमाल नहीं किया। 


वहीं, पूर्व सांसद आनंद मोहन ने कहा, अगर वे मनोज झा के भाषण के दौरान राज्यसभा में होते तो वे जीभ खींचकर आसन की ओर उछाल देते। वे ऐसे शख्स हैं जो अपनी ही सरकार के खिलाफ बंदूक उठाकर लड़े हैं ताकि आपकी अस्मिता की रक्षा की जा सके।  अगर मैं होता राज्यसभा में तो जीभ खींचकर आसन की ओर उछालकर फेंक देता... सभापति के पास।  ये अपमान नहीं चलेगा।  ये बर्दाश्त नहीं होगा।  हम जिंदा कौम के लोग हैं।  अगर आप इतने बड़े समाजवादी हैं तो झा क्यों लगाते हैं।  जिस सरनेम की आप आलोचना करते हैं उसको तो आप छोड़कर आइए।