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1st Bihar Published by: Updated Fri, 20 Aug 2021 02:15:46 PM IST
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PATNA : राष्ट्रीय जनता दल और आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव के परिवार में चल रहे अंदरूनी घमासान का बड़ा फोटो फिनिश देखने को मिल सकता है. तेज प्रताप यादव लगातार आग बरसा रहे हैं. पार्टी से लेकर परिवार तक के में तेजस्वी और तेजप्रताप के बीच अब सीधी भिड़ंत देखने को मिल रही है. फर्स्ट बिहार को आरजेडी सूत्रों से जो बड़ी जानकारी मिली है, उसके मुताबिक जगदानंद सिंह से लेकर तेजस्वी यादव तक पर सीधा हमला बोलने वाले लालू यादव के बड़े लाल तेज प्रताप यादव के ऊपर अब कार्रवाई हो सकती है.
आरजेडी के विधायक और लालू के बड़े बेटे तेजप्रताप के ऊपर जिस एक्शन की तैयारी चल रही है, उसमें उनके पिता लालू प्रसाद यादव की भी मौन सहमति की बात सामने आ रही है. गौरतलब हो कि परसों रात ताज पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह से भिड़ने वाले तेज प्रताप यादव कल तेजस्वी के सिपहसालार संजय यादव के आमने -सामने खड़े हो गए. तेज प्रताप ने संजय यादव की भूमिका पर सवाल खड़ा करते हुए यहां तक कह दिया कि संजय यादव की हैसियत अपने परिवार से किसी को सरपंच बनवाने की भी नहीं है.
तेज प्रताप का सीधा आरोप है कि संजय यादव जो हरियाणा के रहने वाले हैं. उनके इशारों पर पार्टी चल रही है, उन्होंने संजय यादव की हैसियत बताते हुए लिखा है कि वह किसी को सरपंच तक नहीं बनवा सकते. लेकिन तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री बनाने का सपना दिखा रहे हैं. तेज प्रताप ने आरोप लगाया है कि संजय यादव एक ऐसे प्रवासी सलाहकार है, जो लालू परिवार और आरजेडी में मतभेद पैदा करवा रहे हैं.
कौन हैं संजय यादव
सवाल ये उठता है कि संजय यादव हैं कौन? संजय यादव तेजस्वी यादव के राजनीतिक सलाहकार हैं. 37 साल के संजय यादव मूल रूप से हरियाणा के महेंद्रगढ़ ज़िले के नांगल सिरोही गाँव रहने वाले हैं और पिछले एक दशक से तेजस्वी यादव से जुड़े हुए हैं. दोनों की मुलाक़ात दिल्ली में 2010 में तब हुई थी, जब तेजस्वी यादव आईपीएल में अपना करियर तलाश रहे थे.
संजय यादव ने भोपाल यूनिवर्सिटी से कंप्यूटर साइंस में एमएससी और इंद्रप्रस्थ यूनिवर्सिटी, दिल्ली से एमबीए करने के बाद तीन मल्टीनेशनल आईटी कंपनियों में नौकरी कर ली थी. अगले दो-तीन सालों में दोनों के बीच और करीबी हुई. 2012 में तेजस्वी यादव ने क्रिकेट छोड़कर पूरी तरह से राजनीति में आने का फैसला लिया तो उन्होंने संजय यादव को नौकरी छोड़कर साथ काम करने को कहा. इसके बाद संजय यादव इसके बाद अपना बोरिया-बिस्तर समेट कर 10 सर्कुलर रोड, पहुँच गए.
2015 के चुनाव में महागठबंधन की जीत का श्रेय भले ही प्रशांत किशोर ले गये लेकिन असल रणनीति संजय यादव ने बनायी थी. 2015 के चुनाव में आरजेडी ने बेहद सधे हुए तरीके से टिकट बांटा था और इसके पीछे संजय यादव का ही दिमाग काम कर रहा था.
लेकिन असली चुनौती इस दफे चुनाव में थी जब लालू यादव भी पटना में मौजूद नहीं थे. लेकिन रणनीति के स्तर पर पार्टी को उनकी कोई कमी नहीं खली. इसका श्रेय संजय यादव को ही जाता है. उन्होंने आरजेडी के पोस्टर पर सिर्फ तेजस्वी की तस्वीर लगाने का फैसला लिया था. जेडीयू-बीजेपी ने ताबड़तोड़ हमला बोला लेकिन आरजेडी अपने स्टैंड पर कायम रही.
संजय यादव चुनाव के दौरान न केवल तेजस्वी यादव की चुनावी सभाओं को मैनेज कर रहे थे बल्कि अलग अलग सभाओं में तेजस्वी को क्या बोलना चाहिए, इसकी रूपरेखा भी बना रहे थे.
तेजस्वी यादव हर दिन 17-18 सभाओं को संबोधित कर रहे थे और उसका कंटेंट मुहैया कराने के साथ-साथ तेजस्वी की बात पूरे बिहार तक पहुँचे, इसकी भी रणनीति तैयार रखी गयी थी. तेजस्वी की अगले दिन की सभायें, कहां जाना है और कहां नहीं जाना है. किस सभा में क्या बोलना है. सारी जिम्मेवारी संजय यादव के पास ही थी.