सुशासन की बेजोड़ बानगी: अवैध बालू खनन के दागी अफसरों को ही दिया बालू ठेका निकालने का काम, मंत्री बोले-प्रधान सचिव ने ये किया, मुझे पता नहीं

सुशासन की बेजोड़ बानगी: अवैध बालू खनन के दागी अफसरों को ही दिया बालू ठेका निकालने का काम, मंत्री बोले-प्रधान सचिव ने ये किया, मुझे पता नहीं

PATNA: सुशासन में करप्शन पर जीरो टॉलरेंस के नीतीश कुमार के दावों की हकीकत एक बार फिर सामने आयी है। चार महीने पहले बिहार सरकार ने खान एवं भूतत्व विभाग के जिन अधिकारियों को अवैध बालू खनन में शामिल होने और भारी भ्रष्टाचार के आऱोप में पद से हटाया था। उन्हें ही फिर कई जिलों में बालू का ठेका निकालने का काम सौंप दिया है। हम आपको बता दें कि खान एवं भूतत्व विभाग के इन अधिकारियों को बिहार सरकार के आर्थिक अपराध इकाई यानि EOU की रिपोर्ट के बाद पद से हटाया गया था। कहा गया था कि उनके खिलाफ विभागीय कार्रवाई भी होगी, लेकिन विभाग ने उन्हें बालू से लेकर पत्थर के खनन का काम सौंप दिया है। दिलचस्प बात ये है कि इस विभाग के मंत्री कह रहे हैं कि उन्हें कुछ पता ही नहीं है। जो कर रही हैं वह विभाग की प्रधान सचिव कर रही हैं।


बालू का खुला खेल

आपको पहले पूरा मामला याद दिला दें. इसी साल जुलाई में राज्य सरकार ने सूबे के कई जिले में अवैध बालू खनन के बड़े खेल में बडी कार्रवाई का एलान किया था. सरकार ने अपने आर्थिक अपराध इकाई यानि EOU से इस मामले की जांच करायी थी. ईओय़ू की जांच रिपोर्ट के बाद बड़े पैमाने पर कार्रवाई हुई थी. दो जिलों के एसपी, चार एसडीपीओ, एक SDO, एक MVI, तीन CO और पांच खनन विकास पदाधिकारियों का एक झटके में ट्रांसफर करते हुए उन्हें मुख्यालय तलब कर लिया था. फिर ऐसे तमाम अधिकारियों को निलंबित करने का भी एलान कर दिया गया था.


खनन विभाग में हो गया खेल

सरकार ने ऐसे तमाम अधिकारियों के खिलाफ जब कार्रवाई शुरू की थी तो कहा था कि उन तमाम लोगों के खिलाफ पहले से जांच करायी गयी थी. EOU की जांच में सभी अधिकारी दोषी पाये गये लिहाजा उनके खिलाफ कार्रवाई की जा रही है.EOU की उसी रिपोर्ट के आधार पर दो एसपी, चार एसडीपीओ से लेकर एसडीओ औऱ सीओ तो सस्पेंड हो गये. लेकिन खान एवं भूतत्व विभाग में अलग ही खेल हो गया. खान एवं भूतत्व विभाग ने अपने जिन पदाधिकारियों को अवैध बालू खनन के आऱोप में पद से हटाया था उनमें से सिर्फ दो को सस्पेंड किया. 


अवैध बालू खनन मामले में जिन पांच पदाधिकारियों को पद से हटाकर मुख्यालय बुलाया गया था, उनमें से सिर्फ दो को सस्पेंड किया गया. सरकार को ईओयू ने जो रिपोर्ट सौंपी थी उसमें खान विभाग के कार्यकारी निदेशक संजय कुमार, खनिज विकास पदाधिकारी सुरेंद्र प्रसाद सिन्हा, राजेश कुमार, प्रमोद कुमार औऱ मुकेश कुमार को दोषी पाया गया था. ईओयू की रिपोर्ट थी लेकिन खान एवं भूतत्व विभाग ने इन पांच में से सिर्फ दो अधिकारियों को सस्पेंड किया. खान एंव भूतत्व विभाग ने संजय कुमार और प्रमोद कुमार को सस्पेंड किया. बाकी तीन पदाधिकारियों राजेश कुमार, प्रमोद कुमार औऱ मुकेश कुमार के सस्पेंशन की बात तो दूर रही उन्हें इनाम दे दिया गया.


दागी अधिकारियों को दे दिया बालू ठेके का जिम्मा

बिहार सरकार के बिहार स्टेट माइनिंग कॉरपोरेशन ने चार-पांच दिन पहले राज्य के कई जिलों में बालू ठेकों के आवंटन के लिए टेंडर निकाला है. सरकार की एजेंसी की ओऱ से टेंडर का जो दिलचस्प विज्ञापन निकाला गया है, उसे देखकर विभाग के दूसरे अधिकारी-कर्मचारी ही नहीं बल्कि बालू ठेके से जुडे तमाम लोग हैरान हैं. बालू ठेकों के टेंडर को बिहार स्टेट माइनिंग कॉरपोरेशन के प्रशासनिक पदाधिकारी सुरेंद्र प्रसाद सिन्हा के हस्ताक्षर से निकाला गया है. ये वही सुरेंद्र प्रसाद सिन्हा हैं जो पहले पटना के खनिज विकास पदाधिकारी हुआ करते थे. अवैध बालू के खेल में ईओयू की जांच रिपोर्ट में उनकी संलिप्तता साबित होने के बाद राज्य सरकार ने उन्हें पद से हटाया था. उन्हें निलंबित करने का एलान किया गया था. लेकिन सरकार ने सुरेंद्र प्रसाद सिन्हा को पुरस्कृत कर दिया. दागी अधिकारी सुरेंद्र प्रसाद सिन्हा अब बालू ठेके का टेंडर जारी कर रहे हैं.


खनन विभाग से मिल रही जानकारी के मुताबिक सुरेंद्र प्रसाद सिन्हा तो बानगी भर हैं. जुलाई में अवैध बालू खनन में संलिप्तता के आऱोप में नवादा के खनिज विकास पदाधिकारी मुकेश कुमार को अब भी पत्थर से बालू खनन का काम मिला हुआ है. उन्हें भी निलंबित करने का एलान हुआ था लेकिन पुरस्कृत कर दिये गये. इसी तरह भ्रष्टाचार के एक औऱ आरोपी पदाधिकारी राजेश कुमार का कुछ नहीं बिगड़ा. 


SP-ASP सस्पेंड लेकिन खनन पदाधिकारी मालामाल

हम आपको बता दें कि अवैध बालू खनन का ये वो मामला है जिसमें दो एसपी से लेकर चार एसडीपीओ औऱ एक एसडीओ तक को सस्पेंड किया जा चुका है. उनमें से ज्यादातर के घरों में ईओयू के छापे पड़ चुके हैं. लेकिन जिस खान एवं भूतत्व विभाग के पदाधिकारियों का काम बालू के अवैध खनन को रोकना था वे इनाम से नवाज दिये गये. जाहिर है पर्दे के पीछे बड़ा खेल चल रहा है. सरकार किसे फंसा रही है औऱ किसे बचा रही है ये समझ पाना मुश्किल हो गया है. 


मंत्री बोले-प्रधान सचिव ने ऐसा किया, मुझे कुछ पता नहीं

फर्स्ट बिहार ने अपनी इस एक्सक्लूसिव खबर पर बिहार के खान एवं भूतत्व मंत्री जनक राम से बात की. मंत्री ने कहा कि जिन पांच अधिकारियों को जुलाई में अवैध बालू खनन के आऱोप में हटाया गया था उनके खिलाफ जांच चल रही है, अभी जांच रिपोर्ट नहीं आयी है. वैसे अधिकारियों को किसी पद पर तैनात नहीं किया जा सकता. लेकिन वे अधिकारी बिहार राज्य खनिज निगम में कार्यरत हैं. खनिज निगम की एमडी खान एवं भूतत्व विभाग की प्रधान सचिव हरजोत कौर हैं. उनके आदेश से ही वहां अधिकारियों की तैनाती की जाती है. मंत्री बोले कि उन्हें फर्स्ट बिहार के जरिये ही इस मामले का पता चल रहा है. प्रधान सचिव ने कोई जानकारी नहीं दी है. दागी अधिकारियों को तो सजा देना है उन्हें कैसे काम लिया जा रहा है इसका उनको पता नहीं. मंत्री ने कहा कि ये सरासर गलत है. फर्स्ट बिहार से इसकी जानकारी मिली है तो वे इस मामले की जांच करायेंगे.


नीतीश से भी पावरफुल प्रधान सचिव? 

सवाल ये उठ रहा है कि क्या मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से भी पावरफुल खान एवं भूतत्व विभाग की प्रधान सचिव हैं या फिर ये सरकार का मिला जुला खेल है. अवैध बालू के मामले में खुद नीतीश कुमार ने कई बार ये कहा है कि आरोपी अधिकारियों को बख्शा नहीं जायेगा. लेकिन दागी अधिकारी पुरस्कृत किये जा रहे हैं. मामला जो भी हो लेकिन सुशासन के भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस की नीति की पोल जरूर खुल गयी है.