DESK: स्वास्थ्य विभाग द्वारा मानव बल की बहाली निरस्त किए जाने के खिलाफ पटना हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की गयी है। ANM कंचन कुमारी एवं 82 मानव बल की ओर से दाखिल याचिका में मुख्य सचिव, स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव, मुजफ्फरपुर के सिविल सर्जन और डीएम को प्रतिवादी बनाया गया है।
कोरोना काल में संक्रमण की रोकथाम के लिए मुजफ्फरपुर सिविल सर्जन ने 3 महीने के लिए मानव बल की बहाली की थी। लेकिन एक महीने काम कराने के बाद डीएम के आदेश पर बहाली को निरस्त कर दिया गया। जिसके बाद कोर्ट में याचिका दायर की गयी। अधिवक्ता सुधीर कुमार ओझा ने न्यायालय को बताया कि डीएम के आदेश में इस बात का जिक्र है कि कोरोना का संक्रमण अब खत्म हो चुका है। जिसे लेकर मानव बल की बहाली को निरस्त किया जाता है।
बहाली रद्द से नाराज मानव बल ने जमकर हंगामा मचाया और प्रदर्शन किया था। इनके आंदोलन को देखते हुए मुजफ्फरपुर सिविल सर्जन ने सभी को फिर से काम पर लौटने के लिए पत्र जारी कर दिया। लेकिन कुछ दिनों के बाद ही स्वास्थ्य विभाग ने सभी मानव बल की नियुक्ति को निरस्त कर दिया।
याचिका में कहा गया कि कोरोना संक्रमण के बीच अपनी जान को जोखिम में डालकर मानव बल ने एक महीने तक काम किया लेकिन इस अवधि के वेतन का भी भुगतान नहीं किया गया। दायर याचिका में मानव बलों की ओर से कहा गया कि उनकी बहाली को निरस्त करना गैरकानूनी है। ऐसे में काम पर उन्हें काम पर लौटने का आदेश दिया जाए। वही स्वास्थ्य विभाग में रिक्त पदों पर भविष्य में होने वाली बहाली में उन्हें प्राथमिकता दी जाए। पटना हाईकोर्ट में आज मानव बल की ओर से एक याचिका दायर की गयी है।