PATNA: तबला सम्राट पदम विभूषण पंडित किशन महाराज के जन्मशताब्दी कार्यक्रम का आयोजन पटना में किया गया। देश के प्रतिष्ठित कलाकारों ने रवीन्द्र भवन पटना में इस कार्यक्रम का आयोजन किया। राजधानी पटना में लम्बे अरसे के बाद शास्त्रीय संगीत का जादू श्रोताओं के सिर चढ़ कर बोला और सुर और ताल से सजी एक शाम गवाह बनी जिसे वर्षों तक याद रखा जाएगा।
बनारस घराने के सुप्रसिद्ध तबला सम्राट पदमविभूषण पं० किशन महाराज जिन्हें कला के क्षेत्र में योगदान के लिए 1973 में पद्मश्री और 2002 में पद्म विभूषण से सम्मानित महान कलाकार के जन्म शताब्दी के अवसर एक सुरमयी शाम का आयोजन राज्य सभा के पूर्व सांसद रवीन्द्र किशोर सिन्हा,डा.अजीत प्रधान,पदम् श्री गोपाल प्रसाद सिन्हा, त्रिपुरारी शरण,पूर्व मंत्री जनक राम व डॉ. अनिल सुलभ ने दीप प्रज्ज्वलित कर कार्यक्रम का उद्घाटन किया।
पंडित किशन महाराज जन्म शताब्दी के अवसर पर शास्त्रीय संध्या आयोजित की गईं। जिसमें देश की लब्ध प्रतिष्ठित शास्त्रीय गायिका विदुशी इन्द्राणी मुखर्जी का शास्त्रीय गायन (कोलकाता) के साथ मुंबई की ख्यातिप्राप्त वायलिन वादक नन्दनी शंकर के कार्यक्रम प्रस्तुत किये। कार्यक्रम में कोलकाता के अभिषेक चटर्जी तबला (कोलकाता) पं. शुभ महाराज तबला (वाराणसी) द्वैपायन राय, (कोलकाता) हारमोनियम पर संगत किया। इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में डा.अजीत प्रधान हार्ट सर्जन, जीवक हार्ट हॉस्पिटल,पटना ने कहा कि इस पटना की धरती पर अनेकों कलाकार पैदा हुए है। जिन्होंने भारतीय शास्त्रीय संगीत का सितारा बुलन्द रखा।
कार्यक्रम के आयोजनकर्ता पूर्व सांसद रवीन्द्र किशोर सिन्हा ने कहा कि आज बड़े पैमाने पर ऐसे महान कलाकारों को याद कर कार्यक्रम आयोजित करना उनके प्रति हमारी श्रद्धांजलि होगी। आज भाग दौड़ की जिन्दगी में नई पीढ़ी तमाम महान कलाकारों के योगदानों को भूलती जा रही है या जानती तक नहीं है। ऐसे में हमारा दायित्व बनता है कि ऐसे आयोजन कर उनके कृतित्व को शास्त्रीय संगीत प्रेमियों और युवाओं तक पहुंचाए जिससे हम उन्हें आने वाली पीढ़ियों को भी अवगत करा सकें। उन्होंने कहा कि पंडित किशन महाराज ख्याल गायन के साथ उनके तबले की संगीत श्रोताओं पर जादू करती थी, उनके ठेके में एक भराव था, और दांये और बांये तबले का संवाद श्रोताओं और दर्शकों पर विशिष्ट प्रभाव डालता था।
उन्होंने कहा कि शताब्दी समारोह के कलाकार अपने अपने क्षेत्र के सिध्हस्त कलाकार है जिनको सुन कर राजधानी के लोग गौरवान्वित हुए हैं । सुविख्यात गायिका इंद्राणी मुखर्जी ने पूर्व अंग गायन , खमाज में बांके सांवरिया ,ठुमरी ,होरी ठुमरी ,चैती झूला प्रस्तुत किया। उन्होंने शास्त्रीय ठुमरी के विभिन्न अंग को सुना कर श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया । उन्होंने कहा कि पहली बार किशन जी महाराज के पुण्यतिथि के कार्यक्रम पर आई थी। आज खत्म हो रहे शास्त्रीय संगीत पर उन्होंने कहा कि घर के ऊपर डिपेंड करता है समाज बाद में आता है। हम कलाकारों को अपना काम करना है और उसे आंख बंद कर काम नहीं शुरू करना है। इन्द्राणी मुखर्जी ने कहा कि उन्हें जो कुछ मिला वह घर से ही मिला , हर प्रस्तुति से सीख मिलती है ।
उन्होंने कहा कि पूर्व अंग चमत्कृत नहीं करता इस लिए चमत्कृत नहीं करता क्योकि एक बोल को कैसे आप कहते है सुनाते हैं इस पर निर्भर करता है । कार्यक्रम का संचालन आकांक्षा श्रीवास्तव ने किया। ख्याति प्राप्त वायलिन वादक नन्दनी शंकर ने कहा कि उनके माता पिता ही गुरु रहे हैं । नंदनी ने राग जय जयवंती विस्तार में मोरे मंदिर ,मिर्जापुरी कजरी और राग चारुकेशी पर अपनी कम्पोजिशन प्रस्तूत की ।साथ में उन्होंने कहा कि वायलिन में युवा पीढ़ी आगे आये तो उन्हें समग्र विकास हो पाता है । युवाओं को सन्देश देते हुए उन्होंने कहा कि संगीत को भूले नहीं अपने कल्चर को भूले नहीं तभी वे आगे बढ़ सकते हैं । इस अवसर पर मेयर सीता साहू डिप्टी मेयर रेशमी चन्दवंशी ,पूर्व मंत्री जनक राम,समेत अनेक गणमान्य लोग उपस्थित थे।