PATNA : मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भले ही 5 साल के अंतराल के बाद जनता दरबार कार्यक्रम का सिलसिला फिर से शुरू किया हो. लेकिन जनता दरबार का बदला हुआ स्वरूप विपक्ष के नेताओं को नहीं हजम हो रहा. जनता दरबार कार्यक्रम में जिस तरह फरियादियों को लाया जा रहा और फिर मुख्यमंत्री उनकी बात सुनने के बाद वापस फरियादियों को अधिकारियों के पास भेज रहे हैं. उसे लेकर तेजस्वी यादव ने नीतीश कुमार पर बड़ा हमला बोला है. तेजस्वी ने कहा है कि जिसके ऊपर आरोप लगे हो उसी को जांच का जिम्मा मुख्यमंत्री दे रहे हैं. ऐसे में इंसाफ की उम्मीद बेईमानी है. जनता दरबार के मौजूदा सिस्टम पर तंज कसते हुए कहा है कि बिल्ली दूर की रखवाली कैसे कर सकती है.
सोमवार को मुख्यमंत्री के जनता दरबार कार्यक्रम में पहुंची एक महिला ने अपने पति की हत्या का आरोप जेडीयू विधायक के ऊपर लगाया. महिला ने कहा कि जनता दल यूनाइटेड के विधायक रिंकू सिंह ने उनके पत्नी की हत्या कराई. वह इस मामले में नामजद आरोपी हैं लेकिन पुलिस कोई भी कार्रवाई नहीं कर रही है. इस मामले को लेकर नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने बड़ा जनता दरबार कार्यक्रम और सीएम नीतीश की कार्यशैली को लेकर बड़ा सवाल किया है. तेजस्वी ने कहा कि जिन पुलिसवालों के ऊपर आरोप लगा रहा है. मुख्यमंत्री मामले को सुलझाने के लिए भी उसी पुलिसवालों के पास पीड़िता को भेज रहे हैं. ऐसे में इंसाफ की उम्मीद बेईमानी है.
मंगलवार को तेजस्वी यादव ने ट्वीट करते हुए लिखा कि "नीतीश जी के जनता दरबार के ढकोसले. पहली बात कि पूर्व ज़िला पार्षद की हत्या के नामजद आरोपी जदयू विधायक रिंकू सिंह पर 7 महीने में कोई कार्रवाई नहीं हुई. सीएम के निर्देश पर पुलिस ने उसे बचाया. और दूसरी बात ये है कि उनकी पत्नी सीएम के जनता दरबार में पहुँची और मुख्यमंत्री ने पीड़ित विधवा महिला को फिर उसी पुलिस के पास भेज दिया. क्रोनोलॉजी समझिए."
आसान शब्दों में समझें तो तेजस्वी यादव ये बताना चाहते हैं कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का जनता दरबार कार्यक्रम एक ढकोसला है. यहां लोगों को इंसाफ कैसे मिलेगा जब सीएम खुद ही पीड़ित या फरियादियों को उनके पास भेज रहे हैं. जिनके ऊपर ही आरोप लग रहा है. यानि कि जो आरोपी है वही अपने ऊपर आरोप लगाने वाले लोगों का मामला देखेगा. ऐसे में इंसाफ मिलने को लेकर प्रश्नचिन्ह खड़ा होता है.
गौरतलब हो कि बीते दिन मुख्यमंत्री के जनता दरबार कार्यक्रम में एक और ऐसा ही मामला सामने आया था. जिस खबर को फर्स्ट बिहार ने प्रकाशित कर बताया था कि जिस डीजीपी के ऊपर महिलाओं के साथ अभद्रता और अशिष्ट व्यवहार का आरोप लग रहा है.उसकी शिकायत की जांच के लिए सीएम नीतीश खुद महिला या लड़की को उसी डीजीपी के पास भेज दिए, जिसके ऊपर वह आरोप लगाई. अब ऐसे में इंसाफ को लेकर बड़ा सवाल उठता है. आपको बता दें कि इस महिला ने डीजीपी एसके सिंघल पर आरोप लगाया था कि यौन शोषण की शिकायत लेकर जाने पर डीजीपी ने महिला को कहा था कि "पहले लड़कियां पुरुषों को फंसाती हैं और फिर उनके ऊपर आरोप लगाती हैं."
आज जिस घटना को लेकर तेजस्वी ने ट्वीट किया है. यह मामला दयानंद वर्मा की हत्या से जुड़ा है. दयानंद वर्मा हत्याकांड में नीतीश की पार्टी के विधायक रिंकू सिंह का नाम सामने आया है, जिसके ऊपर पुलिस कार्रवाई नहीं कर रही है. दरअसल मुख्यमंत्री के जनता दरबार कार्यक्रम में पहुंचे कुमुद वर्मा ने जब नीतीश कुमार को यह बताया कि उनके पति की हत्या विधायक ने करा दी है. 14 फरवरी को उनके पति की हत्या कराई गई थी. लेकिन पुलिस इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं कर रही है.
आपको बता दें कि पश्चिम चंपारण के पूर्व जिला परिषद सदस्य दयानंद वर्मा की हत्या इसी साल फरवरी महीने में कर दी गई थी. पश्चिम चंपारण के नौरंगिया पुलिस थाने के सिरसिया चौक के पास दयानंद वर्मा को गोली मारी गई थी. इस मामले में उनकी पत्नी कुमुद वर्मा ने वाल्मीकि नगर से जेडीयू विधायक रिंकू सिंह और उनके अन्य साथियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई थी.
अपनी ही पार्टी के विधायक के ऊपर लगे हत्या के आरोप को सुनकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पीड़िता से बहुत ज्यादा बात तो नहीं कि उसे तुरंत डीजीपी के पास भेज दिया. मुख्यमंत्री ने कहा कि इन्हें डीजीपी के पास ले जाइए डीजीपी सारे मामले को खुद देखेंगे. जेडीयू विधायक रिंकू सिंह के ऊपर हत्या का जो आरोप लगा है. इसमें वह लंबे अरसे तक भूमिगत भी रहे.
रिंकू सिंह की मुश्किलें और बढ़ सकती हैं. क्योंकि मामला मुख्यमंत्री के जनता दरबार तक जा पहुंचा है. मुख्यमंत्री ने इस मामले को लाइव टेलीकास्ट के दौरान डीजीपी के पास भेजा है. ऐसे में अगर जेडीयू विधायक के ऊपर कोई कार्रवाई नहीं होती है तो सवाल भी खड़े होंगे.
कुमुद वर्मा ने अपने पति की हत्या के बाद जो बयान दिया था. उसके मुताबिक उनके पति दयानंद वर्मा और शकील मियां नाम के एक व्यक्ति के बीच किसी बात को लेकर विवाद हुआ था. इसके बाद शकील ने दयानंद वर्मा को जान से मारने की धमकी दी थी. शकील मियां हत्या के दिन जेडीयू विधायक रिंकू सिंह और अन्य चार लोगों के साथ दयानंद वर्मा के घर पहुंचा और उसकी गोली मारकर हत्या कर दी.
दयानंद वर्मा को गोली लगने के बाद तुरंत अस्पताल में भर्ती कराया गया. लेकिन डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया था. हत्या के बाद पुलिस ने भी यह कहा था कि यह मामला कहीं ना कहीं ठेकेदारी विवाद से जुड़ा हुआ है.